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सुनहरी तितलियों का वाटरलू

कोविड-१९ फ़र्स्ट लॉक-डाउन काल की सत्ताईसवीं सुबह है। रिचेरिया अपॉर्टमेंट की पाँचवीं मंज़िल पर अपने फ़्लैट की बालकनी में बैठी, दूर क्षितिज में एक केसरिया घेरे को बड़ा होता देख रही है। घेरा जैसे-जैसे बड़ा हो रहा है, वैसे-वैसे उसका केसरिया रंग हल्का होता जा रहा है। चमक बढ़ती जा रही है। रिचेरिया प्रकृति के इस अनूठे खेल को जीवन में पहली बार इतने ध्यान से देख रही है। 

इसके पहले उसने बालकनी में ही चिड़ियों के लिए दाना-पानी भी ताज़ा कर दिया है। उसके सिर के ठीक ऊपर बाज़ार में बना एक बड़ा सा घोंसला टँगा हुआ है। उसे उसने साल भर पहले ही लाकर टाँगा था। नीचे एक कोने में दाना-पानी रखा हुआ है। 

उसे पंछियों की चहचहाहट सुमधुर संगीत सी लगती है, इसीलिए उसने बालकनी को पंछियों का संगीत-घर बनाने का प्रयास किया था, जिसमें वह सफल हो गई। पंछी कुछ दिनों बाद ही अपनी संगीत महफ़िल सुबह-शाम बालकनी में ही ख़ूब जमाने लगीं। उनका सुरीला रुनझुन संगीत उसकी सुबह-शाम सुरमई बनाने लगीं। 

ये पंछी पाँच-छह हफ़्ते में ही उससे इतना हिल-मिल गईं कि उससे कुछ फुट की दूरी पर ही बरतनों को चारों ओर से घेरकर दाना चुगने, पानी पीने लगीं। एक-दूसरे को इधर-उधर धकियाती फुर्र-फुर्र उड़ने बैठने लगीं। 

पहले जहाँ हल्की आहट पर ही फुर्र से उड़ जाती थीं, वहीं बाद में उसकी हथेलियों पर भी बैठकर दाना चुगने लगीं। उसके कंधों, सिर पर भी उड़ने बैठने लगीं। पंछियों के इस कलरव में वह अपना सारा स्ट्रेस भूल जाती है, चंडीगढ़ की प्रोफ़ेशनल रेस की थकान, हाँफती, फूलती साँस से इन कुछ पलों में वह बहुत रिलैक्स महसूस करती है। 

वह इसे स्वीट बर्ड म्यूज़िक थेरेपी भी कहती है, इसलिए सुबह इनके साथ समय ज़रूर बिताती है। लेकिन शाम को वह इनसे नहीं मिल पाती, क्योंकि देर रात से पहले घर आना हो ही नहीं पाता है। 

मगर जब से लॉक-डाउन लगा, तब से वह स्वीट बर्ड म्यूज़िक थेरेपी दोनों टाइम लेने लगी है। लेकिन आज रात न जाने ऐसी कौन सी बात हुई है कि वह बालकनी में पंछियों के बीच होकर भी अकेली है, उदास है। 

रोज़ की तरह न हथेली पर दाना लेकर अपनी संगीत मर्मज्ञ इन सहेलियों को बुला रही है, न ही सामने स्टाइलिश फ़ाइबर टेबल पर स्टैंड में टैबलेट लगाकर अपना फ़ेवरेट न्यूज़-पेपर ‘द हिंदू’ खोला है। जो नियमित आधा घंटा योग करती थी, वह भी नहीं किया। 

हाँ, जिस तरह एक-टक उगते सूरज को देख रही है, वह मुद्रा ज़रूर त्राटक योग मुद्रा जैसी है। और हाँ! कई चिड़िया हमेशा की तरह उसके आस-पास आईं, उसके कन्धों, सिर पर बैठीं, फुर्र-फुर्र कर उड़ती-बैठती, चींचीं करती हुई चली गईं, जैसे यह पूछती हुई कि सहेली ऐसे गुमसुम इतनी अकेली क्यों बैठी हो? 

मगर वह इन सहेलियों से अनजान बनी मूर्तिवत कहीं खोई-खोई सी बैठी ही रही। वह ऐसे अकेली तब से बैठी हुई है, जब आसमान में कई तारे दिख रहे थे, आसमान की चादर काली से कुछ-कुछ स्लेटी होने लगी थी, जो बदल कर अब चमकदार नीली हो गई है। सारे तारे ग़ायब हो गए हैं, नर्म धूप चटख होती जा रही है। 

उसके ब्लैक टी का कप अभी भी आधा भरा हुआ है, फ़्लास्क में भी कम से कम दो कप चाय होगी। बालकनी में पछियों की आवाज़, हलचल के सिवा और कोई भी गति नहीं है, सोसाइटी की दूर तक जाती सड़कों पर सन्नाटा छाया हुआ है। मॉस्क लगाए इक्का-दुक्का सफ़ाई कर्मचारी दिखाई दे रहे हैं। 

आस-पास के फ़्लैटों की बालकनी में भी हलचल शुरू हो गई है। इस हलचल ने मानो रिचेरिया का त्राटक योग भंग कर दिया है। वह उठी, चाय के बरतन ले जाकर किचन में रखे, फ़्रेश होकर एक गिलास लेमन जूस लिया और ड्राइंग-रूम में बैठकर टीवी देखने लगी है। 

इसके पहले वह बेड-रूम में गई थी। वहाँ किंग-साइज़ बेड पर आसमानी कलर की साटन चादर अस्त-व्यस्त हालत में लपेटे, बेसुध सो रही पत्नी को देखा। उसे देखते हुए ही उसने जूस के कई घूँट पिए। 

उसने अपने से पंद्रह साल छोटी जेंसिया से चार साल पहले लिवइन रिलेशन बनाए, और फिर जब डेढ़ साल पहले क़ानूनी प्रतिबंधों के चलते गुपचुप शादी की, तब जेंसिया से मुस्कुराती हुई जर्मन दार्शनिक लेखक विचारक, योहान वुल्फगांग फानगेटे की दो बातें कहीं, “मैं जो हूँ, वही हूँ, इसलिए मुझे वैसा ही स्वीकार करो जैसा मैं हूँ।”

उसने दूसरी बात कही थी, “हमें हमेशा वैसा ही रहना चाहिए जैसा होने का हमारा मन कहता है हमें हमेशा वही करना चाहिए जो करने को हमारा मन कहे।” फानगेटे की यह बातें उसके मन में कई हफ़्तों से उमड़-घुमड़ रही हैं। 

जर्मन दार्शनिक की बात को ही एलजीबीटीक्यू, के मुक़द्दमे का निर्णय लिखते समय भी कहा गया था। छह सितंबर दो हज़ार अट्ठारह, वह दिन जब इस समूह के रिश्ते को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। तब जर्मन कवि मीडिया, इस समूह, सारे एलीट वर्ग में फिर से चर्चित हो गए थे, लेकिन जब रिचेरिया ने पत्नी से कही थी तब केवल वही सुन रही थी। 

विदेशी लेखकों में गेटे उसके सबसे प्रिय लेखक हैं, देश में वात्स्यायन। इसके पीछे वह एक तर्क देती है कि “इन दोनों लेखकों में तुम हिप्पोक्रेसी ढूँढ़ती रह जाओगी, लेकिन वह कहीं नहीं मिलेगी।”

वात्स्यायन के लिए पत्नी से पूरे दावे से कहती है कि “इस महान पुरुष ने जितना बड़ा और जैसा काम किया है, दूसरा न उनसे पहले, न ही उनके बाद में कर पाया। सोचो इनके ज़माने में लोग कितने ख़ुश रहे होंगे। ऐसी मूर्खता के बारे में कोई सोचता भी नहीं रहा होगा कि प्यार करने वालों को सज़ा दी जाए। 

“प्यार की हवा में झूमते लोग न होते, तो खजुराहो के अतीव सुंदर टेंपल कैसे बनते। वास्तु-कला की ऐसी आश्चर्यजनक रचना, वात्स्यायन दर्शन, प्रेम के उनके जैसे उपासक के बिना शिल्पकार समझ ही ना पाते कि उनको बनाना क्या है? 

“उनकी छेनी-हथौड़ी पत्थर तोड़ती रहती, लेकिन अतिशय प्रेम में डूबी कोई बोलती सजीव सी मूर्ति न गढ़ पाती। वास्तव में प्रेम का अद्भुत, अकल्पनीय, अतुलनीय, अविस्मरणीय, आश्चर्य-जनक वास्तु-शिल्प का उत्कृष्ट नमूना, खजुराहो टेंपल के सिवा और कोई दूसरी इमारत हो ही नहीं सकती। दुनिया के सभी आश्चर्य में इसे नंबर एक पर रखा जाना चाहिए, लेकिन घपलेबाज़ों ने इसे आश्चर्यजनक रूप से आश्चर्य की लिस्ट से ही बाहर कर दिया है। 

“वास्तव में इस समाज की यह सबसे बड़ी मूर्खता है। मूर्खता के कारण ही समाज में सब-कुछ के साथ दुख संत्रास सब है, लेकिन प्यार नहीं है। बताओ हम-तुम एक दूसरे को चाहते हैं, प्यार करते हैं, शादी करना चाहते हैं, लेकिन क़ानून की चाबुक हमारे बीच काँटे की तरह घुसी हुई है।”

रिचेरिया तब अतिशय ख़ुश थी, उसने जेंसिया के साथ ख़ूब जश्न मनाया था पब में, ख़ूब पैसा ख़र्च किया था, जब जजों ने छह सितंबर दो हज़ार अट्ठारह को अड़चन वाले सारे क़ानूनी काँटे निकाल फेंके थे। 

हालाँकि दो दिन बाद ही उसकी पत्नी जेंसिया ने कहा था, “पहला बड़ा हर्डल तो हमने क्रॉस कर लिया है, लेकिन अभी बहुत से हर्डल्स क्रॉस करने हैं। अभी तो हमें मैरिज का राइट चाहिए। जिससे हमारी कम्युनिटी भी बच्चे अडॉप्ट कर सके या सरोगेसी के ज़रिये पेरेंट्स बन सकें। 

“जॉइंट बैंक अकॉउंट खोल सकें, सर्विस वालों को ग्रेच्युटी पाने का राइट मिल सके। गवर्नमेंट जब-तक सोशल मैरिज एक्ट में संशोधन करके, क़ानून को जेंडर न्यूट्रल बना कर हमारी कम्युनिटी की मैरिज को क़ानूनी मान्यता नहीं देती है, हमें अन्य कम्युनिटी की तरह सारे राइट्स नहीं देती है, तब-तक हमारी सफलता, हमारी लड़ाई अधूरी।” यह कहती हुई वह बड़े प्यार से लटक ही गई थी उसके गले में बाँहें डाले हुए। 

और जितनी गहराई से उसने लिप-लॉक किस की थी, उतनी ही गहराई से बोली थी, “तुम्हारे जैसा ग्रेट हस्बैंड पाऊँगी, ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। एक्चुअली मैं चाहती क्या हूँ, यही ठीक से समझ ही नहीं पा रही थी। बस एक अँधेरी टनल में लड़ती-भिड़ती, गिरती-उठती, दौड़ी-भागी चली जा रही थी। बरसों भागते-भागते जब अचानक ही एक दिन तुमसे टकरा गई, तो तुम टनल के बाहर ले आई। 

“बाहर तेज लाइट में तुम्हें देखते ही लगा अरे! मेरी लाइफ़ की लाइट तो तुम ही हो। तुम ही वह हो जो मेरा सपना, मेरे हृदय की आवाज़ हो, जिसे मैं इतने बरसों से जान-समझ ही नहीं पा रही थी। और बस मैं हमेशा-हमेशा के लिए हो गई तुम्हारे साथ, जिससे मेरे जीवन में कभी भी अँधेरा न हो।”

रिचेरिया सोच रही है कि आज भी यह कितनी इनोसेंट बातें करती है, अब इससे इस पॉइंट पर कैसे बात करूँ? यह कैसा फ़ील करेगी? 

