याद (नरेन्द्र श्रीवास्तव)
काव्य साहित्य | कविता नरेंद्र श्रीवास्तव15 Nov 2019
मैं आया था
आपके पास
आपसे मिलने
आप पूजा कर रहे थे
मैं करने लगा था
आपका इंतज़ार
मेज़ पर रखा था अख़बार
पढ़ने लगा
पढ़ा एक-एक पेज
उस दिन जाना अख़बार को
ख़ूब होती हैं ख़बरें
महानगर दिल्ली से लेकर
छोटे से गाँव की भी
छपती हैं ख़बरें
अपराधों से
दुर्घटनाओं से
अनियमितताओं से
भ्रष्टाचार से
तकरार से
भरा पड़ा था अख़बार
आँखों में भर आये थे आँसू
मैं भी करने लगा था याद
भगवान को
जब तक आप आये।
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