साहित्यहीन हिन्दी
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह1 Apr 2021
हमारा हिन्दी सिनेमा
हम पूर्वी हिन्दी भाषियों को
नौकर दरबान रसोईया
पानवाला दूधवाला
चायवाला खोमचावाला
और कभी-कभी
राजनीति का छोटा-मोटा
बदमाश दिखाता है
हमारी धरती के गौतम महावीर
पाणिनी चाणक्य मौर्य गुरुगोविन्द
भगवान बिरसा वीर कुँवर
बाबू राजेन्द्र वशिष्ठ नारायण
और प्रतिवर्ष संघ लोक सेवा आयोग में
हमारी सफलता का प्रतिशत
नज़रअंदाज़ करता है
छुपाता है
हमारी सादगी में हमें पता नहीं चलता
मनोरंजन के नाम पर
यह साहित्यहीन फ़िल्मी हिन्दी
हमारे लिए कितनी घाती है
हमें और हमारी पूर्वी हिन्दी को
कितना नुक़सान पहुँचाता है
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अंकल
- अंतराल
- अदृश्य शत्रु कोरोना
- अबला नहीं है स्त्री
- अहिंसा का उपदेश
- आज और बीता हुआ कल
- ईश्वर अल्लाह
- उत्पादन, अर्जन और सृजन
- उत्सर्जन में आनन्द
- उपेक्षा
- एक शब्द : नारी
- कर्तव्यनिष्ठता
- कविता और मैं
- क्षेत्रियता की सीमा
- गेहूँ का जीवन मूल्य
- गौ पालकों से
- घर का नक़्शा
- घोंसला और घर
- चुप क्यूँ हो
- जब से बुद्धि आई है
- जाते-जाते हे वर्ष बीस
- जीवन का उद्देश्य
- झूठ का प्रमेय
- तरक्क़ी समय ने पायी है
- तुम कौन हो?
- तुम्हारी ईमानदारी
- तुम्हारी चले तो
- दिशा
- दीये की लौ पर
- देश का दर्द
- नमन प्रार्थना
- नारी (राजनन्दन सिंह)
- पत्थर में विश्वास
- पुत्र माँगती माँ
- प्रजातंत्र में
- प्रतीक्षा हिन्दी नववर्ष की
- प्राकृतिक आपदाएँ
- प्रार्थना
- फागुन आया होगा
- बदबू की धौंस
- बोलने की होड़ है
- मन का अपना दर्पण
- महल और झोपड़ी
- महा अफ़सोस
- मुफ़्त सेवा का अर्थशास्त्र
- मूर्खता और मुग्धता
- मूर्ति विसर्जन
- मेरा गाँव
- मेरा घर
- मेरा मन
- मेरे गाँव की नासी
- मैं और तुम
- मैं और मेरा मैं
- मैली नदी के ऊपर
- यह कोरोना विषाणु
- यह ज़िंदगी
- राजकोष है खुला हुआ
- लुटेरे
- शत्रु है अदृश्य निहत्था
- शब्दों का व्यापार
- सच्चाई और चतुराई
- समभाव का यथार्थ
- सरदी रानी आई है
- साहित्यहीन हिन्दी
- सीमाएँ (राजनन्दन सिंह)
- सुविधामंडल
- स्मृतिकरण
- हर कोई जीता है
- ग़रीब सोचता है
- ज़िंदगी (राजनन्दन सिंह)
- ज़िंदगी के रंग
- ज़िंदगी बिकती है
सम्पादकीय प्रतिक्रिया
हास्य-व्यंग्य कविता
किशोर साहित्य कविता
बाल साहित्य कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}