मच्छर
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव1 Nov 2019
परेशान है करता मच्छर।
नहीं किसी से डरता मच्छर॥
काटे तभी पता चलता है।
चालाकी है करता मच्छर॥
नर्स लगाये जैसे नश्तर।
काटे वैसे चुभता मच्छर॥
हम डर के मारे जा छुपते।
ढीठ बड़ा ना छुपता मच्छर॥
कोशिश लाख करो भगाने।
भागे से ना भागे मच्छर॥
आये ज्वर तन काँपे थरथर।
काँपे से ना काँपे मच्छर॥
ख़ून चूसता बार-बार आ।
बड़ा लालची लगता मच्छर॥
पेट भरा हो जब मच्छर का।
आसपास बस उड़ता मच्छर॥
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