पुत्र की जिज्ञासा
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 Mar 2020
पिता-पुत्र बैठे बैंच पर
थे सोच रहे क्या जाने?
तभी पुत्र ने प्रश्न किया
सुन, पिता लगे मुस्काने॥
पूछ रहा था पुत्र प्रश्न ये
पापा, ये मुझे समझाओ।
बात जान लेते मन की
जो जादू है सिखलाओ॥
कुछ नहीं है जादू इसमें
पिता ने हँस समझाया।
मैं बेटा, तेरे दादा का
ये अनुभव से है आया॥
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