क्या चाँद को चेचक हुआ था?
5.
कभी कभी
गश्त लगाते बुलडोज़रों का झुंड
रुक जाता है
मेरे बाग़ की सरहद पर।
बहस करने लगता है मुझसे।
मैं तुम्हारा नाम ले,
तुम्हारी बालकनी दिखा
बच निकलता हूँ।
कभी वे तुमसे पूछें
तो कह देना कि जानती हो मुझे।
उड़ान भरी है तुमने
मेरी आँखों के आसमान में,
तवे पर सेंक कर खाया है चाँद
मेरे साथ, एक ही थाली से।
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