एक चींटे का फ़्लर्ट - अनीता श्रीवास्तव
समीक्षा | रचना समीक्षा डॉ. शोभा श्रीवास्तव1 Dec 2020 (अंक: 170, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
कहानी: एक चींटे का फ़्लर्ट
कहानीकार: अनीता श्रीवास्तव
समीक्षा: डॉ. शोभा श्रीवास्तव
अनीता श्रीवास्तव जी की दो कहानियाँ पढ़ने का अवसर मिला। अनीता जी अपनी कहानियों में पात्रों के माध्यम से जिस गहराई के साथ मनोभावों को प्रस्तुत करती हैं उसे देखकर ऐसा लगता है कि अनीताजी को मनोविज्ञान की अच्छी समझ है। वे पात्रों को गढ़ती ही नहीं हैं बल्कि पात्रों के भीतर अपने विचारों को जीती भी हैं। उनकी कहानी 'एक चींटे का फ़्लर्ट' में प्रकृति के लघु प्राणी चींटे की उस मनोव्यथा को प्रस्तुत करने का उपक्रम किया गया है जिसमें चींटे की जिजीविषा साफ़ झलकती है।
दूसरी ओर कहानीकार मनुष्य मात्र को उनके प्राणी मात्र के प्रति नैतिक ज़िम्मेदारी का एहसास कराती हुई भी प्रतीत होती हैं। चीज़ों की सुरक्षा का ध्यान रखना स्वाभाविक है। ऐसा ही होता है और ऐसा होना भी चाहिए किंतु सृष्टि के कतिपय उपेक्षित जीव मनुष्य की सहृदयता पर ही निर्भर होते हैं। अतः सुविधा एवं आवश्यकता के अनुसार उनके प्रति आत्मीय भाव रखना मनुष्यता का आदर्श है। शायद यही कारण है कि कहानी में चींटे ने चाँद की यात्रा करने के बावजूद धरती को ही रहने योग्य स्वीकार किया है। कहानी भावना प्रधान है। व्यंग्यात्मक शैली का आभास होता है। शुरुआत में ही शब्दों का अक्खड़पन आकर्षक लगता है। कथानक की परिकल्पना सराहनीय है। अनीता जी को बहुत-बहुत बधाई।
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Prem and Bal sharma 2021/08/03 05:23 AM
अति सुंदर लेख धन्यवाद