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संत न छोड़ें संतई

 

महाप्रभु ‘एक्स वाई’ उस विशाल सभागार में अपने अमीर भक्तों को समझा रहे थे, “ब्रह्म सत्य है और ये जगत मिथ्या है। अपने अल्प ज्ञान की वजह से हम जगत को सत्य मान लेते हैं। ऐसा मानने की वजह से हम उस रास्ते से भटक जाते हैं जो अन्यथा हमें कल्याण की तरफ़ ले जाता है। हम काम, क्रोध, मद, लोभ, और मोह के जाल में उलझ जाते हैं। यहीं से हमारा पतन शुरू होता है। भक्ति का मार्ग सीधा है-मान-अपमान, यश-अपयश जैसे विचारों से मुक्त हो जाइए। ऐसा करने पर ही आपको चिर स्थायी सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।” 

महाप्रभु की अमृतमय वाणी का सभी भक्तजन हाथ जोड़े श्रवण करते रहे। महाप्रभु मुस्कुराते हुए अपने इस वाणी रूपी प्रसाद को अपने भक्तों को लगातार एक घंटे तक देते रहे। 

तत्पश्चात्, अपना प्रवचन समाप्त कर वे अपनी महँगी आयातित कार में घुसते हुए अपने निज सचिव वैरागी बाबू से बोले, “आज के कार्यक्रम का वीडियो यथाशीघ्र ‘यूट्यूब’ पर अपलोड करवा दीजिए। हम चाहते हैं कि देश-विदेश सभी जगह हमारी चर्चा निरंतर होती रही।”

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