बंदर मामा
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता जयचन्द प्रजापति ‘जय’15 Nov 2025 (अंक: 288, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
बंदर मामा बंदरिया लाये,
ढोल, मजीरा साथ भी लाये।
बंदर ढोल मजीरा बजाया,
बंदरिया ने नाच दिखाया।
सब ने ताली ख़ूब बजाया,
बच्चों ने हल्ला ख़ूब मचाया।
बंदर ने ऐसा खेल खेला,
लग गया लोगों का मेला।
बंदरिया ने सबसे माँगा पैसा,
सबने दिया उसको छुट्टा पैसा।
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