मेघा बरसे
काव्य साहित्य | कविता-चोका प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'15 Mar 2023 (अंक: 225, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
प्यासा मनवा
तिल-तिल तरसे
इस बरस
भी अनबुझ आस
नहीं बदरा
फिर शून्य आकाश
बरसो मेघा
नारियल को
दमड़ी नहीं पास
ईश्वर तुम्हें
किस विधि मनाऊँ
भूखे उदर
है रोज़ उपवास
मेघा घुड़के
झर-झर बरसे
नव चेतना
फिर हुई संचार
हर्ष-लहर
हुआ गाँव मगन
कृपानिधान
तू ने किया कल्याण
जल समाधि
इस बरस टली
यूँ ही दरस दिखे।
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