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एक मीठा संस्मरण

तब मैं तेरह वर्ष का था। विकासनगर (देहरादून) में एक बावड़ी है जिसका सम्बन्ध गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या से बताया जाता है। प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार इस बावड़ी में सीधे हरिद्वार से गंगा मैय्या अपना जल भेजती हैं। 

दरअसल, प्रचलित कथा के अनुसार इस जगह कभी गौतम ऋषि अपनी पत्नी अहिल्या के साथ रहते थे। वे प्रतिदिन यहाँ से सुबह गंगा स्नान के लिए हरिद्वार जाते थे। देवराज इंद्र ने इस अवसर का दुरुपयोग किया और गौतम ऋषि का वेष धारण कर उनकी पत्नी से सम्बन्ध बनाया। जब यह बात गौतम ऋषि को पता चली तो उन्होंने दोनों को शाप दिए। इस घटना की जानकारी जब गंगा मैय्या को मिली तो उन्होंने ऋषि से कहा कि उन्हें स्नान करने के लिए हरिद्वार आने की ज़रूरत नहीं। आज से उनकी एक धारा उनके आश्रम के पास ही प्रस्फुटित हो जाएगी। 

ख़ैर, हम स्कूल के कुछ स्काउट्स स्कूल के कार्यालय अधीक्षक श्री राम किशोर तालिब के साथ उस बावड़ी के आसपास प्रशिक्षण ले रहे थे। तालिब साहब हमें बावड़ी दिखाने के बाद बच्चों के साथ आगे बढ़ गए लेकिन मैं बावड़ी के स्वच्छ जल में तैरती मछलियों को देखने में खो गया। 

फिर मैं बावड़ी में कूद गया। बावड़ी में जल का स्तर छह फ़ीट के आसपास रहता है। मुझे तैरना तो आता नहीं था। फलस्वरूप, मैं कुछ देर में ही अपने होश खो बैठा। उधर जब किसी बच्चे ने तालिब साहब से मेरे साथ न होने की बात बताई तो वे बावड़ी की तरफ़ लौटे। उन्होंने मुझे बावड़ी से बाहर निकाला। बाद में साथियों ने बताया कि मुझे लिटाकर मेरे शरीर से काफ़ी पानी बाहर निकाला गया और तब मैं होश में आया। 

मुझे बचाने वाले तालिब साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मैं उन्हें हमेशा याद किया करता हूँ। 

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