अंजुम जी
कथा साहित्य | लघुकथा सुभाष चन्द्र लखेड़ा2 Oct 2016
अवसाद कब किसे, क्यों, किस वज़ह से अपना शिकार बना ले, यह बताना मुश्किल है। अंजुम जी के साथ भी यही हुआ। वे साहित्य का सृजन करते-करते प्रौढ़ावस्था में क़दम रखने से ही पहले अक्सर तनावग्रस्त रहने लगे और फिर वे गाहे-बगाहे अपनी मानसिक परेशानियों के उपचार के लिए डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करने लगे। डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें ख़ुश रहने की कोशिश करनी चाहिए। ख़ैर, मैं जानता हूँ कि उनके अवसाद के लिए उनके ख़ुद के अलावा और कौन ज़िम्मेदार है लेकिन मैं चाहते हुए भी उनकी कोई ख़ास मदद नहीं कर सकता था । दरअसल, वे पिछले कई वर्षों से कहानियाँ लिखते रहे हैं। जो भी उनके लेखन से परिचित हैं, वे सभी उनके प्रशंसक हैं। सभी ये मानते हैं कि वे एक उम्दा दर्जे के कथाकार हैं। बहरहाल, सौ कहानियाँ लिखने के बाद भी उन्हें कभी कोई ऐसा प्रकाशक नहीं मिला जो उन्हें बिना पैसे लिए छापने के लिए आगे आया हो। उन्हें मलाल इस बात का कभी नहीं रहा कि दूसरे लोग क्यों छप रहे हैं लेकिन सिर्फ पैसे के बलबूते कूड़ा-करकट छपे, यह उन्हें कतई पसंद नहीं था। उनका कहना था कि "हिंदी को विश्व-भाषा बनाने के लिए ज़रूरी है कि उसमें उच्च कोटि का साहित्य छपे। तभी तो वह विश्व में अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज करा पाएगी। साहित्य सृजन के नाम पर इतना कचरा भी जमा न हो कि अन्य भाषाओँ के साहित्यकार हमारा मखौल उड़ाने लगें।"
ख़ैर, अभी मैं सोच ही रहा था कि अंजुम जी को मिलने किसी दिन उनके घर जाऊँगा कि तभी एक दूसरे साहित्यिक मित्र वैरागी जी ने मुझे फोन पर बताया, "बड़ी ही दुःखद खबर है। अंजुम जी का निधन हो गया है।"
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
लघुकथा
- अंजुम जी
- अच्छे बेटे का फ़र्ज़
- अधूरी कथा
- अपने - पराये
- अप्रत्याशित
- अबूझ पहेली
- अर्थ का अनर्थ
- असली वज़ह
- आख़िरी सीख
- उपलों में गणित
- उलटे रिश्ते
- उसकी पीड़ा
- एक और निर्भया
- औक़ात
- कर्मण्येवाधिकारस्ते
- कुछ तो बोल
- कृतघ्नता
- चकोर का मज़ाक
- चकोर की चतुराई
- चित भी मेरी, पट भी मेरी
- जन्म दिवस
- जीवन मूल्य
- जो अक़्सर होता आया है
- जो जीते वही सिकंदर
- झटका
- टेक केयर
- ठेस
- डॉ. चकोर
- तुम्हारी क़सम
- दूसरी बेटी
- नकारने का रोग
- नाइन एलेवन
- पछतावा
- पति-पत्नी
- पत्रकारिता
- प्यादा
- प्रारब्ध
- बाबा का ढाबा
- भाई चारा
- मौक़ापरस्त
- राक्षस
- राजनीति
- लोकतंत्र का अर्थ
- विदाई
- संकट मोचक
- सतयुगी सपना
- सफलता का राज़
- सब कै यह रीती
- सभी चोर हैं तो
- सवाल
- स्कॉउण्ड्रल
- स्वारथ लागि
- हिसाब-किताब
- ज़िंदगी
- फ़साद की जड़
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}