क्या चाँद को चेचक हुआ था?
2.
तुम्हारी बालकनी से दिखते हैं
कई घुम्मकड़ ट्रक
बाँटते राशन
राह इनकी देखते
लौ करोड़ों टिमटिमाईं
भभक उट्ठीं, बुझ गईं
ठंडी चाँदनी पीकर
चूल्हे की आग भी सो गई
रात की बुढ़िया ने
अभी आँखों पर धूल छिड़की ही थी
कि चाँद ही डूब गया, निर्दयी
नींद की जगह बस
खरोंचें उभर आईं
पुतलियों पर
कटा-कटा-सा दिखने लगा जग
सरकारी फ़ाइलों में दर्ज हैं
इन सबके पते
और इन पर लगे आरोप।
कोर्ट भेजता है समन कभी कभार।
पर कभी मिलता नहीं कोई
सही पते पर।
किसी को पता नहीं
अपने घर का पता, अपने केस की तारीख़,
दिखता नहीं कभी
कंधे पर चढ़ा
प्रेत।
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