गुलमोहर
काव्य साहित्य | कविता अंजना वर्मा25 Sep 2017
नीले गगन में गीत प्यार का गा रहे,
गुलमोहर छा रहे।
डूबकर खत लिखे, लाल रोशनाई से
कूक रही कोयलिया बेकल अमराई से।
मंजरियाँ लिए पेड़, शीश हैं झुला रहे।
हवा चली हरफ-हरफ सड़कों पर बिखर गये
केसरिया लाल रंग धरती पर निखर गये।
संदेशा प्यार का दूर तक लुटा रहे।
ख़ुशबू हवाओं में , फैला ख़ुमार है,
हर तरफ़ बह रहा प्यार ही प्यार है
मौसम बहार का यूँ ही बना रहे।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
गीत-नवगीत
किशोर साहित्य कविता
रचना समीक्षा
ग़ज़ल
कहानी
चिन्तन
लघुकथा
साहित्यिक आलेख
बाल साहित्य कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं