कौवा
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु ज़हीर अली सिद्दीक़ी1 Aug 2019
१.
काँव-काँव रे!
घर शहर-गाँव
चालाक पंछी
२.
पात्र पे दृष्टि
दूध-भात चंचु में
चतुराई से
३.
घर पे कब्ज़ा
हास्यप्रद मजमा
कारे! कोयल
४.
सामग्री लाया
घर बनाने वास्ते
आपदा फुर्र
५.
रोटी ग़ायब
पलक झपकाते
कब्ज़ा चोंच का
६.
रेत से दोस्ती
मूँगफली छुपाने
में होशियार
७.
चोंच मारना
अज़ीब प्रचलन
बाल्य काल में
८.
एक आँख से
बावजूद दोनों के
खोज निकाले
९.
हे!आगन्तुक
कोयल के लाडले!
खिज़ां के भाँति
१०.
बेघर हुआ
बग़ैर निंदा किये
घर बनाया
११.
हाथ देखता
झपट्टा मारकर
डाली फिर से
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