उड़ान भरना चाहता हूँ
काव्य साहित्य | कविता ज़हीर अली सिद्दीक़ी15 Nov 2020
आकाश में उड़ने
अनन्त से जुड़ने
बाधाओं को तोड़ने
आशाओं से जोड़ने
उड़ान भरना चाहता हूँ।
डर को भगाने
राह को बनाने
ऊँचाई को भाँपने
खाई को लाँघने
उड़ान भरना चाहता हूँ।
परिंदे को ताकने
पँख को नापने
त्याग को जानने
उत्साह पहचानने
उड़ान भरना चाहता हूँ।
सूखे को रोकने
बाढ़ को सोखने
बादल को कोसने
इंद्रदेव को टोकने
उड़ान भरना चाहता हूँ।
हैवानों को खोजने
कुकृत्यों से रोकने
गुरुर को तोड़ने
संकीर्णता से मोड़ने
उड़ान भरना चाहता हूँ।
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