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रिश्वत का एक्सक्लूसिव कोड 

 

हे मेरे शहर के सेम पदों पर सेम काम की फ़ाइल खुलवाने, निकलवाने के मनमर्ज़ी की रिश्वत लेने वालों से परेशान रिश्वत खिलाने को विवश आत्माओ! तुम्हें यह जानकर प्रसननता नहीं, हार्दिक प्रसन्नता होगी कि जनाब ने शहर के ढाबों में चाय, पराँठों, लंच, कच्चे, उबले अंडों के रेटों को लेकर एक्सक्लूसिव कोड जारी करने के बाद अब शहर के तमाम ऑफ़िसों में रिश्वत प्रोटोकॉल में चल रही अव्यवस्था को लेकर बड़ी सर्जरी की है। छोटी-मोटी सर्जरी तो वे अक्सर करते रहते हैं, पर यह सजर्री वास्तव में रिश्वत लेने वालों की नहीं होती। रिश्वत देने वालों की ही होती रही है। रिश्वत कोड लागू होने के बाद भी व्यवहार में शहर के तमाम विभागों में एक से काम की अलग-अलग दर के हिसाब से रिश्वत लेने पर जनाब को आ रही जनता की शिकायतों की अलग-अलग प्रेक्टिस से तंग आकर जनाब ने आख़िर भ्रम की स्थिति अपने कठोर निर्णय के बाद साफ़ कर दी है। जनाब मानते हैं कि उनके ऑफ़िसों में काम करवाने के बदले रिश्वत देने का कोड नहीं, एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड जारी किया है ताकि जनता ऑफ़िसों के स्वच्छ प्रशासन के नारे के धोखे में रह धक्के खाते-खाते परेशान न हो। 

जनाब द्वारा अब पूरे शहर के ऑफ़िसों में सेम तरह के काम करवाने के सब विभागों में दाम तय कर दिए गए हैं। अब हर विभाग में किस तरह की फ़ाइल के कितने रिश्वत में लिए-दिए जाएँगे, जनाब द्वारा यह फ़िक्स कर दिया गया है। जनाब की ओर से जारी हुए ताज़ा आदेशों में जनाब ने साफ़ कर दिया है कि अब छोटा बाबू, बड़ा बाबू या कोई और सक्षम अधिकारी किसी काम के अपनी मर्ज़ी से किसीसे रिश्वत नहीं वसूल कर पाएगा। एक्सक्लूसिव रिश्वत प्रोटोकॉल के तहत अब हर विभाग में एक समान रिश्वत कोड होगा और वही हर कर्मचारी के लिए अंतिम कोड माना जाएगा। जनाब ने यह फ़ैसला जनहित में जनता द्वारा रिश्वत देने की असमंजस से निकालने के लिए लिया है। 

ग़ौर हो, पूर्व रिश्वत प्रोटोकॉल में रिश्वत लेने की असमानता, ग़लतफ़हमियों और जनता की नाराज़गियों के मामले लगातार जनाब के सामने आ रहे थे, जिसके चलते जनाब को स्थिति हाथ में लेते यह कठोर क़दम उठा उसमें दख़ल देने को न चाहते हुए भी विवश होना पड़ा। 

पिछले कुछ समय से शहर के दफ़्तरों में आम देखा जा रहा था कि किसी विभाग में एक ही टाइप की फ़ाइल को निकलवाने के इतने तो दूसरे विभाग में उसी तरह की फ़ाइल को निकलवाने के जनता से दुगने पैसे वसूले जा रहे थे। ऐसे में रिश्वत लेने और रिश्वत देने वाले दोनों ही अपने अपने को असहज महसूस कर रहे थे। 

