इसी प्यार के लिए
काव्य साहित्य | कविता महेश रौतेला1 Feb 2020
इसी प्यार के लिए तुम, अनन्त हो गये थे
इसी प्यार के लिए, द्रौपदी आश्वस्त थी,
इसी प्यार की, रुक्मणी को चाह थी
इसी प्यार के लिए तुम, राधा के संग थे।
इसी प्यार की उत्पत्ति, संसार को जोड़ती,
यही प्यार सर्वत्र, विभिन्न रूप लेता,
इसी प्यार पर, सुदामा को विश्वास था
इसी प्यार में, अर्जुन की विजय थी।
इसी प्यार को, परीक्षा में आना है
इसी प्यार के लिए, पूजा का विधान है,
यही प्यार, इस संसार में विभक्त है
इसी प्यार के लिए तुम, अनन्त हो गये हो।
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