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दूसरी बेटी

अभी - अभी नर्स ने उसे बताया था कि कल उसे अस्पताल से घर जाने की अनुमति मिल जाएगी। उसके और उसके सगे संबंधियों के लिए सबसे बड़ी खुशी की बात यह थी कि अब वह उस रोग से छुटकारा पा चुका था जो उसके लिए मौत का कारण बन सकता था। दरअसल, यही कोई छह महीने पहले डॉक्टरों ने बताया था कि वह हड्डी के कैंसर से पीड़ित है। अभी एक महीने पहले उसे यह बताया गया था कि अब उसका उपचार "लिंब स्पेरिंग सर्जरी" से किया जायेगा। अब सवाल सिर्फ लगभग दस लाख रुपयों के इंतज़ाम का था । न जाने कैसे यह ख़बर उसकी उस दूसरी बेटी सपना सिंह तक पहुँची जो पिछले छह वर्षों से कैलिफ़ोर्निया के फ्रेस्नो शहर में अपने पति के साथ फ़िज़ियोथेरेपी के कार्य से जुड़ी हुई है। उसने तुरंत वह राशि उस अस्पताल को भेज दी जहाँ जोरावर सिंह का उपचार कीमोथेरेपी से किया जा रहा था।

बेटी की याद आते ही जोरावर सिंह के आँखें नम हो गई। जोरावर सिंह को वे दिन याद आ गए जब इस दूसरी बेटी के होने पर वह महीनों तक उदासी के समंदर में गोते लगाता रहा और अपने को इस बात के लिए कोसता रहा कि उसने समय रहते वे कदम क्यों नहीं उठाये जिनसे उस अनचाही बेटी के जन्म को आसानी से रोका जा सकता था।

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