यह ज़िंदगी
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह1 Aug 2020
यह ज़िंदगी
एक जलती हुई फुलझड़ी है
बारूद का आग से मिलन
जन्म है
फुलझड़ी का जल उठना
जीवन की शुरुआत
जलते रहना ज़िंदगी
और ताप की समाप्ति
जीवन का अंत
ज़िंदगी की तरह फुलझड़ी भी
रंगीन और सादी होती है
वैभवपूर्ण ज़िंदगी
अच्छी बारूद वाली
रंगीन फुलझड़ी
कुछ फुलझड़ियाँ
जल-जल कर बुझती हैं
और बुझ-बुझ कर जलती हैं
मगर जलती हैं
और जलती रहती हैं
अभावग्रस्त ज़िन्दगी की तरह
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