रिचेरिया इतनी परेशान, मानसिक रूप से इतनी उद्विग्न उस समय भी नहीं हुई थी, जब बाइस वर्ष पहले सन्‌ दो हज़ार में ठंड से ठिठुरती हुई इस शहर में आई थी। शहर से ज़्यादा वह ख़ुद ठिठुर रही थी, काँप रही थी, क्योंकि उसके पास पर्याप्त गर्म कपड़े नहीं थे कि वह उन्हें पहन लेती, ख़ुद को गर्म रख पाती। 

वो कठिन दिन वह आज भी भूल नहीं पाई है। जब याद आते हैं वो बीते कल तो उसकी आँखों में आँसू आ ही जाते हैं। क्या शानदार जीवन चल रहा था, बचपन ऐशो-आराम में बीत रहा था। ख़ूब बढ़िया पढ़ाई चल रही थी, वह पढ़ने में थी भी बहुत तेज़ थी। पेरेंट्स का सपना था कि वह डॉक्टर बने, लेकिन उसका नहीं। 

फिर भी उसने मेहनत ईमानदारी से पढ़ाई की, एम.बी.बी.एस. में एडमिशन भी हो गया, लेकिन कुछ महीने बाद ही वह हुआ जिसकी उसने, उसकी माँ ने कल्पना भी नहीं की थी, सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी हो सकता है। 

फ़ादर उम्र के साथ-साथ और भी ज़्यादा उन्मुक्त बिंदास जीवन शैली पब, क्लब, सब कुछ एंजॉय करना चाहते थे। लेकिन मदर इसके उलट और ज़्यादा परंपरावादी होती जा रही थीं। दोनों विपरीत ध्रुवों की ओर बढ़ते जा रहे थे, उनके बीच दूरी लम्बी ही होती जा रही थी। इस मुद्दे पर दोनों में रोज़ झगड़ा होना दिनचर्या का हिस्सा बन गया था। 

और उस दिन भयानक रूप में सामने आ गया, जब फ़ादर एक ऐसे क्लब के मेंबर बने, जिसमें केवल कपल ही जा सकते थे। हर वीक-एंड पर लेट-नाइट ग्रैंड पार्टी होती थी। फ़ादर के अत्यधिक प्रेशर पर मदर पहली बार गईं। वहाँ उन्होंने जो कुछ भी देखा, जो भी हो रहा था, और जो होने वाला था उसे जानकर वह बर्दाश्त नहीं कर पाईं, पार्टी बीच में ही छोड़ कर वापस चल दीं। इससे फ़ादर इस बुरी तरह नाराज़ हुए कि रास्ते भर उनसे लड़ते हुए घर पहुँचे। 

और वह तूफ़ान खड़ा किया, जिसकी मदर और उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। रिचेरिया ने उन्हें मदर पर हाथ उठाते हुए देखा तो बीच में आकर पुलिस बुलाने की धमकी दी, इससे उन्होंने मदर को तो नहीं लेकिन उसे दो-तीन थप्पड़ जड़ दिए। 

इससे ग़ुस्सा होकर उसने पुलिस बुला ही ली। पुलिस के आने से मामला शांत तो हुआ, लेकिन उसके जाते ही उन्होंने बेहद कड़ाई से डाइवोर्स की बात कह दी। 

तब ग़ुस्से से भरी उसकी मदर ने भी उसी कड़ाई से कह दिया कि “अब यही एक रास्ता है भी। तुम न कहते तो यह मैं ख़ुद कहती, क्योंकि मैं उन औरतों की लाइन में खड़ी नहीं हो सकती, जो एंजॉयमेंट के लिए अपने, पराए हस्बैंड के अंतर को मिटाकर अदर पर्सन से रिलेशन बनाएँ। 

“और न ही उस पर्सन को अपना हसबैंड बनाए रह सकती हूँ, जो अपने एंजॉयमेंट के लिए अपनी वाइफ़ को पार्टी के नाम पर लोगों के बीच उछालता रहे, उसे दूसरे के हस्बेंड से फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए कहे, ख़ुद दूसरे की वाइफ़ से बनाने में लगा रहे।”

बस इसके साथ ही आनन-फ़ानन में डायवोर्स हो गया। उसकी मदर ने यह भी कहा कि “ऐसे इंसान के घर में रहना, पैसे लेना मेरे लिए गंदगी में रहते हुए गंदगी लेने जैसा है।” और वह उसको लेकर अलग किराए के मकान में रहने लगीं। 

रिचेरिया भी फ़ादर की वास्तविकता जानने के बाद उनसे घृणा करने लगी थी। वह मदर के साथ एक छोटे से कमरे में भी शान्ति महसूस करती थी। मदर ने नौकरी शुरू की, कि ज़िन्दगी किसी तरह आगे बढ़े। लेकिन यह इतना आसान था क्या? 

उनकी कमाई से खाना-पीना, मकान का किराया आदि तो निकलने लगा, लेकिन उसकी पढ़ाई का ख़र्च निकलना नामुमकिन हो गया। फ़ीस नहीं जमा कर पाने के कारण वह सेकेण्ड ईयर का एग्ज़ाम नहीं दे पाई। पढ़ाई बंद हो गई। उसे डॉक्टर बनाने का माँ का सपना, और अपना अच्छा करियर बनाने का उसका सपना, पत्थर पर गिरे शीशे की तरह चूर-चूर हो गया। जिसके तीखे नुकीले टुकड़े आज भी उसके हृदय में चुभते हैं, उसे रह-रह कर दर्द देते हैं। 
उसकी मदर उस दिन ऑफ़िस नहीं गईं। दिन-भर रोती रहीं। उसने भी स्वयं पर बहुत कंट्रोल किया था, लेकिन आँसू निकल ही आ रहे थे। फिर भी उसने मदर को समझाया कि कोई बात नहीं, नए सिरे से कैरियर बनाएँगे। लेकिन अगले दिन जब उसकी आँख खुली तो किचन में मदर को फँदे से लटकते देखा। 

वह पहले डायवोर्स फिर बेटी की पढ़ाई बंद होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाईं, ख़ुद को ख़त्म कर लिया। रिचेरिया के लिए एक लंबा सुसाइड लेटर छोड़ा था, जिसमें तमाम बातों के साथ-साथ बेटी को सम्बोधित करते हुए लिखा था . . . ‘मेरी प्यारी रिच, मैं तुमसे यह तो नहीं कहना चाहती कि यह करना, यह नहीं करना। बस अपने जीवन की उस सबसे बड़ी भूल, ग़लती को पहली बार बता रही हूँ, जिसके कारण मेरा जीवन ऐसा बीता, मुझे यह क़दम उठाना पड़ रहा है, और मेरी प्यारी बेटी को अनाथ होना पड़ रहा है। मेरी ग़लतियों से तुम कुछ सीख-समझ लोगी तो मेरा पक्का विश्वास है कि जिन मुश्किलों का सामना मुझे करना पड़ा, उससे तुम बची रहोगी। 
‘मेरी वह भूल, ग़लती यह है कि जिस माँ-बाप ने मुझे जन्म दिया, ख़ूब अच्छी परवरिश दी, प्रातः संध्या बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना में मुझे भी ज़रूर सम्मिलित करते थे, अक़्सर बाबा विश्वनाथ के दर्शन कराने, गंगा मैया की आरती के लिए ले जाते थे, बी एच यू (बनारस हिन्दू विश्व-विद्यालय) में पढ़ा रहे थे। 

‘जिनके कारण मैं हिंदी, अँग्रेज़ी के अलावा संस्कृत भाषा में भी पारंगत थी, तीनों भाई-बहन, माँ-बाप की प्राण-प्यारी छोटी बहन, बेटी थी, ऐसे ख़ूबसूरत प्यारे परिवार को इस गंदे धोखेबाज़ आदमी के झूठ, बहकावे में आकर उन्हें रोता, अपमानित महसूस करता, दुःख-संताप में तड़पता छोड़ कर चल दी, इसके साथ हो ली, जो दुर्भाग्य से मेरा पति, तुम्हारा पिता था। 

‘अपनी थीसिस कम्प्लीट करने के सिलसिले में एक बार कहीं गई थी, वहीं परिचय हुआ, फिर ये आए दिन मिलने लगा, सनातन संस्कृति की ख़ूब चर्चा करता, ख़ूब लुभावनी बातें करता, उसी में मैं उलझती चली गई। पढ़ाई भी बर्बाद हो गई। 

‘एक मंदिर में शादी कर जब उसे सब-कुछ मान लिया, तब वह वास्तविक रूप में सामने आया। मैं हक्का-बक्का ठगी सी रह गई, लेकिन कुछ भी नहीं कर सकती थी, विवश थी, कहाँ जाती, किसके पास जाती, परिवार को तो ख़ुद ही त्यागा था, किस मुँह से उनके पास जाती, मदद माँगती। 

‘मुझे कटी पतंग सा निःसहाय देख इसने मुझे यातना-प्रताड़ना देने की हर वो हद पार की जो ये कर सकता था। फिर एक दिन गले पर पैर रख कर धर्मांतरण के लिए विवश कर दिया। जबकि शुरू में कहता था कि उसके लिए ऐसी बातें कोई मायने नहीं रखती। ऐसे में मुझे हर क्षण लव-जिहाद की शिकार अपनी एक सहपाठनी याद आती। 

‘जिसे सिब्तैन नाम के एक जेहादी ने छद्म नाम शिवांश बन कर फँसाया, दैहिक शोषण किया, यातना दी, वह धर्मान्तरण के लिए तैयार नहीं हुई तो बाँके से उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर के एक बड़ी सी गठरी में भर कर रेलवे ट्रैक के पास झाड़ियों में फेंक दिया। 

‘कई दिन बाद जब पुलिस खोज पाई तो उसे कुछ ही टुकड़े मिले, बाक़ी कुत्ते हज़म कर चुके थे, सिर छह महीने बाद, वहाँ से पाँच किलोमीटर दूर एक गंदे तालाब में मिला। मैं हमेशा ही इस डर में जीती रही कि एक न एक दिन मेरे भी टुकड़े कुत्तों का आहार बनेंगे। 

‘क्षमा माँगती हुई पहली बार बता रही हूँ कि ननिहाल के विषय में तुम्हें पहले जो कुछ बताया था, वह सब ग़लत बताया था कि हम एक प्रतिष्ठित क्रिश्चियन परिवार से हैं। सत्य यह है कि हम प्रतिष्ठित सनातनी परिवार से हैं। 

‘आख़िर में केवल इतना कहूँगी कि जो अपनी धर्म-संस्कृति, माँ-बाप, परिवार का अपमान करता है, उनका महत्त्व नहीं समझता, उन्हें त्याग कर किसी और के साथ हो लेता है, उसका मान-सम्मान, स्वयं उसका नष्ट होना सुनिश्चित होता है। बिलकुल मेरी ही तरह। 

‘मुझे विश्वास है कि तुम इन बातों का आशय ठीक से समझ कर अपने भविष्य के लिए सही रास्ता चुन लोगी . . .’ 

रिचेरिया ने क़ानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने से लेकर, अंतिम संस्कार तक सब अकेले ही संपन्न किया। माँ का सुसाइड लेटर पढ़ने के बाद उसने किसी भी रिश्तेदार, दोस्त को कोई सूचना नहीं दी। उसके मन में एक कठोर भावना ने इन सभी के लिए घृणा की भावना भर दी थी। माँ का इस तरह जाना उसे इतना कष्टदाई लगा कि दिल्ली छोड़कर चंडीगढ़ चली आई। क्योंकि उसका भी मन वहाँ इतने सदमें झेलने के बाद बहुत घुटन महसूस कर रहा था। 

चंडीगढ़ में जीवन चलाने के लिए एक ब्यूटी-पार्लर में काम करने लगी। काम सीख कर जल्दी ही अपना ब्यूटी-पार्लर शुरू कर दिया। पूँजी का काम मदर और उसकी ज्वेलरी से पूरा हुआ, तब शहर आज के जैसा इतना बड़ा नहीं था और न ही आज की तरह गलाकाट प्रतिस्पर्धा से भरा। वह जल्दी ही सफल होती चली गई और अब एक नहीं दो बड़े-बड़े ब्यूटी-पार्लर की मालकिन है। 

बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए वह रात-दिन इस क़द्र लगी रही थी, कि उसे यह बात तब याद आयी कि बिज़नेस के साथ-साथ व्यक्तिगत जीवन की भी ज़रूरतें होती हैं, और यदि वह पूरी न हों तो क्या फ़ायदा किसी बिज़नेस, रुपए-पैसे का, जब एक दिन उसके ब्यूटी-पार्लर में जेंसिया उसी की तरह बतौर स्ट्रगलर नौकरी के लिए आई। टाइट जींस, टी-शर्ट में। वह उसे पहली ही नज़र में बड़ी आकर्षक लगी। उसकी आँखें उसके शरीर के हर उभरे हिस्से से होकर लौटतीं, तुरंत ही फिर वहीं चली जातीं। 

जेंसिया की हालत और उसकी बातों से उसे यह पता चल गया कि उसे नौकरी की सख़्त ज़रूरत है। उसने उससे हाथ मिला कर नौकरी मिलने की बधाई दी, और ब्यूटी-पॅार्लर स्पा ऐसे दिखाया जैसे वह उसकी एम्प्लॉयी नहीं, बल्कि कोई वी वी आई पी गेस्ट है। 

जेंसिया जहाँ अत्याधुनिक पॉर्लर स्पा देख रही थी, वहीं वह उसके अंगों में डूबती ही चली जा रही थी। उससे हाथ मिलाने के बाद तो उसका मन कर रहा था कि उसे पकड़े ही रहे, छोड़े ही नहीं। हाथों की छुअन, नर्माई उसे भीतर तक गुदगुदाती ही चली जा रही थीं। 

उसके मन में ज़ोरों से यह इच्छा new word भरने लगी थी कि वह जेंसिया को हर उस जगह स्पर्श करे, जहाँ-जहाँ से उसकी आँखें हट ही नहीं पा रही हैं। उसने जेंसिया को उसकी योग्यता से ज़्यादा सैलरी पर तुरंत ही नौकरी पर रख ही नहीं लिया, बल्कि तुरंत ही ज्वाइन करने के लिए कह दिया था। 

उसने जेंसिया को ज़्यादा कुछ बताने की ज़रूरत महसूस नहीं की थी, क्योंकि इसी फ़ील्ड का उसे काफ़ी एक्सपीरिएंस पहले से ही था। वह दिन भर बार-बार काम देखने के बहाने उसके आस-पास ही मँडराती रही थी, जिससे उसे देखती रह सके। 

