अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी रेखाचित्र बच्चों के मुख से बड़ों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

प्रीति अग्रवाल ‘अनुजा’ – हाइकु – 002


1. 
सब के सिर
दौलत का फ़ितूर
नशे में चूर! 
 
2. 
पूनों की रात
तुम जो नहीं पास
लगती स्याह। 
 
3. 
मन में ईर्ष्या
‘सोशल मीडिया’ में
लाईक पे लाईक! 
 
4. 
समझूँ कैसे
संग बूझ सहेली
जग पहेली। 
 
5. 
विरह बेला
तड़पूँ जल बिन
ज्यों मछरिया। 
 
6. 
पेड़ की छाया
दुर्लभ निधि अब
झुलसी काया। 
 
7. 
ऊँची हवेली
दीवार ही दीवार
सुकून कहाँ? 
 
8. 
सुगंध घोले
पंखुड़ी गुलाब की
हवा में हौले। 
 
9. 
तपती रही
निखरी कुंदन-सी
मिसाल बनी! 
 
10. 
परखो, जानो
मित्रता से पहले
यूँ पहचानो। 
 
11. 
पंछी जो गाएँ
भँवरे गुन गुन
ताल मिलाएँ।
  
12. 
प्रेम की बूटी
भर रही है घाव
नए पुराने। 
 
13. 
रे भोले मन
स्वप्न पूरे होने की
शर्त न रख! 
 
14. 
रही अकेली
तुम बिन कैसे
कहो, तो कहूँ! 
 
15. 
मन की टीस
ज़ुबाँ तक न आई
यूँ दफ़नाई! 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

15 अगस्त कुछ हाइकु
|

आओ मनायें सारे मिल के साथ दिन ये शुभ  …

28 नक्षत्रों पर हाइकु
|

01. सूर्य की पत्नी साहस व शौर्य की माता…

अक्स तुम्हारा
|

1. मोर है बोले मेघ के पट जब गगन खोले। …

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

साहित्यिक आलेख

कविता-चोका

चोका

कविता - हाइकु

लघुकथा

कविता-माहिया

कविता

कविता - क्षणिका

सिनेमा चर्चा

कविता-ताँका

हास्य-व्यंग्य कविता

कहानी

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं