अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पिताओं और पुत्रों की

जियो मानव, जियो! 

जियो अपना पूर्ण ‘स्व’, 
हे व्याधि मानव! 
हे पीड़ित-पुरुष! 
किसी ने आज तक नहीं गाई गाथा
तुम्हारे ऐतिहासिक विरासत की, 
तुम्हारे नारकीय जीवन की, 
मध्याह्न जीवन के अंतहीन ज़ंजीरों, 
मरणासन्न चुड़ैलों और उनके सत्य की, 
क्लांत-पुत्रों और विश्रांत-जनता
पर कटार चलाने वाले जल्लादों की। 
माताएँ होती हैं, 
सनातन हत्यारिनें
भले ही, आँकी नहीं गई हो, 
महाकाव्य, मिथक, या आधुनिक मानस में? 
क्या याद हैं द्रौपदी, कुंती जैसी नारियाँ? 
सशक्त स्त्री, असहाय पुत्र! 
मासूमों पर क़हर ढाती क्रूरता? 
 
कर्ण! तुम क्यों खोते हो अपना ‘स्व’
मुँहफट महिलाओं, 
ग़ुलाम भाइयों और
अहंकारी अगुआओं के लिए? 
जो पीछे छोड़ते हैं
नितांत अकेले पुरुष, 
दुर्योधन की शृंखला
और करते हैं अध्यारोपित
नवागत पीढ़ी पर
कलंकित महिमा
त्रासदीपूर्ण। 
क्यों उज्ज्वल
क्यों द्युतिमान
क्यों तेजस्वियों के
भाग्य में लिखा है
कष्ट-ही-कष्ट
स्त्रियों या गुर्राते शिकारियों की वजह से? 
जागो, पुरुष भाइयों! 
महाकाव्यों में करें सुधार
पुरुष-पुनरुत्थान फिर से एक बार। 

पुस्तक की विषय सूची

  1. पिता के रोम-रोम
  2. समय का शरणार्थी
  3. पुत्र से पिता
  4. जियो मानव, जियो! 
  5. एक और फरवरी
  6. गगन-प्रकृति
  7. आहत विचार
  8. विश्वासघात
  9. मृत्यु के बाद की लंबी कविता
  10. प्यारी माँ
  11. मेरे पिता के लिए
  12. उदासी
  13. फिर से आना
  14. पितृहीन
  15. आत्महत्या के शोकगीत
  16. मैं पीने वाला
  17. प्रेमी
  18. पौ फटने से ठीक पहले
  19. सूर्य-जन्मा
  20. राजकुमार हेमलेट
  21. पिता होते हुए पुत्र तनाव में! 
  22. अभिमान
  23. क्या पिता एक मज़ाक है?
  24. मेरा चंद्रिल प्रेम
  25. यात्रा
  26. पुनरागमन
  27. प्रतिशोध
  28. हठी
  29. पूर्णिमा की ज्योत्स्ना में भीगी कविता
  30. माता
  31. पत्नी
  32. कौन कहता है कि तुम भगवान हो? 
  33. दुर्योधन का उत्तर
  34. मौन
  35. आत्म-हत्या
  36. दक्षिणी पवन
  37. दुर्योधन-पुत्र
  38. इतिहास का बोझ
  39. अंतर्द्वंद्व
  40. त्रिवेणी
  41. मैं यहाँ हूँ
  42. तुम और मैं
  43. कर्कश सुबह
  44. एकजुटता का अंश
  45. निष्कासन
  46. मदलाशी
  47. जब मैं तुमसे प्यार करता हूँ
  48.  मृत्युंजय
  49. हत्या
  50. जब तुम चले जाओगे
  51. हम
  52. अकेले दिन
  53. साँसों में जन्म-स्थान
  54. प्रेम और प्रतिशोध
  55. आगमन
  56. स्थितप्रज्ञ
  57. अविस्मरणीय समय
  58. मैं तुमसे यही चाहता था
  59. शर-शैय्या
  60. रात और गृह-विरह
  61. अभी भी नरक
  62. मनु-पुत्र
  63. आज रात मैं लिखूँगा आँसुओं से कविता
  64. शिखर पतन
  65. प्यार की दासता
  66. शरद ऋतु में सितंबर
  67. अकेले रहना एक विकल्प
  68. पिताओं और पुत्रों की

लेखक की पुस्तकें

  1. पिताओं और पुत्रों की

अनुवादक की पुस्तकें

  1. भिक्षुणी
  2. गाँधी: महात्मा एवं सत्यधर्मी
  3. त्रेता: एक सम्यक मूल्यांकन 
  4. स्मृतियों में हार्वर्ड
  5. अंधा कवि

लेखक की अन्य कृतियाँ

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

अनुवादक की कृतियाँ

पुस्तक समीक्षा

बात-चीत

साहित्यिक आलेख

ऐतिहासिक

कार्यक्रम रिपोर्ट

अनूदित कहानी

अनूदित कविता

यात्रा-संस्मरण

रिपोर्ताज

विशेषांक में