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बापू के नाम पर 

उस इलाक़े में सामूहिक बलात्कार की पिछले दो साल में यह पाँचवीं घटना थी जिसकी एफ़आईआर दर्ज हुई थी। इलाक़े के विधायक नंदन बाबू ने हमेशा की तरह पूरी ज़द्दोजेहद से थाने का घेराव करवाया और बलात्कारियों को पकड़ने के लिए प्रशासन पर दबाव बढ़ाया। 

दरअसल, यूँ उनका राजनीति में आने का क़तई इरादा नहीं था लेकिन डेढ़ साल पहले उन्हें महसूस हुआ कि अपराधियों पर नकेल कसनी हो तो बिना राजनैतिक ताक़त के यह आज के समय में सम्भव नहीं। संयोग कुछ ऐसा बना कि इस दौरान उनके क्षेत्र के विधायक एक सड़क दुर्घटना में चल बसे। उस सीट के लिए हुए उपचुनाव को वे अपनी साफ़ छवि के चलते आसानी से जीत गए। 

ख़ैर, शाम को दरोगा ने उन्हें फोन पर बताया कि बलात्कार के दोनों आरोपी पकड़े जा चुके हैं। इसके कुछ देर बाद उन्हें पता चला कि उनमें से एक आरोपी उनके एक रिश्तेदार का बेटा है। वे कुछ देर तक सोचते रहे और फिर उन्होंने दरोगा को फोन पर कहा, "तोमर भाई, इन बच्चों पर कोई ज़्यादती न हो। हमें बापू की इस बात को सदैव याद रखना चाहिए कि घृणा पाप से करो, पापी से नहीं।” 

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