उस दिन वह देर रात तक जेंसिया को याद करती रही, उसे ही महसूस करती रही। उसे लगता जैसे जेंसिया स्पा की सारी ख़ुश्बू, नए फ़्रेगरेंस के रूप में उसके दिलो-दिमाग़ में बस गई है। अगले ही दिन जेंसिया से ही बात-चीत करके उसने यह जान लिया कि वह सिंगिल है या कोई है उसके जीवन में। 

उसे बहुत ख़ुशी हुई, यह जानकर कि जेंसिया भी उतनी ही अकेली है, जितनी कि वह ख़ुद। जल्दी ही उसने महसूस किया कि जिस तरह का जितना इंट्रेस्ट जेंसिया में वह ले रही है, कुछ वैसा ही इंट्रेस्ट जेंसिया भी उसमें लेने लगी है। 

लेकिन यह संकोच उसे ज़्यादा मोटे पर्दे के पीछे धकेल देता है कि वह एम्प्लॉयी है और रिचेरिया एंप्लॉयर। यह मोटा पर्दा हटाने के लिए वह उसे लंच अपने साथ कराने लगी। पॉर्लर बंद होने के बाद उसे अपनी गाड़ी में किसी न किसी रेस्त्रां में ले जाने लगी। खाने-पानी पीने की चीज़ें लेकर गाड़ी में ही खाते-पीते हुए लॉन्ग ड्राइव पर निकल जाती। 

छुट्टी के दिन रॉक-गार्डन, रोज़-गार्डन, नवजीवन अभ्यारण या झील ले जाती या फिर मूवी देखने। जल्दी ही दोनों पब, ड्रैग-नाइट भी साथ एंजॉय करने लगी थीं। फिर ज़्यादा लंबा समय नहीं लगा, जेंसिया रिचेरिया के आग्रह पर उसके फ़्लैट में ही साथ रहने लगी। 

उसके आने पर रिचेरिया ने महसूस किया जैसे कि कोई ऐसी रोशनी उसके साथ आ गई है, जिसने उसके फ़्लैट के हर कोने से अँधेरे, अकेलेपन, मायूसी, ऊब जैसी परेशान करने वाली हर चीज़ ग़ायब कर दी है, ख़त्म कर दी है। 

जेंसिया जब उसके साथ रहने आई थी, तो रिचेरिया ने अंदर पहुँचते ही उसे बाँहों में समेटे हुए बेड-रूम में लम्बा समय बिताया था। वह उस समय को अब भी अपने जीवन का सबसे रोमांचक, सबसे ख़ुशगवार समय मानती है। 

लेकिन अब वह ख़ुद को उस मोड़ पर पा रही है, जहाँ उसे महसूस हो रहा है कि अब वह घटना घटने वाली है, जो उसके जीवन के लिए सबसे निर्णायक साबित होगी। 

लॉक-डाउन की सत्ताईसवीं सुबह के दस बज गए हैं, लेकिन वह जेंसिया को जगाने की हिम्मत नहीं कर पा कर रही है, जबकि और दिनों में वह देर होने पर उसके गालों को सहला कर, किस करके या और प्यारी सी शरारतें करके जगा देती है। जेंसिया भी उठ कर उससे बच्चों सरीखी लाड़-प्यार जताने लगती है। 

लेकिन आज रिचेरिया ने प्रतीक्षा करने की ठान ली है। नाश्ते के लिए सूजी का हलवा बनाया, वही लेकर खाती हुई एक-एक न्यूज़ चैनल देखने लगी है। मीठे के साथ कुछ तीखा भी खाने की इच्छा के चलते उसने मठरी, चिली सॉस, कुछ नमकीन भी ले ली है। वैसे सामान्यतः वह सुबह नाश्ते में दो अण्डों का ऑमलेट ब्लैक-टी के साथ लेती है। लेकिन लॉक-डाउन ने हर चीज़ डिस्टर्ब कर दी है। 

उसने नाश्ता पूरा ही किया था कि तभी जेंसिया भी आ गई। उसने वही हल्की नीली साटन चादर लपेट रखी है। आते ही उसने गुड-मॉर्निंग बोल कर कहा, “क्या यार आज उठाया ही नहीं, इतना लेट हो गई हूँ। ग्यारह बजने वाले हैं। जागने के बाद आधे घंटे से मैं यही सोचती लेटी हूँ कि तुम आओगी, मुझे किस करोगी, और स्वीट-स्वीट बोलोगी, जेंसिया, जेंसिया डार्लिंग, फ़्रेश होकर आओ नाश्ता तैयार है।”

इसी समय रिचेरिया ने उसे फ़्लाइंग किस किया तो जेंसिया ने अपना गाल उसी की तरफ़ ऐसे घुमाया, मानो वो उसे चूम ही लेगी। वह जल्दी से तैयार होकर आई, रिचेरिया को गले लगा कर प्यार जताया और उसी की बग़ल में सट कर बैठ गई। 

रिचेरिया ने उसका नाश्ता उसके सामने रख दिया। उसने नाश्ता करते हुए कहा, “जो भी हो, यह लॉक-डाउन ऐसे नए-नए एक्सपीरियंस करवा रहा है जिसके बारे में किसी ने कभी इमेजिन भी नहीं किया होगा। एक महीना होने जा रहा है और क़ैदियों की तरह सब घर में अब भी बंद हैं। सब-कुछ होते हुए भी मन का कुछ भी नहीं कर सकते। सबसे ज़्यादा इंट्रेस्टिंग बात तो यह है कि हम क़ैदी हैं। और क़ैद से भागने न पाएँ यह रिस्पॉन्सिबिलिटी भी निभा रहे हैं।” 

रिचेरिया उसकी बातें सुन ज़रूर रही थी, लेकिन उसका मन उसी उलझन में उलझा हुआ था, जिसके कारण बहुत देर तक वह त्राटक योग मुद्रा में, भोर में ही बालकनी में बैठी थी, फिर भी उसने कहा, “इसके लिए रिस्पॉन्सिबल हम-लोग ही हैं। नेचर के सिस्टम में इंटरफेयर करेंगे तो वह भी रिएक्ट तो करेगी ही।”

“हाँ, ये बात तो है। मैं कल ही उस नोबेल प्राइज़ विनर साइंटिस्ट का स्टेटमेंट पढ़ रही थी, जिसने सबसे पहले एड्स के बारे में बताया था, उसने क्लियरली कहा है कि चीन के साइंटिस्ट्स ने कोरोना वायरस के जीनोम के सिक्वेंस को चेंज करने की कोशिश की है, उनकी ग़लत कोशिशों के कारण ही वायरस इतना ज़्यादा ख़तरनाक बन गया है। 

“वुहान, चीन की जिस वायरस लैब में ये चीनी साइंटिस्ट्स बरसों से यह दुस्साहस भरी कोशिश कर रहे हैं, उस लैब की सेफ़्टी सिस्टम बहुत ही ज़्यादा पुअर है, इसमें कोई शक नहीं है कि वायरस वहीं से लीक हुआ है, और पूरी मानवता ख़तरे में पड़ गई है। लाखों लोग मर गए हैं, पता नहीं कितने और लोग मरेंगे।

“उनके इस स्टेटमेंट से तो मैं बहुत ही ज़्यादा डिसएप्वाइंट हूँ। उनके हिसाब से तो नेचर के सिस्टम के साथ जो छेड़-छाड़ की गई है, नेचर भी अपना रिएक्शन दिए बिना शांत नहीं होगी, वह अपना काम पूरा करके ही रहेगी। यह सब सोच कर मूड बड़ा अपसेट हो जाता। 

“सारे एक्सपर्ट्स एक ही बात कह रहे हैं कि इसकी वैक्सीन बनने, लोगों तक पहुँचने में कम से कम दो साल लग जाएँगे, ऐसे में तो मरने वालों की गिनती लाखों में नहीं, करोड़ों में होगी। प्रेजेंट टाइम में जो स्टेटस है, उससे तो नहीं लगता कि लॉक-डाउन जल्दी ख़त्म होगा। बिज़नेस के लिए तो बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। हम बिज़नेस की जिस फ़ील्ड में हैं, उसके लिए तो और भी ज़्यादा। 

“नो डाउट सोशल डिस्टेंसिंग का जो ट्रेंड चल रहा है, उससे तो ओपन होने के बाद भी, काफ़ी टाइम तक कस्टमर आने में अवॉइड करेंगे। बिज़नेस कैसे चलेगा समझना बहुत मुश्किल हो रहा है। वैक्सीन आने में अभी इतना लंबा समय है। साइंटिस्ट यह भी कह रहे हैं कि कोविड-१९ को नेचर ही कंट्रोल करेगी। लोगों में हर्ड इम्युनिटी डेवलप होगी, वही उन्हें सेफ़ करेगी। यह सब सोचती हूँ तो बहुत टेंशन होती है।”

जेंसिया अपनी लम्बी बात पूरी करती हुई कुछ गंभीर हो गई, तो उसे बड़ी अनिच्छा से सुन रही रिचेरिया ने कहा, “कोई टेंशन करने की ज़रूरत नहीं है। मैं इतना अरेंजमेंट कर चुकी हूँ कि बिज़नेस हमेशा के लिए पैक भी कर दूँ तो भी लाइफ़ जैसी चल रही है, वैसी ही चलती रहेगी।”

जेंसिया नाश्ता करके रिचेरिया की जाँघों पर ही सिर रखे हुए सोफ़े पर ही लेटी है। रिचेरिया ने उसके गालों पर उँगलियाँ फिराते हुए यह कहा, तो जेंसिया ने उसकी उँगलियों को पकड़ते हुए पूछा, “मैं बहुत देर से फ़ील कर रही हूँ कि तुम काफ़ी अपसेट हो, क्या बात है, तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न।”

रिचेरिया ने कुछ देर तक उसकी आँखों में देखने के बाद कहा, “तुम सही फ़ील कर रही हो, एक बहुत ही इंपॉर्टेंट बात तुमसे डिस्कस करना चाहती हूँ, यदि तुम्हारा मूड बात करने का हो तो।” 

यह सुनते ही कुछ सशंकित सी जेंसिया ने तुरंत ही उठते हुए पूछा, “ओह श्योर, क्यों नहीं, बताओ न ऐसी कौन-सी बात है, जिसने तुमको इतना अपसेट कर दिया है।”

रिचेरिया ने उसकी आँखों में कुछ क्षण ऐसे देखा जैसे कुछ पढ़ना चाहती हो, उसके बाद पूछा, “क्या मैं तुम्हारे लिए आज भी उतनी ही अट्रैक्टिव हूँ, तुम मुझे आज भी उतना ही प्यार करती हो जितना पहले करती थी?” 

इतना सुनते ही जेंसिया ने आश्चर्य से उसे देखते हुए कहा, “हेअ . . .यह क्या पूछ रही हो तुम, हो क्या गया है तुम्हें? ऐसा क्वेश्चन तुम्हारे दिमाग़ में आया ही क्यों? तुम . . . मैं . . . मैं बिल्कुल कुछ समझ नहीं पा रही हूँ।”

उसे बहुत शांत भाव से देख, सुन रही रिचेरिया ने कहा, “बैठो तो, एक बात ही तो पूछी है, अभी तो बड़ी देर तक बातें करनी हैं, मेरी बातों का तुम्हें जवाब देना है।”

जेंसिया उसका प्रश्न सुनते ही खड़ी हो गई थी, वह उसे आश्चर्य से देखती हुई फिर बैठ गई। रिचेरिया की आँखों में देखती हुई बोली, “जब तुम्हारे लिए अट्रैक्शन पैदा हुआ, उस समय जो चाहत थी तुम्हारे लिए, आज उससे हज़ारों गुना ज़्यादा चाहती हूँ तुम्हें। तुम्हारे बिना मैं कुछ भी इमेजिन तक नहीं कर पाती। तुम मेरी लाइफ़ हो, मैं कैसे विश्वास दिलाऊँ तुम्हें। आय एम रियली शॉक्ड रिचेरिया।”

जेंसिया बहुत इमोशनल हो गई। रिचेरिया ने उसे अपने और क़रीब लाते हुए कहा, “ओफ़्फ़ो, इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। हमें बात तो करनी ही चाहिए न। मन की बात शेयर नहीं करने से मूड अपसेट होता है, डिस्टर्बेंस होती है, प्रॉब्लम फ़ेस करनी पड़ती है, इसलिए हमें कूल होकर बात करनी ही चाहिए। 

“मैंने, तुमने, दुनिया ने कभी सोचा था क्या कि एक वायरस से ही पूरी दुनिया में मानव प्रजाति का अस्तित्व ही ख़तरे में पड़ जाएगा। जान के लाले पड़ जाएँगे। हम लॉक-डाउन जैसी सिचुएशन में एक वायरस से डरते हुए घरों में बंद पड़े रहेंगे। लेकिन यह सब हो रहा है, दुनिया हम-तुम बात भी कर रहे हैं और प्रॉब्लम का सॉल्यूशन भी ढूँढ़ रहे हैं। यह सब लाइफ़ का एक पार्ट है। हमें यह सब ईज़ी गोइंग लेना चाहिए।”

रिचेरिया ने एक गार्जियन की तरह प्यार से समझाते हुए कहा, तो जेंसिया एकदम शांत होती हुई बोली, “ओके-ओके समझ रही हूँ। लेकिन किस प्रॉब्लम की बात कर रही हो?” 

