प्यासे को पानी
काव्य साहित्य | कविता सुशील यादव9 Jul 2015
प्यासे को पानी, भूखे को,
निवाला देने की सोच
तुझमें है ताक़त, दिया तले
उजाला देने की सोच
भ्रम का माया जाल बहुत,
उलझाए रखता तुझको
सोई हुई जगा क़लम,
कुछ अक्षर काला देने की सोच
गज़नवी बनकर लूट रहे,
जो चारों तरफ खज़ाने
आतंकी इन मंसूबों को,
देश-निकाला देने की सोच
कंधे पर फिर कोई माझी,
न पार उतारे लाशों को
नियम-क़ायदा मर्यादा मत,
हील-हवाला देने की सोच
अच्छे दिन की तलाश जिसे,
बुरे दिनों को याद करें
गेराज डाल अक्ल को सारे,
ताला देने की सोच
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