नेल पालिश
काव्य साहित्य | कविता डॉ. मनीष कुमार मिश्रा31 Oct 2014
अपनी लंबी, पतली और गोरी उँगलियों पे
लगे नेल पालिश को दिखाते हुए
उसने पूछा –
तुम्हें ये अच्छे लगे
आज ही लगाए हैं
‘लेटेस्ट पैटर्न’ है
मैंने मुस्कुराते हुए कहा –
बहुत अच्छे हैं
तुम्हारे हाथ बहुत अच्छे हैं
तुम बहुत अच्छी हो
तुमसे जुड़ी हर चीज़ बहुत अच्छी है
कुछ चीज़ें पुराने पैटर्न की भी हैं
बस उनके बारे में नहीं कह सकता
वह बोली-
नहीं,
तुम बहुत अच्छे हो।
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