“देखो प्रॉब्लम जैसी कोई बात नहीं है। हम जब भी फ़ील करें कि हमें अपनी लाइफ़ को लेकर बात करनी चाहिए तो बिना टाइम वेस्ट किए ज़रूर करनी चाहिए। तुमने कहा कि तुम शुरू में मुझे जितना चाहती थी, आज उससे हज़ारों गुना ज़्यादा चाहने लगी हो। लेकिन मैं अब अपने को जिस सिचुएशन में पा रही हूँ, उसे देखते हुए मैंने सोचा कि हमें डिस्कस करना चाहिए। 

“मैं यह बताना चाह रही हूँ कि मैं तुम्हारे साथ अपने रिलेशन को लेकर अपने में बड़े चेंजेज महसूस कर रही हूँ। कई महीनों से मैं फ़ील कर रही हूँ कि मैं रिलेशन में उतनी डेप्थ में नहीं हूँ, जितनी में पहले कभी हुआ करती थी।”

“क्यों? ऐसा क्यों, क्या मैं तुम्हारी इमोशनल, सेक्सुअल फिलिंग्स, डिज़ायर को सेटिस्फाइड नहीं कर पा रही हूँ। ऐसी तुम्हारी कौन सी एक्सपेक्टेशन है जो अब मैं बेड पर पूरी नहीं कर पाती।”

जेंसिया काफ़ी आवेश में बोली, लेकिन रिचेरिया ने बहुत कूल होकर कहा, “मैं ओनली सेक्स की बात नहीं कर रही हूँ। मैं ओवर-ऑल हर चीज़ की बात कर रही हूँ। खाना-पीना, घूमना-फिरना, मूवी, टीवी, पार्टी, बात-चीत, इवेंट, शॉपिंग, वॉकिंग किसी भी चीज़ में मैं वह डेप्थ नहीं फ़ील कर पा रही हूँ, जो पहले किया करती थी। 

“लगता है जैसे लाइफ़ में, कहीं कोई रोमांच, कोई एक्साइटमेंट रह ही नहीं गया है। ऐसा क्यों हो रहा है मैंने समझने की बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ भी समझ नहीं पा रही हूँ, मैं सारे एफ़र्ट्स कर के हार गई तो सोचा अब तुमसे बात करूँ, शायद तुम ही कोई सॉल्यूशन निकालो।” 

रिचेरिया की बातों से जेंसिया के चेहरे पर चिंता, आश्चर्य के भाव गाढ़े होते चले गए, उसने रिचेरिया की आँखों में झाँकते हुए पूछा, “रिच क्या अब तुम्हें मेरा साथ अच्छा नहीं लग रहा। मेरे साथ अब तुम्हें बोरियत महसूस होती है? इरिटेशन होती है?” 

“ओफ़्फ़ो, तुम यह सब क्या बोलती चली जा रही हो? मैंने बोरियत, इरिटेशन जैसा कुछ नहीं कहा। न ही मैं ऐसा फ़ील करती हूँ। मैंने कहा अब मैं पहले जैसा एक्साइटमेंट रोमांच फ़ील नहीं करती हूँ। अब मैं हर उन बातों को अपने में से ग़ायब पा रही हूँ, जिनके कारण हमारे रिलेशन बने थे। 

“जिनसे हमारे रिलेशन को बूस्टर एनर्जी मिलती थी। जो मुझे तुम्हारे बिना जीने की कल्पना से ही डरा कर रख देते थे। लेकिन अब मुझे ऐसा फ़ील होता है कि हमारे रिलेशन में अब कोई ऐसी एनर्जी, कोई ऐसा ऑब्जेक्ट, रीज़न बचा ही नहीं है, जो किसी रिलेशन को जीवंत, ख़ूबसूरत, आकर्षक बनाते हैं, अनगिनत इच्छाएँ पैदा कर, उन्हें पूरा करने की एनर्जी देते हैं, रास्ते बनाते हैं।” 

अब-भी हैरान-परेशान जेंसिया ने कहा, “माय डियर रिच, जानती हो तुम यह सब क्या कह रही हो? तुम्हारी बातों का क्लियर-कट मतलब यह है कि जिन बातों से रिश्ते बनते, और बने रहते हैं, वह सारी बातें ख़त्म हो गई हैं। जब सारी बातें ही ख़त्म हो गई हैं, तो हमारा रिश्ता भी ख़त्म है। 

“इसलिए लॉक-डाउन ख़त्म होते ही हम-दोनों अलग-अलग रास्ते पर निकल देंगे, फिर मुड़कर एक दूसरे को कभी नहीं देखेंगे। मगर मेरी प्रॉब्लम यह है कि तुम-तो चल दोगी दूसरे रास्ते पर पिछला सब-कुछ नेचुरल हार्ड-डिस्क से डिलीट करके, एकदम फ़्रेश मेमोरी हार्ड-डिस्क के साथ, नए रिश्ते की खोज में, जहाँ तुम्हें फिर से वह सब मिल सके जो अब मेरे साथ नहीं मिल रहा। 

“लेकिन मैं रास्ते पर एक क़दम भी आगे नहीं बढ़ पाऊँगी। मैं बिगनिंग लाइन से ही तीन सौ साठ डिग्री घूम कर तुम्हारे ही पीछे-पीछे चलने लगूँगी यह जानते हुए भी कि तुमने अपनी मेमोरी से मुझे डिलीट कर दिया है, अब तुम मुझे पहचानोगी भी नहीं। मेरी प्रॉब्लम यह भी है कि तुम्हारे सिवा किसी और के लिए सोच कर भी मेरी जान जैसे निकल रही है। 

“सोच मैं यह भी रही हूँ कि क्या ऐसे ही हर तीन-चार साल में मुझे नए-नए लाइफ़ पार्टनर खोजने होंगे। हमारे रिलेशन की वैल्यू, लाइफ़ क्या सिर्फ़ इतनी ही है कि हर तीन-चार साल के बाद मोबाइल, लैप-टॉप की तरह बेकार हो जाएँगे, जिन्हें डस्टबिन में फेंक कर नया लेना पड़ेगा। 

“तुम्हारे लिए, अपने इस रिलेशन के लिए मैंने अपने पूरे परिवार से झगड़ा कर लिया। उनको, बहुत-सी फ़्रेंड को भी हमेशा के लिए छोड़ दिया, उन लोगों ने भी हमें हमेशा के लिए छोड़ दिया। इस रिलेशन के कारण ही घर के लोग मुझसे इतनी घृणा करने लगे कि जब मैं उन्हें छोड़ कर घर से निकलने लगी तो उन्होंने मुझ पर थूक भी दिया था। 

“लेकिन मैं तुम्हारे लिए, अपने इस रिलेशन के लिए कोई भी क़ीमत देने, कुछ भी करने के लिए तैयार थी। मैंने किया भी। ख़ुशी-ख़ुशी जो क़ीमत ज़रूरी लगी वह दे भी दी। माँ-बाप, भाई-बहन, भतीजा-भतीजी, सारे नातेदार-रिश्तेदार, बचपन के सारे साथी, सभी को मैंने बिना किसी हिचक छोड़ दिया। 

“क्योंकि कोई भी हमारे इस रिलेशन के लिए तैयार नहीं था, सिवाय उस एक फ़्रेंड के जो बचपन में मेरे सबसे क्लोज़ थी। अपने एक इस रिलेशन के लिए मैंने सारे ब्लड रिलेशंस का सैक्रिफ़ाइस कर दिया, और इसी रिलेशन के लिए तुमने सेकेण्ड भर में कह दिया ख़त्म। तुम्हारे लिए मेरे सैक्रिफ़ाइस, इस रिलेशन की कोई वैल्यू ही नहीं है। 

“इतने बड़े सैक्रिफ़ाइस के एवज़ में मेरे हाथ सिर्फ़ ज़ीरो आया। मैं हर तरफ़ से बिल्कुल ख़ाली हाथ हूँ। मैं दुनिया में पूरी तरह से एकदम अकेली हो गई हूँ। क्या मैं यह समझूँ कि हमारा यह रिलेशन एक धोखे के सिवा कुछ नहीं था। 

“परमानेंट रिलेशन की गारंटी क्या सिर्फ़ ब्लड रिलेशन ही दे सकती है। जिन लोगों को हम जैसे रिलेशन वाले लोग ऑर्थोडॉक्स कहते हैं, क्या उनकी यह बात सही है कि हमारे रिश्ते एक डिफ़ॉर्मेशन (विकृति) हैं जो क्षणिक होते हैं। 

“जल्दी ही देखते-देखते ख़त्म हो जाते हैं। ऐसे रिलेशन एक वायरस सरीखे ही हैं, कोरोनावायरस की ही तरह। जो कितना भी ज़ोर लगा ले, दो-तीन साल के अंदर ख़त्म हो जाएगा। जैसे 1918 में स्पेनिश फ़्लू सारी ताक़त लगा कर भी दो साल में ही इतिहास के पन्नों में खो गया, जबकि उस समय साइंस, मेडिकल फ़ैसिलिटीज़ आज के मुक़ाबले कुछ भी नहीं थीं।” 

रिचेरिया को यह अनुमान नहीं था कि, जेंसिया इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो जाएगी। उसने उसे समझाते हुए कहा, “जेंसिया, माय स्वीट हार्ट इतना एक्साइटेड होने की ज़रूरत नहीं है। हम, हमारे रिलेशन को डिफ़ॉर्मेशन नहीं कह सकते। 

“मैं स्ट्रॉन्गली कहती हूँ कि, यह डिफ़ॉर्मेशन नहीं है। जैसे नेचर ने मेल-फ़ीमेल बनाए हैं, वैसे ही उसने थर्ड-जेंडर भी बनाए हैं। वह भी उसका एक सिस्टम है। ठीक वैसे ही हमारा रिलेशन भी उसी नेचर का एक सिस्टम है। 
“उसने मेल-फ़ीमेल के रिलेशन बनाए हैं, इंसानों के लिए भी, पशु-पक्षियों के लिए भी। ऐसे ही रिलेशन वालों की मेजॉरिटी है। इंसानों, पशु-पक्षियों दोनों में ही। मेजॉरिटी ने अपने हिसाब से, अपनी पसंद की परम्पराएँ बनाई हैं। उन्हें ही पसंद किया है, आगे बढ़ाया है। 

“हर वो बात जो उनकी सुपरमेसी के लिए चैलेन्ज हो सकती है, जो उनके सिस्टम का हिस्सा नहीं बन सकती उसे नकार दिया, ग़लत कह दिया, चिढ़ गए तो डिफ़ॉर्मेशन कह दिया। माइनॉरिटी को ऐसी हर स्थिति का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। 

“नेचर ने फ़ीमेल-मेल सेक्स रिलेशनशिप के साथ ही होमो सेक्स का भी सिस्टम बनाया है। यहाँ तक कि एनिमल्स भी होमो रिलेशन बनाते हैं। वह जानवर होकर भी पूरे जीवन ऐसे ही जीते हैं। इंसानों के बीच भी होमो रिलेशन शुरू से ही है। 

“तुम किसी भी देश, धर्म के इतिहास को उठा कर देख लो कहीं न कहीं इसका ज़िक्र आता ही है। अपने देश का ही इतिहास, या अन्य किताबें देखोगी तो इसकी डिटेल्स मिल ही जाएँगी। 

“वात्स्यायन तो तुम्हारे भी फ़ेवरेट राइटर हैं, पृथ्वी के सबसे क्रांतिकारी सोच वाले व्यक्ति थे। उनकी किताब ‘काम-सूत्र’ में भी इसकी डिटेल्स हैं। ध्यान से पढ़ो तो उसमें उनकी विवशता भी दिखती है। 

 “सोचो जब उनके जैसे व्यक्ति ने क़रीब एक हज़ार तीन सौ साल पहले यह किताब लिखी 800 ईसवी में तो वह कितने प्रेशर में रहे होंगे। इसका अनुमान इसी बात से लगा सकती हो कि, होमो और सेक्स के अनूठे तरीक़ों का वर्णन उन्होंने बड़े विस्तार से किया और ख़ूब किया है। 

“लेकिन मेजॉरिटी के दबाव में होमो रिलेशन, सेक्स के कुछ तरीक़ों को अनुचित बता कर मेजॉरिटी के ग़ुस्से का शिकार होने से अपने को बचाने का भी ख़ूब प्रयास किया है। तो हमें किसी तरह की आत्म-ग्लानि नहीं होनी चाहिए कि हम ग़लत हैं, हमारा रिश्ता ग़लत है। हमारा रिलेशन भी नेचर का ही बनाया सिस्टम है। 

“यह सिस्टम भी उतना ही पुराना है, जितना कि दूसरे सिस्टम। फ़र्क़ है तो सिर्फ़ इतना कि हमारी कम्युनिटी शुरू से ही माइनॉरिटी में है। जिसके कारण मेजॉरिटी हम पर वह सारे क़ानून, परम्पराएँ लाद देती है जो वो हमें दबाने, हमें ख़त्म करने के लिए बनाते हैं। 

