अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

गौरैया की मनुहार

फुदक फुदक आयी गौरैया 
मुझसे लगी ये कहने
दाना पानी लेकर उड़ जाऊँ 
तंज मुझे अब नहीं हैं सहने 
 
मुझको घर आँगन से भगाया 
कंक्रीट में खोया घोंसला
इन घरों के जंगल में उलझी मैं 
टूट गया अब मेरा हौसला 
 
मेरा चहकना अब किसी को ना भाये 
कोई ना लाड़ -दुलार करे 
दाना चुगाना अब दूर की बातें 
हर कोई मुझ पर वार करे 
 
जब एक दिन मैं मर जाऊँगी 
छत पर ना आयेगी तब कोई गौरैया
बाल-गोपाल का लाड़ कैसे होगा 
किससे संग खेलेंगे बहना और भैया 
 
थोड़े उसको दाने डाले 
पानी पिलाकर उसे पुचकारा 
गौरैया रानी क्यों रूठी हुई हो 
किसने तुमको है ताना मारा 
 
कंक्रीट से डरना क्यों तुमको 
छोड़ो घास-फूस का घोंसला 
लकड़ी के घर तेरे लिए बनाये 
अब तो रखो थोड़ा हौसला 
 
सुन्दर उसमें दरवाज़े हैं लगाये 
खिड़की और बर्तन भी रखे 
क़िस्म क़िस्म के रखे पकवान 
जो जब चाहे जैसे चखे 
 
जन्मदिन तुम्हारा हम हैं मनाते 
दुनिया निकली तुम्हें बचाने 
चिंता ना करो गौरैया रानी 
गायेंगे लोग तुम्हारे ही तराने

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

6 बाल गीत
|

१ गुड़िया रानी, गुड़िया रानी,  तू क्यों…

 चन्दा मामा
|

सुन्दर सा है चन्दा मामा। सब बच्चों का प्यारा…

 हिमपात
|

ऊँचे पर्वत पर हम आए। मन में हैं ख़ुशियाँ…

अंगद जैसा
|

अ आ इ ई पर कविता अ अनार का बोला था। आम पेड़…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

लघुकथा

बाल साहित्य कविता

कहानी

सिनेमा चर्चा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं