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ज़हीर अली सिद्दीक़ी 

पसंदीदा उद्धरण-
भूख संसार को जीवंतता प्रदान करती है। (स्वयं)

ख़ुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
(अल्लामा इक़बाल)
जन्म : परिवार-
वाहिद अली सिद्दीक़ी की छह संतानों (पांच पुत्र एवं एक पुत्री) में ज़हीर अली सिद्दीक़ी दूसरी संतान हैं। पिता एक मामूली किसान तथा माता गृहणी हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी न  होने के कारण परिवार में बच्चों की  पढ़ाई-लिखाई तथा  भरण-पोषण  कृषि के अलावा मेहनत और मज़दूरी जैसे स्रोतों पर आधारित है।
शिक्षा : कक्षा ५ की पढ़ाई  ननिहाल से पूरी करने के बाद नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर नवोदय विद्यालय बसंतपुर सिद्धार्थनगर में दाख़िला प्राप्त किया, परिणाम स्वरूप बारहवीं तक कि पढ़ाई मुफ़्त ग्रहण की। कक्षा १०वीं (२००७,८८.६ %) में जनपद में प्रथम स्थान तथा १२वीं (२००९, ८८%) में तृतीय स्थान प्राप्त कर ग्रामीण प्रतिभा की मिसाल प्रस्तुत की। कक्षा १० में हिंदी विषय (९७/१००) में सी.बी.एस.ई. द्वारा  उत्कृष्टता के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। पहले नवोदय विद्यालय तत्पश्चात दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा ग़रीबी /अमीरी अथवा ग्रामीण / शहरी आदि कारकों पर निर्भर नहीं करती ना ही इसकी मोहताज़ होती है अपितु दृढ़ इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है। स्नातक (२०१४, ८०.०६ %) एवं परास्नातक (२०१६, ६६.५२%) की उपाधि  रसायन शास्त्र विषय में क्रमशः किरोड़ीमल महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली तथा रसायन शास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली भारत से ग्रहण की।
अभिरुचि : लेखक का पालन पोषण एक ग्रामीण परिवेश में हुआ। ग्रामीण अंचल में परिवेश, जननी और जन्मभूमि के सर्वोपरि होने  का एक मात्र कारण है। मिट्टी से जुड़े होने तथा अभाव भरी परिस्थितियों ने लिखने की वज़ह दी। साहित्य के प्रति रुझान नवोदय विद्यालय में  हुआ। गुरुदेव डॉ. रामानंद तिवारी, श्री आर.पी. सिंह ऋषि, श्री ए.पी. गुप्ता, श्री आर.के. द्विवेदी, श्री गणेश प्रसाद के मार्गदर्शन में  साहित्य रुचि को पंख तथा हौसले को नई उड़ान मिली।
संप्रति : वर्तमान में रसायन तंत्रज्ञान संस्था माटुंगा मुम्बई महाराष्ट्र, भारत से पीएच.डी. (शोधकार्य) में कार्यरत हैं।

लेखक की कृतियाँ

कविता

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कविता - हाइकु

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