“मैं तो पूरे कॉन्फ़िडेंस से कहती हूँ कि, हमारी कम्युनिटी को ख़त्म करने की कोशिश में कई बार वह बहुत ज़्यादा कन्फ़्यूज़्ड हो जाते हैं। छह सितंबर दो हज़ार अठारह को सुप्रीम कोर्ट, हमें, हमारे रिलेशन को ठीक बताते हुए अपराध की कैटेगरी से बाहर कर देती है। यही सुप्रीम कोर्ट पहले हमें, हमारे रिलेशन को गैर-क़ानूनी कहती थी। 

“उस दिन कोर्ट के डिसीज़न को हम सबने सेलिब्रेट किया था। सबने कहा कि, हम इक्कीसवीं सदी में एक क़दम और आगे बढ़े। याद करो मैंने तुमसे उसी समय कहा था कि, हम आगे नहीं, अब भी डेढ़ हज़ार साल पीछे हैं। तब हमें कठोर दंड नहीं दिया जाता था। अब इस फ़ैसले से हम पर कठोर दंड देने की तलवार हट गई है बस। 

“आगे बढ़ना मैं तब मानूँगी, जब मेजॉरिटी हमसे घृणा करना बंद कर देगी। हमें वह अपने जैसा ही मानने लगेगी। हम सब-कुछ उसी अधिकार से कर सकें, जो वो करते हैं। तुमने उस दिन सेलिब्रेशन के लिए पब चलने के लिए कहा। मैं ख़ुशी-ख़ुशी गई भी, लेकिन सच यह है कि, उस दिन मैं सिर्फ़ तुम्हारे साथ एक शाम एन्जॉय करने के लिए गई थी, कोर्ट के उस डिसीज़न को सेलिब्रेट करने नहीं। 

“दुनिया के क़रीब दो सौ देशों में अपना देश मात्र छब्बीसवाँ देश है, जहाँ अब होमो होना लीगली क्राइम नहीं है। नीदरलैंड ने सबसे पहले दो हज़ार एक में इसे क्राइम की लिस्ट से बाहर किया था। हालाँकि उसी समय अपने देश में छत्तीसगढ़ प्रोविंस की एक नर्स तनुजा और जया ने वैदिक रीति से विवाह करके सभी को सीधे चुनौती दी थी, उनके बाद उसी प्राविन्स में डॉक्टर नीरा ने अपनी नर्स अंजनी से विवाह करके एक बार फिर से चुनौती दी थी। 

“उन्होंने पूरी मेजॉरिटी में अपनी बात को सही ग़लत कहने की बहस ही नहीं शुरू होने दी। वह अपनी जगह ख़ुश रहीं और मेजॉरिटी अपनी जगह। लेकिन इसी दुनिया में होमो लोगों को आज भी मौत की सज़ा दी जा रही है। ईरान में, उन्नीस सौ उन्न्यासी में उसके इस्लामी राज्य बनने के बाद, क़रीब चार हज़ार लोगों को तड़पा-तड़पा कर मौत की सज़ा दी गई। 

“वहाँ दो किशोर लड़कों का केस बहुत ज़्यादा चर्चा में था। जिन्हें डेढ़ साल तक बुरी तरह टॉर्चर करने के बाद क्रूरता-पूर्वक मार डाला गया। आयरिश लेखक ऑस्कर वाइल्ड को होमो होने के कारण गिरफ़्तार किया गया। लेकिन धीरे-धीरे छब्बीस देशों में इसे क़ानूनी मान्यता मिल चुकी है। 

“इसलिए तुम यह मत कहो, बल्कि सोचो भी नहीं कि हमारे रिलेशन ग़लत हैं, डिफ़ॉर्मेशन हैं। हम आज भी अपने रिश्ते को उतना ही सही मानते हैं, जितना कि पहले। 

“हमने तो एक जनरल बात कही कि, पता नहीं क्यों इधर काफ़ी समय से मैं ऐसा फ़ील कर रही हूँ कि, जैसे हमारे रिलेशन में कोई अट्रैक्शन, कोई गर्माहट नहीं रह गई है।”

उसकी बातों को सुनते हुए जेंसिया को लगा जैसे कि, रिचेरिया ने सारे प्रश्नों के उत्तर पहले ही तैयार कर रखे थे। इसने बात शुरू करने से पहले पूरी तैयारी की है, काफ़ी टाइम लगाया है। वह कुछ आतंकित-सी बोली, “यह एक फेज़ है, मेल-फ़ीमेल कपल भी इस फेज़ से गुज़रते हैं।” तो रिचेरिया ने कहा, “डियर जेंसिया ये फेज़ वग़ैरह की बातें इंटेलेक्चुअल्स की बहसों का एक टॉपिक भर है। मैं इसे उनका कन्फ़्यूज़न भी कहूँगी। देखो मैं लाइफ़ में वही स्पीड, एनर्जी, एक्साइटमेंट, हमेशा चाहती हूँ, जो शुरू में थी। 

“तुम बात को समझने की कोशिश करो। मेरी बातों की डेप्थ में उतरने की कोशिश करो। हम-दोनों को तो तेज़ नदियों की हिलोरें मारती तेज़, चंचल, ऊँचे स्वर में जीवन रागिनी गाने वाली लहरों जैसी लाइफ़ चाहिए, किसी झील के ठहरे शांत गति हीन जल सी ज़िन्दगी नहीं।”

“मैं यही तो जानना चाहती हूँ कि, बे-हिसाब तूफ़ानी स्पीड से चलने वाली हमारी लाइफ़ की धारा में कहाँ, कौन सी रुकावट, बाधा आ गई है कि, हमारे जीवन की नदी, नदी से झील बन गई है।”

जेंसिया ने अपनी बात पूरी करते हुए रिचेरिया की दाहिनी हथेली को बहुत प्यार से अपने दोनों हाथों में ले लिया। और बहुत भावुक स्वर में, आँसुओं से भरी आँखों से रिच की आँखों में देखते हुए, बहुत ही क़ातर स्वर में पूछा, “बताओ न रिच, प्लीज़ जल्दी बताओ।”

रिचेरिया ने बड़े प्यार से उसकी आँखों के आँसुओं को पोंछते हुए कहा, “डियर जेंसिया, हम कमज़ोर लोग नहीं हैं। आँसू कमज़ोर लोग बहाते हैं। और बहादुर हर सिचुएशन में रास्ता बना लेते हैं। तुम्हें याद ही होगा कि जिस दिन तुम साथ रहने के लिए आई तब शाम हो रही थी। नाश्ते के बाद मैंने बरतन हटाना चाहा, लेकिन तुमने मना कर दिया। 

“मैं तुम्हें किचन जाने आने तक एकटक देखती रही। तुम्हारे शरीर की एक-एक मूवमेंट मुझे बिल्कुल सम्मोहित कर रही थी। मन कर रहा था कि, तुम उसी तरह मूव करती रहो, और मैं उस मूवमेंट को अपलक देखती रहूँ। 

“तुम्हें, तुम्हारी एक-एक मूवमेंट को देखकर मैं ऐसा फ़ील कर रही थी जैसे कि, किसी परी-लोक के सामने जा पहुँची हूँ, और वहाँ की सबसे ख़ूबसूरत परी मेरे सामने तरह-तरह से एंजॉय कर रही है। मैं तो उसे देख रही हूँ, लेकिन वह अपनी धुन में ही मगन है। अपनी, अपने परी-लोक की ख़ूबसूरती में इतराती-इठलाती मस्ती में चूर है। 

“तुमने मुझे कैसे, कितना इंप्रेस, सम्मोहित किया था, इसका अंदाज़ा मेरी इसी बात से लगा सकती हो कि पहले ही दिन जब सोने से पहले तुम शॉवर लेकर टॉवल लपेटे बाथरूम से निकली, तो मुझे लगा जैसे कि किसी परी की स्टेच्यू जी उठी है, उसके स्वागत में आसमान से बादल धीरे-धीरे पानी की फुहार छोड़ रहे हैं। 

“वह पानी की बूँदें परी के दमकते बदन पर जगह-जगह मोती बनकर चमक रही हैं, कुछ इस तरह, इतनी तेज़ कि पूरी दुनिया उसकी चमक से, चमक रही है। निश्चित ही तुम भूली नहीं होगी कि, मैंने उसी समय तुम्हारी कई फोटो खींची थी। 

“तुमको फिर से उसी जादुई रूप में देखने के लिए मैंने तुमसे एक बार फिर उसी तरह शॉवर के नीचे से होकर आने की रिक्वेस्ट की थी, तुम जब फिर उसी तरह शॉवर लेकर लौटी तो मैंने मस्ती में तुम्हारी टॉवल खींच ली थी।” 

“हाँ, मुझे अच्छी तरह याद है। तुम अपने होंठों से उन बूँदों के साथ तब-तक खेलती रही, जब-तक कि तुम्हारे गर्म होंठों की गर्मी से वह बूँदें भाप बनकर हवा में उड़ नहीं गईं। मैं भी तुम्हारे होंठों की ही तरह ख़ूब तेज़ पिघलने . . . ओह मत याद दिलाओ उस फ़ीलिंग्स को। 

“मैं तुमसे यही तो जानना चाहती हूँ कि, क्या तुम्हारी यह परी बूढ़ी हो गई है। क्या यह कुरूपता, निराशा, मनहूसियत की परी बन गई है, जिससे तुम्हें कोई रोमांच एक्साइटमेंट फ़ील ही नहीं होती बल्कि इरिटेशन होती है।” 

जेंसिया बहुत भावुक होकर बोली तो रिचेरिया ने कहा, “तुम तब भी परी थी, आज भी, अभी भी परी ही हो। लेकिन यह भी एक सचाई है कि मेरी फ़ीलिंग्स, मेरी चाहतें पहले जैसी नहीं रहीं।”

रिचेरिया की बात पूरी होते-होते जेंसिया के चेहरे के भाव अचानक ही बदल कर कठोर हो गए। आवाज़ भी। उसने कहा, “प्लीज़ मुझे एकदम क्लियर बताओ कि तुम्हारी फ़ीलिंग्स, तुम्हारी नीड्स में ऐसे कौन से चेंजेज़ आ गए हैं कि, अब पहले वाली कोई बात रह ही नहीं गई है।”

इसी के साथ जेंसिया ने रिचेरिया के दाहिने गाल पर एक झन्नाटेदार चाँटा जड़ दिया। यह इतना तेज़ था कि, पूरा फ़्लैट उसकी आवाज़ से गूँज उठा। रिचेरिया सोफ़े पर ही बायीं तरफ़ लुढ़क गई। एकदम निढाल सी। उसकी दाहिनी हथेली गाल से चिपकी हुई है। आँखों में आँसू आ गए हैं। 

मारने के साथ ही जेंसिया ने कहा, “तुम अक़्सर मुझ पर प्रेशर डालती रहती हो कि, मैं तुम्हें पीटूँ, ख़ूब पीटूँ। बेड पर तुम बार-बार मेरा हाथ खींच कर ख़ुद पर मारती हो, लेकिन मैं सोच कर ही घबरा जाती थी कि, तुम्हें पीटूँ। मुझे लगता था कि, तुम यूँ ही ओवर एक्साइटमेंट के चलते बोलती हो। 

“लेकिन अभी तुम्हारी बातें सुनकर लगा कि नहीं, मैं ग़लत हूँ। मूर्ख हूँ। तुम कितना क्लियर कह रही हो और मैं समझ ही नहीं रही हूँ। मेरी इसी मूर्खता ने तुम्हें मुझसे इतना दूर कर दिया। और यही बिलकुल सही समय भी है कि मैं अपनी ग़लती को तुरंत करेक्ट करूँ, फिर से तुम्हें पहले से भी ज़्यादा अपने पास ले आऊँ।”

अब-तक जेंसिया की आँखों से भरभरा कर आँसू ऐसे बरसने लगे हैं, जैसे कि बादल ही फट गए हैं। वह रो रही है। उसका पूरा शरीर थरथरा रहा है। 

और रिचेरिया! वह जेंसिया के अनुमान से अलग उसे देख रही है, उसकी आँखों में गहराई तक उतरती जा रही है। उसके चेहरे पर मानसिक नहीं, ज़बरदस्त चाँटे की पीड़ा नज़र आ रही है। और उसके आपस में बँधे होंठ थोड़ा और ऐसे फैल गए हैं, जैसे कि वह अंदर-अंदर ख़ुश है, मुस्कुरा रही है। 

जेंसिया ने उसकी ऐसी अप्रत्याशित प्रतिक्रिया से अचंभित होकर पूछा, “तुम कुछ बोलती क्यों नहीं? इतनी पिटाई के बाद भी तुम्हारी इस मुस्कुराहट का आख़िर मतलब क्या है? क्या करना चाहती हो तुम? प्लीज़ बताओ ना। मैं ऐसे तुम्हें और फ़ेस नहीं कर पाऊँगी।”

जेंसिया के बहुत ज़ोर देने पर हल्के से मुस्कुराती हुई रिचेरिया बोली, “मुझे बहुत अच्छा लगा जेंसिया। लॉक-डाउन की सारी बोरियत, सारा प्रेशर ख़त्म हो गया। ये मुझ पर फिर अटैक नहीं करें, इसलिए अभी मुझे और मारो जेंसिया, प्लीज़, प्लीज़ जेंसिया . . .” 

रिचेरिया के जवाब से जेंसिया आपे से बाहर हो गई। वह उस पर एकदम से हमलावर होती हुई चीखी, “ओके, ओके, यह लो, यह लो, यह लो। तुम्हें चाँटे ही अच्छे लगते हैं, इन्हीं से तुम्हारी बोरियत, प्रेशर ख़त्म होती हैं, तुम हैपिनेस फ़ील करती हो तो यह मैं तुम्हें ख़ूब दूँगी, तुम ख़ूब फ़ील करो पहले वाली हैपिनेस, फ़ीलिंग्स। इतनी कि मुझसे दूर होने की बात सोच भी नहीं सको।” 

जेंसिया उसके दोनों गालों पर एक के बाद एक चाँटे तब-तक मारती जब-तक ख़ुद थक कर चूर नहीं हो गई। उसके हर झन्नाटेदार चाँटे से रिचेरिया का चेहरा बाएँ-दाएँ होता रहा। दोनों ही गालों पर उसकी उँगलियों के सुर्ख़ लाल निशान दिखने लगे हैं। 

रिचेरिया की कनपटी तक लाल हो उठी है। आँखों में भी लालिमा दिख रही है। उसकी आँखों से आँसू बराबर निकल रहे हैं। उसने चेहरा नीचे ज़मीन की तरफ़ झुका लिया है। ऐसे हाँफ रही है जैसे कि, काफ़ी दूर से दौड़ती हुई चली आ रही है। 

दूसरी तरफ़ जेंसिया उससे भी ज़्यादा रो रही है। थकी हुई वह जैसे ही, उसके बग़ल में बैठी रिचेरिया ने अपना सिर उसी की गोद में रख दिया, और दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर अपना चेहरा धीरे-धीरे उसके पेट पर रगड़ने लगी। 

जेंसिया बड़े प्यार, स्नेह से उसके सिर को सहलाती हुई कह रही है, “यह क्या हो रहा है? क्यों हो रहा है? तुम इस तरह आख़िर क्या पा रही हो? क्या पाना चाहती हो? मुझे सब-कुछ साफ़-साफ़ बताओ। मुझे डर लग रहा है कि कहीं कुछ ग़लत, कोई अनहोनी न हो जाए। 

“तुम क्यों इस तरह से मुझसे पिटना चाहती हो? इस तरह मार खाने, इतनी चोट सह कर तुम कौन सा मज़ा, कौन-सा सुख महसूस करती हो? सबसे इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन यह कि, क्या यही एक कारण है जिससे तुम मुझसे दूर हो रही हो।”

यह कहते हुए उसने उसे प्यार से उठाया, आँसुओं से भीगे, सूजे हुए उसके गालों को चूम कर, जग में रखे पानी से उसके चेहरे को धोया, टॉवल से पोंछ कर फिर पूछा, “प्लीज़, यह सब क्या है? बताओ न? मैंने तुम्हें इतना मारा, तुम्हें ज़रा भी बुरा नहीं लगा?” 

जेंसिया के बार-बार पूछने पर बड़ी देर बाद रिचेरिया बोली, “नहीं, बिल्कुल भी नहीं। पता नहीं क्यों तुमसे इस तरह पिटने पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैं बहुत-बहुत लाइट फ़ील कर रही हूँ।” 

“क्या!”

“हाँ जेंसिया, मैं बिलकुल सच कह रही हूँ। जानती हो चेहरे पर इतनी पिटाई के बावजूद मेरा मन कर रहा है कि, तुमसे कहूँ कि, तुम मेरे सारे कपड़े फाड़ के फेंक दो। फिर मेरे हिप्स पर अपनी स्लीपर से मारो, अपनी लेदर बेल्ट फ़ोल्ड करके मेरी पीठ, थाइस, ब्रेस्ट पर मारो। जेंसिया प्लीज़, प्लीज़ तुम ऐसा करो न। तुम्हें संकोच हो रहा है तो मैं ख़ुद ही कपड़े उतार रही हूँ।”

यह कहते-कहते रिचेरिया ने जब-तक जेंसिया कुछ समझे, अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए। और सोफ़े पर बैठी जेंसिया के पैरों के सामने पड़ी उसकी फैंसी पतली सी स्लीपर उठाकर उसके दोनों हाथों में पकड़ा दी, और क़रीब जाकर बोली, “प्लीज़-प्लीज़ जेंसिया . . .” 

जेंसिया आश्चर्य से उसे सिर, पीठ, हिप्स से लेकर नीचे एड़ियों तक देख रही है। उसके दोनों हाथों में स्लीपर हैं। हाथ काँप रहे हैं। आँखों से आँसू फिर निकलने लगे हैं। रिचेरिया बार-बार उसे पीटने के लिए कह रही है। कई बार कहने पर भी जब जेंसिया ने हाथ नहीं उठाया तो रिचेरिया खीझ उठी और काफ़ी तेज़ आवाज़ में बोली,  “जेंसिया . . . जेंसिया . . .” 

उसने यह भी ध्यान नहीं रखा कि, गहन सन्नाटे में डूबी कॉलोनी में हल्की सी आवाज़ भी दूर तक जा सकती है। लेकिन जेंसिया का ध्यान इस ओर तुरंत गया और उसने उठकर बालकनी की तरफ़ का दरवाज़ा, खिड़की दोनों ही बंद कर दिए, पर्दों को पूरा खींच दिया। 

और बहुत ही तमतमाए चेहरे के साथ रिचेरिया के पास लौटी तो वह वैसी ही खड़ी मिली, जैसी वह छोड़ गई थी। लेकिन अब उसके बदन की थरथराहट बढ़ गई है, उसकी आँखें बंद हैं। जेंसिया की आहट मिलते ही उसने कहा, “जेंसिया प्लीज़ और वेट नहीं कराओ, मैं और वेट . . .” 

उसकी बात पूरी होने से पहले ही जेंसिया के दोनों हाथ एक क्रम में रिचेरिया के राउंडेड बड़े-बड़े हिप्स पर स्लीपर बरसाने लगे। फ़्लैट में चट्ट-चट्ट का शोर गूँज रहा है। हर चोट पर रिचेरिया ऐसे सिसकारी ले रही है, जैसे बेहद तीखी चाट का लुत्फ़ ले रही हो। स्लीपर की चोट पड़ते-पड़ते उसके हिप्स एकदम सुर्ख़ लाल हो गए हैं। 
उसके कहने पर जेंसिया ने उसकी थाईज़ पर भी आगे-पीछे दोनों ही तरफ़ स्लीपर बरसाए। वह मारते-मारते कुछ ज़्यादा ही ग़ुस्से में आ गई थी, इसलिए जितनी तेज़ मार सकती थी, उतनी तेज़ मारा। स्लीपर की स्ट्रिप टूट गई हैं। 

रिचेरिया अब-तक मार खा खाकर पस्त हो, ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई है। उसकी आँखें और सुर्ख़ हो गई हैं, आँसू बराबर गिर रहे हैं। पता नहीं चोटों से हो रही दर्द से या कि, इस विचित्र हरकत से वह जो एक विचित्र सा सुख पाना चाह रही थी बरसों से, उसके मिल जाने की ख़ुशी में। 

जेंसिया टूटी स्लीपर हाथ में लिए ठीक उसके पीछे हाँफती हुई खड़ी है। कमरे में दोनों की उखड़ी हुई साँसों की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही है। आख़िर जेंसिया ने झुककर उसे बाँह पकड़कर उठाया, बेड-रूम में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। उसके लेटने पर उसने देखा कि, उसकी सामने की जाँघों पर स्लीपर की चोट कुछ ज़्यादा ही तेज़ पड़ी है। स्लीपर का पूरा शेप सुर्ख़ उभर आया है। 

रिचेरिया ने आँखें बंद की हुई हैं। चेहरे से ऐसा लग रहा है जैसे कि, न जाने कितने बड़े सुख का अनुभव कर रही है। जेंसिया ने वही नीली साटन चादर उसे ओढ़ा दी, जिसे ओढ़ कर वह रात में सोई थी। फिर एसी ऑन कर कूलिंग बाइस डिग्री कर दी। 

हालाँकि दोनों कोरोना वायरस के सम्बन्ध में जारी होने वाली राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एडवाइज़री को पूरा-पूरा फ़ॉलो करती हैं, इसलिए कमरे का टेम्प्रेचर लॉक-डाउन के बाद से ही पच्चीस डिग्री ही मेन्टेन कर रही थीं। क्योंकि एडवाइज़री के अनुसार यह वायरस ड्रॉप-लेट्स के ज़रिए मूव करता है। टेंपरेचर ज़्यादा रहेगा तो ड्रॉप-लेट्स जल्दी सूख जाएँगे। 

लेकिन रिचेरिया, जेंसिया की इस एडवाइस को मानने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है कि, अब वह शान्ति से चादर ओढ़ कर सो जाए। वह अपनी शुरूआती बात पर अड़ी है कि, अब उसे बेल्ट से पीटो। आख़िर जेंसिया ने परेशान होकर कहा, “मैं सोच रही हूँ कि, एंबुलेंस बुलाकर तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँ या किसी सायकियाट्रिस्ट को बुलाऊँ, क्योंकि लगता है कि तुम सेल्फ़ कंट्रोल खो चुकी हो। अब तुम्हें ट्रीटमेंट की सख़्त ज़रूरत है।”

रिचेरिया ने उसकी बात पर कोई ध्यान दिए बिना ही कहा, “तुम जो चाहो वह करो। मुझे तुम्हारे किसी भी काम पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं है। लेकिन उसके पहले मैं जो कह रही हूँ वह करो। ज़्यादा नहीं, बस कुछ बार ही बेल्ट यूज़़ करो। वैसे भी आज की डेट में कोविड-१९ के पेशेंट के अलावा किसी अन्य पेशेंट के लिए न तो कोई हस्पिटल एविलेबल है, न ही डॉक्टर।” यह कहते हुए रिचेरिया ने अपने ऊपर से चादर खींचकर हटा दी। 
जेंसिया के इंकार करने पर वह पहले से भी ज़्यादा ज़िद करने लगी। उसकी इस हरकत से जेंसिया खीझ उठी है, बुरी तरह थक गई है। उसने कभी सपने में भी ऐसी स्थिति की कल्पना तक नहीं की थी। यह सोचकर वह घबरा गई कि, पिछले सत्ताईस दिन से घर में ही बंद है, कहीं यह किसी मेंटल प्रॉब्लम की तो शिकार नहीं हो गई है। 

लेकिन पीटने वाली डिमाँड तो यह सालों से करती आ रही है। स्पेशली उस दिन ज़रूर की है, जिस दिन क्लब या होटल में ड्रैग क्वीन नाइट या पब से होकर लौटी है। यह प्रॉब्लम नहीं बल्कि इसकी एक डिमांड है, जिसे यह आज हर हाल में पूरा करना चाहती है। कहीं यह सेक्ससोम्निया जैसी किसी रेयर बीमारी का तो शिकार नहीं हो गई है। 

उसमें पेशेंट नींद में सेक्स कर लेता है, इसकी बीमारी में पेशेंट अपनी पिटाई को एन्जॉय करता है। यदि यह ऐसी किसी मनोदशा की शिकार हो गई है, जिसमें कई लोग सेक्स टाइम में ख़ुद को पिटवाना पसंद करते हैं, उस दौरान पिटाई से वो एक ख़ास तरह का आनंद, संतुष्टि महसूस करते हैं, तब तो बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी। 

जेंसिया को ज़्यादा सोचने-विचारने का टाइम रिचेरिया ने नहीं दिया। उस पर इतना प्रेशर डाला कि, जेंसिया वॉर्ड-रोब से अपनी एक ड्रेस की बेल्ट निकाल लाई और चादर हटा कर लेटी रिचेरिया के बदन पर चटाक-चटाक दस-बारह बेल्ट मारी। हर बार बेल्ट उसकी छातियों, पेट, पीठ, जाँघों पर अपना निशान छोड़ती गई। 

अत्यधिक आवेश के कारण जेंसिया ने एक बेल्ट इतनी तेज़ मारी कि, वह जाँघों पर सटाक की आवाज़ के साथ मानों चिपक गई। रिचेरिया ने दर्द से कराहते हुए दोनों घुटने एकदम मोड़ कर अपनी छातियों से जोड़ लिए। दोनों हाथों से घुटनों को पकड़ लिया है, और ख़ूब तेज़-तेज़ हाँफ रही है। 

आँखें और भी ज़्यादा लाल हो गई हैं, आँसुओं से चेहरा तरबतर हो रहा है। पूरा बदन मार खा-खा कर लाल हो रहा है। उसकी हालत देखकर जेंसिया के भी ख़ूब आँसू निकल रहे हैं। वह बेड पर रिचेरिया से चिपक कर रो रही है। 

रोते हुए ही उसने पूछा, “रिचेरिया, रिचेरिया तुम्हें क्या हो गया है? आय एम सॉरी, सॉरी मैंने तुम्हें बहुत बुरी तरह पीटा है। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुम कितना भी कहती, तो भी मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। जैसे इतने दिनों तक तुम्हारी यह बात नहीं मानी थी, उसी तरह मुझे आज भी नहीं माननी चाहिए थी।”

जेंसिया उसके सिर को सहलाती हुई बोलती जा रही है, मगर कुछ देर बाद ही उसने महसूस किया कि, रिचेरिया तो सो रही है। वह सीधे बैठ गई। और बड़े आश्चर्य से उसे देखती हुई सोच रही है कि, कोई इतनी मार खाने के बाद, भला इतनी आसानी से, इतनी जल्दी कैसे सो सकता है। 

उसके दिमाग़ में बड़ी उथल-पुथल मच गई है कि, आख़िर यह हो क्या रहा है। उसने चादर उसके ऊपर डाली और बाथ-रूम में जाकर अपना हाथ-मुँह धोया, किचन में जाकर फ़्रिज से ठंडा पानी निकाल कर पिया, एक गिलास लेमन जूस लेकर बालकनी में बैठ गई। विटामिन सी, डी, से कोविड-१९ से बचाव में मदद मिलती है, यह जानने के बाद से दोनों ऐसी चीज़ें ज़्यादा से ज़्यादा यूज़ कर रही हैं, जिनसे यह मिल सकती हैं। लेमन जूस पर दोनों का ज़ोर ज़्यादा है। 

बाहर तेज़ धूप में उसकी आँखें चुँधिया रही हैं, इतनी तेज़ धूप, चमकदार नीला आसमान, सोसाइटी में पसरा पड़ा गहरा सन्नाटा वह पहली बार देख रही है। ऐसा सन्नाटा उसने एक बार जम्मू-कश्मीर में तब देखा था जब वहाँ घूमने गई थी। 

घाटी में कुछ आतंकियों ने दूसरे प्रदेश के कुछ मज़दूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसके बाद सेना ने उन्हें मुठभेड़ में ढेर कर दिया तो घाटी में उनके समर्थकों, स्लीपर सेल ने दंगा शुरू कर दिया। दंगा होते ही कर्फ़्यू लगा दिया गया। 

वह अपनी साथियों सहित होटल में क़ैद होकर रह गई थी। खिड़की की झिरी से बाहर देखने पर ऐसा ही गहन सन्नाटा दिखता था। बालकनी में ऊपर पंखा चल रहा है। लेकिन हवा गर्म है, इसलिए वह अंदर ड्राइंग-रूम में आ गई। वह इस अप्रत्याशित स्थिति से बहुत दुखी और परेशान हो गई है। उसे अपना भविष्य अंधकार से भरा दिखने लगा है। वह दो तीन बातें ही सोच रही है कि, क्या अब रिचेरिया सम्बन्ध ख़त्म करके अलग हो जाएगी, वह किसी और की ओर अट्रैक्ट हो गई है। 

जो भी हो लेकिन स्थितियाँ अब मेरे लिए अच्छी नहीं हैं। यदि ये साथ नहीं छोड़ती है तो भी प्रॉब्लम बहुत-बहुत बड़ी हो गई है। इस तरह पीटना कितना बुरा, कितना गंदा लगता है। इसे पीटने से जब मेरे हाथों में दर्द हो रहा है, तो इसे कितना दर्द हो रहा होगा। 

मगर यह कैसी है कि, इतनी मार खाकर भी आराम से सो रही है। इस बुरी तरह से पीटना अब मुझसे नहीं हो पाएगा। लॉक-डाउन ख़त्म होते ही इसे किसी साइकियाट्रिस्ट के पास ले जाऊँगी। यह एक बीमारी के सिवा और कुछ भी नहीं है। यह कितनी एग्रेसिव हो जाती है। ऐसे तो किसी दिन कोई अनहोनी हो सकती है। इसकी इतनी तकलीफ़ मैं सहन नहीं कर सकती। 

जेंसिया ने टेंशन, मन में उठते प्रश्न प्रति प्रश्न से दिमाग़ की नसें फटती हुई सी महसूस की। माइंड चेंज करने के लिए उसने टीवी पर म्यूज़िक चैनल लगाने के लिए रिमोट उठाया, तभी उसे रिचेरिया के कराहने की आवाज़ सुनाई दी। वह रिमोट टेबल पर फेंक कर तुरंत उसके पास पहुँची। 

रिचेरिया की चादर अस्त-व्यस्त हो गई है। वह गहरी नींद सो रही है, लेकिन दर्द से बीच-बीच में कराह भी रही है। जेंसिया ने देखा छाती, जाँघों पर बेल्ट के निशान स्लीपर से ज़्यादा गाढ़े हैं। स्किन तनी हुई है। यह देख कर उसकी आँखें फिर भर आई हैं। 

वह रोती हुई बुदबुदाई है, “मेरी प्यारी रिचेरिया तुमने मुझसे यह कैसा गंदा काम करवाया है। कुछ भी हो जाए, मैं जीवन में कभी यह भूल नहीं पाऊँगी। इसका दर्द हमेशा फ़ील करूँगी।”

इसी समय रिचेरिया फिर कराही तो जेंसिया उसके सिर के पास बैठ कर, एक माँ की तरह प्यार से उसके सिर को सहलाने लगी है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि, उसे कौन सी दवा दे जिससे उसका दर्द ख़त्म हो जाए। उसे कुछ न सूझा तो नारियल का तेल हर उस जगह लगाया जहाँ पिटाई के निशान थे। 

जितनी देर वह तेल लगाती रही उतनी देर उसके आँसू निकलते रहे। वह सोचती रही कि, क्या यह अपनी इस विचित्र स्थिति के कारण कई दिन से सो नहीं रही थी, और जैसे ही मन की बात हुई, सैटिस्फ़ैक्शन मिला, वैसे ही गहरी नींद में चली गई। 

उसने देखा कि तेल लगाने के बाद उसका रह-रह कर कराहना बंद हो गया है। शायद तेल से उसे काफ़ी आराम मिल गया था। वह उठ कर फिर ड्राइंग-रूम में आ गई है यह सोचती हुई कि, यह पूरी नींद सो कर उठे तो इससे पूछूँगी कि, आख़िर तुम ऐसा क्या फ़ील करती हो कि, इस बुरी तरह पिटाई को एन्जॉय करती हो। 

दूसरे आज के बाद मैं तुम पर हाथ नहीं उठाऊँगी चाहे कुछ भी हो जाए। तुम्हें मेरे साथ साइकियाट्रिस्ट के पास चलना ही होगा। मैं अपनी सारी बातों का जवाब तुमसे आज ही लूँगी। 

जेंसिया ने सोचा था कि रिचेरिया दो-तीन घंटे में उठ जाएगी, लेकिन वह देर शाम तक सोती रही। इस बीच वह बालकनी, ड्राइंग-रूम, व्हाट्सएप, फ़ेस-बुक में अपना समय काटती रही। बीच-बीच में रिचेरिया को देखती भी रही। हर बार उसके गालों को ऐसे छूती रही, जैसे कोई माँ अपने सोते हुए बच्चे को प्यार करने से, ख़ुद को न रोक पाने पर छूती है। उसने खाना भी कुछ नहीं बनाया और इधर-उधर की चीज़ें खाकर पूरा दिन निकाल दिया। 

इतना ही नहीं उसने कई बार शीशे के सामने जा-जा कर ख़ुद को ग़ौर से देखा कि, कुछ ही समय में उसमें कौन सी ऐसी कमी आ गई है कि, रिचेरिया उससे ऊब कर छुटकारा पाने के लिए परेशान है। 

रिचेरिया जब उठी तो आठ बज रहे थे। उसने नहा-धोकर कपड़े पहने और जेंसिया के पास जाकर बालकनी में उसी के बग़ल में बैठ गई। बैठते ही पूछा, “क्या कर रही हो?” 

उसने कहा, “कुछ नहीं, ऐसे में टाइम पास करने के सिवा और क्या कर सकती हूँ।”

जेंसिया ने बालकनी में लगी फ़ैंसी गुलाबी लाइट में उसे ध्यान से को देखते हुए कहा। उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि, कुछ घंटे पहले ही इसने चमड़े की बेल्ट, स्लीपर, चाँटों से इतनी मार खाई है। वह उसे देखती ही रही तो रिचेरिया ने पूछा, “क्या हुआ जेंसिया, ऐसे क्यों देख रही हो?” 

“हूँ, समझने की कोशिश कर रही हूँ कि क्या पिटाई, दर्द को भी एन्जॉय किया जा सकता है। मज़ा लिया जा सकता है। या यह सिर्फ़ तुम्हारा कन्फ्यूज़न है। तुम्हें किसी साइकियाट्रिस्ट के पास जाने की ज़रूरत है।” 

यह सुनते ही रिचेरिया हँसती हुई बोली, “जेंसिया, माय डार्लिंग तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। मुझे कब, क्या, क्यों चाहिए, वह मैं बहुत अच्छी तरह जानती-समझती हूँ। और मैं वह ले भी लेती हूँ। यह कोई बड़ी या एबनॉर्मल बात नहीं है, यह तो अपनी-अपनी च्वाइस है।”

“ठीक कह रही हो, अपनी-अपनी च्वाइस है। इसे मैं एब्नॉर्मल मान भी नहीं रही, न ही मैं परेशान हो रही हूँ। मेरी सारी परेशानी और चिंता तुम्हारी सिर्फ़ इतनी सी बात है कि, अब मेरा साथ तुम्हें बोर करता है। मेरे कारण तुम्हारी लाइफ़ में अब कोई एक्साइटमेंट ही नहीं रह गया है। मुझे इसी बात का रीज़न जानना है, यह भी कि हमारे रिलेशन का फ़्यूचर क्या है?” 

दोनों के बीच बहस ने रफ़्तार पकड़ ली है। जेंसिया बहुत तनाव में है, आक्रामक भी। लेकिन रिचेरिया एकदम कूल है और उसके तनाव, आक्रामकता को कम करती जा रही है। बीच-बीच में वह किचन से खाने-पीने की कुछ चीज़ें भी उठा ला रही है। 

बालकनी में अब हवा खुशगवार ताज़ी लग रही है, लेकिन दोनों की बातें खुशगवार नहीं हैं। जेंसिया के प्रेशर, अग्रेशन के आगे रिचेरिया को सेरेंडर करना पड़ा। उसने साफ़-साफ़ कहा, “मुझे वाक़ई बेहद दुख हो रहा है कि, तुम्हारी यह बात बिल्कुल सही है कि, हमारा रिलेशन, मेरी चेंज होती जा रही फिलिंग्स के कारण ख़तरे में पड़ गया है। 

“तुम यह तो जानती ही होगी कि, दो लोगों के बीच रिलेशन बनने के लिए मन का सबसे इंपॉर्टेंट रोल होता है। उतना ही इंपॉर्टेंट रोल हमारे शरीर का भी होता है। हमारे रिलेशन की फ़ॉउंडेशन हमारे शरीर के ही कारण पड़ी। 

“जब तुम पहली बार ऑफ़िस आई तो फ़्लैक्सिबल जींस, शॉर्ट कुर्ती में कसे तुम्हारे बदन ने मुझे एकदम सम्मोहित सा कर दिया। इसके पहले मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था। तुम्हारे बाउंस करते ब्रेस्ट ने मुझे रोमांचित आकर्षित ही नहीं किया बल्कि पहली बार सेम सेक्स फ़िगर को देखकर सेक्सुअली एक्साइटेड हुई। 

“तुम्हारे हिप्स, थाइज़ से मेरी नज़र ही नहीं हट पा रही थी। तुम्हारे ब्रेस्ट मेरे हाथों, मन में ऐसी सनसनाहट पैदा कर रहे थे, एक ही बात मन में तूफ़ान सी उठ रही थी कि, तुम्हें वहीं विज़िटर्स स्पेस में पड़े सोफ़े पर लिटा दूँ और तुम्हारे हर पार्ट्स से अपने एक्साइटमेंट को इतनी हाइट पर ले जाऊँ कि, उसके आगे कोई हाइट ही ना रहे। 

“तुम्हें शायद यह याद हो कि, मैं दिन भर तुम्हें देखने के लिए सारे काम-धाम छोड़कर तुम्हारे आगे-पीछे घूमती रही, तुम्हें कई बार किसी ना किसी बहाने से टच भी किया। तुमसे यह अट्रैक्शन क्षणिक नहीं था, यह सेकेण्ड-दर सेकेण्ड बढ़ता ही चला जा रहा था। 

“इसी का रिज़ल्ट था कि, हम डेढ़ महीने में ही रिलेशनशिप में आ गए। इसका एक रीज़न यह भी मानती हूँ कि, तुममें भी ऐसी ही फ़ीलिंग थी, इसीलिए यह रिलेशनशिप इतनी जल्दी बन पाई, अदरवाइज़ यह इतनी जल्दी पॉसिबल ही नहीं थी, बोलो क्या मैं ग़लत कह रही हूँ।” 

रिचेरिया ने काजू के कई टुकड़े मुँह में डाले और हाइलैंड पार्क व्हिस्की के स्माल पैग में से एक घूँट पी लिया। जेंसिया उसका साथ व्हाइट जॉनी वाकर के साथ दे रही है। सिगरेट दोनों की एक ही है मार्लबोरो। 

जेंसिया सिगरेट की ऐश को ऐश्ट्रे में झाड़ कर बोली, “तुम सही कह रही हो। लेकिन मुझमें ऐसी फ़ीलिंग्स तुमसे मिलने के तीन-चार दिन बाद शुरू हुई थीं, जब मैंने तुम्हारे टच में छिपी तुम्हारी फ़ीलिंग को समझा, महसूस किया। 

