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गुलामी का असर

मुझे बचपन में यह क़िस्सा मेरे पिता जी ने सुनाया था। अँग्रेज़ों का राज था। गाँव में पहली बार अँग्रेज़ तहसीलदार आया था। गाँव के मुखिया ने सोचा कि तहसीलदार साहब को हुक्का ज़रूर पिलाना चाहिए। उन्होंने अपने हुक्के में शुद्ध गंगा जल भरवाया। उसे अच्छे से साफ़ किया। बाज़ार से नई साज मँगवाई। फिर उन्हें ख़्याल आया कि विलायत में तो अँग्रेज़ लोग ज़रूर ख़ुशबूदार तंबाकू पीते होंगे। यह सोचकर उन्होंन जो तंबाकू कुटवाया था उसमें सीरे की जगह गाय का घी मिलाया।

तहसीलदार साहब आए लेकिन उन्होंने हुक्का पीने से इंकार कर दिया। बाद में मुखिया ने जब वह तंबाकू ख़ुद पिया तो वह सारा दिन खाँसता रहा। 

ख़ैर, आज़ादी मिले 73 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी हम गोरों की आवभगत के लिए तंबाकू में घी मिलाने जैसी हरकतें करते हैं।  

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