चाँद, सूरज और तारे
काव्य साहित्य | कविता राजेश ’ललित’1 Jan 2021 (अंक: 172, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
1.
चाँदनी
रात को
चाँद ने
खिड़की से
उचक कर
झाँका
चाँदनी से
भर गया
मेरा कमरा
चाँद चला गया
फिर से
खिड़की मैंने
बंद ही रखी
चाँदनी समेटे
कमरे में बना रहा
अहसास चाँद का
2.
तारे
तारे टिमटिमाते
आँखें मिचमिचाते
जागते रहे
रात भर
पहरा देते
आसमान का
अरमान अभी
मचल रहे
किसी तूलिका
से रंग भरने को
3.
सूरज
सूरज ने
खिलखिला कर
भर दिया
संसार में रंग
लाल गुलाबी
कभी सुनहरा
कभी पीला
अकेलेपन का
अहसास रहा
सालता
हर रोज़
सुबह से शाम तक
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