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ताज ए वतन

ताज ए वतन हमारी
आन ये कश्मीर है
मर-मिटेंगे इसकी ख़ातिर
शान ये कश्मीर है
 
लाख झगड़ते हैं हम लेकिन 
फिर भी भारतवासी हैं
ऐ उग्र विदेशी हमसे डर
हम तेरे गले की फाँसी हैं
 
इस भ्रम में मत रह कि हम
आपस में फूट पड़ेंगे
सिंह माँद से हाथ हटा 
हम तुझपे टूट पड़ेंगे
एक गीत है एक हमारा
गान ये कश्मीर है
 
आन है ये शान वतन की
जान ये कश्मीर है

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टिप्पणियाँ

Sunil kumar 2022/11/10 07:16 PM

This is grate poetry for all indian, thanku sir

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