विडम्बना
काव्य साहित्य | कविता-चोका प्रीति अग्रवाल 'अनुजा'1 Jan 2024 (अंक: 244, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
(चोका)
चाह अगर
सुख की अनुभूति
उतर जाओ
दुःख की तलहटी
मौन गरिमा
जानना 'गर चाहो
शोर के मध्य
कुछ वक़्त बिताओ
जीवन साथी
परखना जो चाहो
विरह-अग्नि
दूरियाँ आज़माओ
विचित्र सी है
जीवन विडंबना
जो कुछ चाहो
उससे विपरीत
चखते जाओ
प्रकृति के नियम
रचे किसने
समय न गवाओ
सिर झुकाते जाओ!!
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प्रीति अग्रवाल 2023/12/28 11:45 PM
पत्रिका में स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सुमन जी!