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लेखन से जुड़ा एक प्रसंग

 

न्यू साइंटिस्ट (सितंबर 23, 1982) में एक लेख छपा था—“व्हाई प्लांट्स नीड एस्पिरिन?” जब मेरी नज़र इस लेख पर पड़ी तो मुझे यह दिलचस्प लगा। यह वह वक़्त था जब मैं रोचक विषयों की तलाश में अंग्रेज़ी की दर्जनों विज्ञान पत्रिकाओं और जर्नलों को नियमित रूप से खंगालता रहता था। 

मैंने आदतन इस लेख से जुड़ी संदर्भ सामग्री का अध्ययन किया और फिर इस विषय पर ‘क्या पौधों को सिरदर्द होता है?’ शीर्षक से जो लिखा, वह दैनिक हिंदुस्तान में प्रकाशित हुआ। 

कुछ महीनों बाद मैंने देखा कि न्यू साइंटिस्ट में प्रकाशित वह लेख किन्हीं दो लेखकों के नाम से इंडियन एक्सप्रेस में अंग्रेज़ी में छपा है। उन दोनों लेखकों ने सीधे उस लेख की कॉपी की थी। मैंने न्यू साइंटिस्ट में प्रकाशित लेख की फोटोकॉपी की और फिर उसे अपने पत्र के साथ नत्थी कर इंडियन एक्सप्रेस को भेज दिया। फलस्वरूप, वे दोनों लेखक फिर कभी इंडियन एक्सप्रेस में नहीं छपे। 

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