कुत्ता
कथा साहित्य | लघुकथा राजीव कुमार1 Oct 2020 (अंक: 166, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
रिटायर्ड कर्नल, श्री ख़तरनाक खान, विभाग के द्वारा दिया गया नाम, कुत्तों के बहुत शौक़ीन थे। अल्सेशन कुत्ता को सरहद के आतंकवादियों के साथ पकड़ा था, और कुत्ता वो अपने घर ले आए थे।
कर्नल साहब की बेगम ने जब कुत्ते को नहलाने से इंकार कर दिया तो वो बहुत क्रोधित हुए। कुत्ते को नहलाने से लेकर खिलाना-पिलाना ख़ुद करते थे। अपने बेटे की तरह। ’कुत्ते से सावधान ’ का बोर्ड उन्होंने ख़ुद लगवाया, ताकि लोग सँभल जाएँ।
एक दिन वो कुत्ता भाग निकला तो कर्नल साहब ने नौकर गफ़ूर को डाँटते हुए कहा, "कुत्ता तुम्हारी लापरवाही से भागा है, कुत्ता कहीं का।"
"नहीं सरकार, मैंने कहीं कुछ नहीं किया है।"
एक महीने तक नौकर के साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे कि ख़ुद वही कुत्ता हो। कर्नल साहब के परिवार के सारे सदस्य गफ़ूर को कुत्ता ही बुलाने लगे। गफ़ूर ने अब खुद को कुत्ता मान लिया था।
एक दिन छोटी सी बात पर कर्नल साहब के छोटे बेटे ने गफ़ूर को कुत्ता बनकर काट लिया तो कर्नल साहब ने अपने बेटे को डाँटते हुए कहा, "कुत्तों की अदावत आप ने कहाँ से सीख ली बरख़ुरदार?"
गफ़ूर बुदबुदाया, "कुत्ते के बच्चे ने काटा तो अब कैसा इन्जेक्शन?" और वो अपने काम पर लग गया।
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