इस संदर्भ में रिश्वत देने वालों का कहना था कि ऑफ़िसों में काम के बदले रिश्वत देना तो ठीक है, पर सभी ऑफ़िसों में एक से काम होने के बाद भी रिश्वत कोड में समानता क्यों नहीं, जबकि संविधान में सबको समानता का अधिकार है। ऐसे में हर जगह सेम काम का रिश्वत प्रोटोकॉल अलग-अलग क्यों? इसी के बाद जनाब ने महसूस किया कि असल में रिश्वत के पुराने जनाब ने जो नियम तय किए थे, वे स्पष्ट होते हुए भी अस्पष्ट थे। उनमें संशोधन इतने हुए थे कि न रिश्वत देने वाला उन नियमों को समझ पा रहा था, न रिश्वत लेने वाला समझ पा रहा था कि रिश्वत लेने-देने का नियम है तो सही, पर अंतिम नियम क्या है? और उससे भी अधिक यह कि रिश्वत के प्राटोकॉल जैसे अति संवदेनशील विषय में एकरूपता के न होने के चलते जनाब के ऑफ़िसों की कोई छवि न होने के बाद उसकी छवि को नुक़्सान हो रहा था। इसलिए जनाब ने पुराने रिश्वत लेने के सारे नियमों को निरस्त करते हुए एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड बनाने की सोची ताकि अब उनके ऑफ़िसों की छवि और ख़राब न हो, उनके वर्करों की छवि तो उसी दिन ख़राब हो जाती है जिस दिन जनता उसके पास अपने काम करवाने जेब पकड़े आती है। 

जनाब मानते हैं कि कुछ वीवीआईपी मामलों में रिश्वत लेने-देने के अलग नियम हो सकते हैं, पर इसका मतलब यह नहीं हो जाता कि ये नियम सब जगह लागू हों और इनका मनमाना दुरुपयोग किया जाए। अन्य नियमों की तरह समाज में रिश्वत के नियमों में भी नियम बने रहने से समाज में अफ़रा-तफ़री के माहौल से बचा जा सकता है। इसलिए जनाब एक्सक्लूसिव कोड ऑफ़ रिश्वत के माध्यम से नए सिरे से सबके लिए कुर्सी के हिसाब से रिश्वत लेना तय कर रहे हैं ताकि पद के हिसाब से रिश्वत लेने में एकरूपता बने। 

जनाब का यह भी मानना है कि और जगह कंफ्यूजन होता हो तो होता रहे, पर इस एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड के लागू हो जाने के बाद से रिश्वत लेने-देने में किसी तरह का कोई कंफ्यूजन नहीं रहेगा। वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर पीउन तक को एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड के हिसाब से ही रिश्वत लेनी होगी। उससे आगे दाता जो कर्मचारी को अपनी ख़ुशी कि हिसाब दे, उसकी इच्छा। एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड लागू हो जाने के बाद भी जो किसी कर्मचारी ने एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड का पालन नहीं किया और जनता ने किसीकी शिकायत उनसे की तो वे रिश्वतनिष्ठ कर्मचारी को लेकर इतने सख़्त होंगे कि . . . एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड का पालन न करने पर उसका पक्ष सुने बिना मज़े से उसे बरख़ास्त तक किया जा सकेगा। 

जनाब मानते हैं कि क़ायदे से वैसे तो रिश्वत लेने के बाद जनता का काम पहली बार में ही हो जाना चाहिए, पर जो किसी कारणवश उक्त काम करवाने को रिश्वत देने के बाद भी जो किसी क़ानूनी व्यावधान के चलते पुनः जनता को ऑफ़िस में विज़िट करना ज़रूरी हो तो अबसे काम करवाने वाले से हर बार अतिरिक्त रिश्वत नहीं ली जाएगी। जनाब जनहित में एक्सक्लूसिव रिश्वत कोड इसलिए भी ला रहे हैं ताकि जनता की जेब पर रिश्वत देने का अतिरिक्त भार न पड़े। क्योंकि जनता पहले ही बहुत से अतिरिक्त भारों से दबी हुई है। और जगह पारदर्शिता, सम्मान बचा हो या नहीं, पर रिश्वत लेने ओर देने में सम्मान और पारदर्शिता बची रहे। 

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