“मुझे दो-तीन दिन लगे समझने में। लेकिन समझते ही मैं रोमांचित हो उठी। फिर मैंने भी उतनी ही तेज़ी से तुम्हारी तरफ़ क़दम बढ़ाए, जितनी तेज़ी से तुम मेरी तरफ़ बढ़ रही थी। इसीलिए हमारे क़रीब आने की स्पीड दोगुनी हो गई। 

“लेकिन अब मेरे और तुम्हारे में चेंज यह आ गया है कि, मैं आज भी तुम्हारे लिए उतनी ही पजेसिव हूँ, जितना पहले थी। और तुम जो बातें कह रही हो, उससे मुझे यह लगता है कि, जितनी तेज़ी से तुम मेरे क़रीब आई थी, उतनी तेज़ी से अब दूर होती जा रही हो। इसलिए मैं तुमसे इसी समय वह रीज़न जानना चाहती हूँ जिसके कारण मुझसे दूर जा रही हो।”

जेंसिया ने बड़ी दृढ़ता से अपनी बात कही तो रिचेरिया उसे एकटक देखने लगी। वह देखती ही रही तो जेंसिया ने कहा, “ऐसे चुप रहने से काम नहीं चलेगा। तुमने कहा कि, मेरी फ़िगर ने तुम्हें मेस्मराइज़ कर दिया, जिसके कारण हमारे बीच यह रिलेशनशिप बनी। यानी इमोशंस नहीं फ़िगर ने रिलेशन बनाए, और अब रिलेशन ख़त्म हो रहे हैं तो इसका मतलब मेरा फ़िगर ख़राब हो गया है। 

“क्या अब मैं इतना बदल गई हूँ कि, मुझसे तुम्हें बोरियत होती है, इरिटेशन होती है। अब मेरे ब्रेस्ट, हिप्स, थाइज़, कर्वी वेस्ट तुम्हें अट्रैक्ट नहीं करते। क्या ये सब डिशेप हो गए हैं। जिन्हें देखकर तुम्हें पहले वाली फ़ीलिंग नहीं आती, पहले जैसी कोई एक्साइटमेंट नहीं पैदा होती। यदि ऐसा कुछ नहीं है तो फिर रीज़न क्या है, वह क्लियरली बताओ।” 

बात पूरी करते ही जेंसिया ने व्हिस्की का एक लंबा घूँट लिया। क़रीब-क़रीब ख़त्म हो चुकी सिगरेट को ऐश्ट्रे के उस हिस्से में बेहद अर्थ-पूर्ण ढंग से बुझाया जिस हिस्से के कारण भारत में यह ऐश्ट्रे काफ़ी चर्चा का विषय बनी रही। कई लेखकों, महिलाओं ने कटु आलोचना की। इसे रिचेरिया ने ऑन-लाइन मँगवाया था। 

जेंसिया के इस काम पर ध्यान रिचेरिया का भी गया, लेकिन उसने पहले जेंसिया के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, “जेंसिया मैं बात क्लियर कर चुकी हूँ, लेकिन लगता है कि, तुम वर्ड बाय वर्ड क्लियर करवाना चाहती हो। तो ठीक है, सुनो।”

यह कहकर उसने व्हिस्की का एक लॉर्ज सिप जल्दी से लेकर एक कश सिगरेट का लिया और बोली, “जेंसिया तुम्हारा शार्प कर्वी फ़िगर अब भी पहले जैसा ही है, बिलकुल भी डिशेप नहीं हुआ है, लेकिन पता नहीं क्यों मुझ में कोई सेंसेशन पैदा नहीं कर पाता। जानती हो अब मैं तुम्हारे साथ कोई भी एक्टिविटीज़ करती हूँ, तुम मुझे या मैं तुम्हें कहीं भी टच करूँ या कुछ भी करूँ उससे मुझ में पहले जैसा रोमांच, एक्साइटमेंट फ़ील ही नहीं होता। 

“खुद को एकदम नॉर्मल ही फ़ील करती हूँ। पहले तुम्हें चलते-फिरते या बेड पर बाँहों में जकड़ लेती थी तो एक्साइटमेंट के कारण मेरी नसें फटने लगती थीं। मन करता था कि, तुम्हें दबाकर निचोड़ डालूँ, वैसे ही जकड़े-जकड़े रात-भर सोती रहूँ, दिन-भर लिए रहूँ। 

“मगर अब मैं तुमसे गैप में रिलैक्स महसूस करती हूँ। तुम्हारे हाथ अब जब भी मुझ पर मूव करते हैं तो उन्हें तुरंत ही रोक देने का मन करता है। जबकि पहले तुम्हारी नाज़ुक सी उँगलियाँ मुझ में कहीं जाकर कुछ भी करती थीं तो मैं एक्साइटमेंट की हाइट महसूस करती थी। मुझे लगता था जैसे मैं इतनी हल्की हो गई हूँ कि, बादलों के बीच उड़ रही हूँ। 

“लेकिन अब तुम्हारे हाथों, उँगलियों की मूवमेंट के साथ ही मेरे दिमाग़ में किसी स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन की पिक्चर चलने लगती है। मेरे मन में आता है कि, काश तुम किसी तरह से फ़ीमेल से एक स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन बन जाओ। अब तुम्हारे लिप्स पहले की तरह मुझे फ़ायर नहीं करते। तुम्हारी किसी भी एक्टिविटी . . . 

इसी बीच जेंसिया बोल उठी, “से अब तुममें कोई भी फिलिंग्स पैदा ही नहीं होती, यही ना।”

“हाँ जेंसिया, तुम ठीक कह रही हो।”

“लेकिन मुझे तो अब भी तुम्हें देखने भर से ही, तुम्हारी छोटी सी छोटी मूवमेंट से भी वही एक्साइटमेंट फ़ील होती है जो फ़र्स्ट डे करती थी।”

“जेंसिया मैं यह सब अच्छी तरह जानती-समझती हूँ, लेकिन मेरी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन क्या होगा मैं वह नहीं समझ नहीं पा रही हूँ।”

रिचेरिया की यह बात सुनकर जेंसिया ने गिलास में बची क़रीब आधी पेग व्हिस्की एक बार में ही झटके से पी ली, फिर सिगरेट निकालती हुई बोली, “कैसी बात करती हो डार्लिंग, तुमने तो अपनी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन इस क्रिस्टल गिलास की तरह क्रिस्टल क्लियर बता ही दिया है।”

“नहीं जेंसिया, मैंने तो अभी ऐसा कुछ भी नहीं बताया है।”

इस बार जेंसिया कुछ मुस्कुराती हुई बोली, “रिचेरिया मैं कह रही हूँ ना कि, तुमने बिल्कुल क्लियर बता दिया है कि, अब तुम होमो नहीं रही। तुम्हें अब एक स्ट्रॉन्ग मेल पर्सन की ज़रूरत है। मेल के बारे में सोचने भर से ही तुम एक्साइटेड हो जाती हो। तुम्हें अब मेल चाहिए ही चाहिए। अब तुम उतनी ही जल्दी किसी मेल पर्सन तक पहुँचने वाली हो, जितनी जल्दी मेरे पास पहुँची थी। मैं बिल्कुल भी सरप्राइज़ नहीं होऊँगी यदि तुम इसी समय यह भी कहो कि, कोई मेल पर्सन तुम्हारी लाइफ़ में आ चुका है।”

“नहीं जेंसिया अभी तक मेरी लाइफ़ में कोई भी मेल पर्सन नहीं आया है।” 

“कोई बात नहीं, नहीं आया है तो जल्दी ही आ जाएगा। एक्चुअली प्रॉब्लम मेरे सामने है और यह उतनी ही बड़ी है जितनी कि, दुनिया के लिए यह कोविड-१९ बीमारी। अब मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, क्या मुझे कोई लाइफ़ पार्टनर मिलेगी भी? तुम्हारे साथ आने के बाद तो अब मुझे किसी भी मेल पर्सन की तरफ़ देखने की भी इच्छा नहीं होती। मेरी इस प्रॉब्लम का क्या सॉल्यूशन है, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।”

बात पूरी करते-करते जेंसिया बहुत गंभीर हो गई। उसे इस तरह परेशान देखकर रिचेरिया ने कहा, “सुनो जेंसिया, तुम्हें बिल्कुल भी परेशान होने की या कहीं भी जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। यह फ़्लैट और बिज़नेस जितना मेरा है, उतना ही तुम्हारा भी है। तुमसे बाक़ायदा मैरिज की है, हर चीज़ पर तुम्हारा उतना ही अधिकार है, जितना कि मेरा। हम एक साथ ही रहेंगे। तुम कहीं नहीं जाओगी।”

“नहीं रिचेरिया यह पॉसिबल नहीं है। यहाँ तुम अपने नए पार्टनर के साथ रहोगी, मेल पार्टनर के साथ। ऐसे में मैं भी यही रहूँ यह मेरे लिए बहुत ही ऑड पोज़ीशन होगी, मैं वह फ़ेस नहीं कर पाऊँगी।”

“सुनो जेंसिया ऐसी कोई भी ऑड पोज़ीशन नहीं होगी। इतना बड़ा फ़्लैट है, तुम अपना मन-पसंद स्पेस ले लो। अपने हिसाब से रहो। और मैं तो यह भी कहती हूँ कि, कभी तुम्हारा भी मूड हुआ, तो तीनों मिलकर लाइफ़ को एंजॉय करते रहेंगे।”

रिचेरिया आख़िरी सेंटेंस बोलती हुई काफ़ी अर्थ-पूर्ण ढंग से मुस्कुराई, तभी जेंसिया थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोली, “बस करो रिचेरिया, हर चीज़ की एक लिमिट होती है। मैं होमो हूँ, होमो ही रहूँगी। मैं मेल पर्सन से दूर रहना पसंद करती हूँ, इसीलिए मुझे बायसेक्सुएल्टी से भी घृणा है। 

“मैं एक सेकेण्ड को भी बर्दाश्त नहीं कर सकती कि कोई मेल पर्सन मुझे छुए, उसके हाथ मेरे शरीर के हर हिस्से में पहुँचे, उसका कोई पार्ट मुझ में अपना वेस्ट डिस्चार्ज कर आराम से सो जाए और मैं, छी . . . मैं या तो कॉन्ट्रासेप्टिव यूज़ करूँ या हर साल नौ महीने प्रेगनेंट रहूँ, मटके जैसा पेट लेकर घूमूँ। 

“अपनी लाइफ़ ख़तरे में डालकर बच्चे पैदा करूँ, रात-रात भर जाग कर उनकी पॉटी साफ़ करूँ, उन्हें दूध पिला-पिला कर अपने ब्रेस्ट को थुल्ल-थुल्ल झोले जैसा होते देखूँ, यही हाल पेट का, बल्कि सारे शरीर का हो जाएगा। पूरा फ़िगर चौपट हो जाएगा। उन्हें अगले बाइस-तेईस साल तक पालूँ, उनका करियर बनाऊँ, दुनिया-भर की टेंशन सिर पर लूँ, अपनी तो कोई लाइफ़ ही नहीं रहेगी। 

“तुमने जब साल डेढ़ साल पहले ही बच्चे अडॉप्ट करने की बात कही थी, तब भी मैंने कहा था कि, यह सिर्फ़ हमारे लिए नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी पेन-फुल लाइफ़ होगी जिन्हें हम अडॉप्ट करेंगे। स्कूल में उनके एडमिशन से लेकर, जब भी, जहाँ कहीं भी जाएँगे तो हर जगह उन्हें होमोज़ चाइल्ड कहकर लोग चिढ़ाएँगे, क़दम-क़दम पर समस्याएँ आएँगी। लेकिन फिर भी तुम जिस तरह पीछे पड़ी थी, यदि एलजीबीटीक्यू के लिए बच्चे अडॉप्ट करना लीगली प्रोहिबिटेड नहीं होता तो अब-तक तुम अडॉप्ट कर चुकी होती। 

“कोर्ट ने हमारे रिलेशन को स्वीकार किया है, क़ानूनी अधिकार दिया है। समाज ने नहीं। और मैं किसी तरह का पेन लेकर ज़िन्दगी नहीं जीना चाहती। जो पसंद करती हूँ वही जिऊँगी। वही करूँगी। जैसे यह मेल डोमिनेट सोसाइटी करती है। मेल्स के लिए औरतें एक ऑब्जेक्ट से ज़्यादा और कुछ नहीं है। उसका प्रमाण यह सामने रखा सिगरेट ऐश्ट्रे है। देखो डिज़ाइनर ने इसे कैसा डिज़ाइन किया है, अपने दोनों पैरों को पूरा फैलाए हुए, प्राइवेट पार्ट को शो करती नेकेड लेडी। 

यह कोई आर्ट नहीं, उनकी डर्टी मेंटैलिटी का प्रतीक है। लेडी के प्राइवेट पार्ट में जलती सिगरेट रगड़ कर बुझाएँ। इस डर्टी ऐश्ट्रे को लेते हुए तुमने पता नहीं क्या सोचा, लेकिन इसे देखते ही मेरे दिमाग़ में एक ही पिक्चर घूमती है कि, कोई बीमार मानसिकता का मेल एक विवश स्त्री के प्राइवेट पार्ट में सिगरेट . . . ओह शिट-शिट। इसलिए मैं होमो हूँ, होमो ही रहूँगी।”

इतना कहकर जेंसिया खड़ी हो गई। उसके चेहरे पर कुछ अजीब से भाव आ गए हैं। उसने एक हाथ रिचेरिया की तरफ़ ऐसे बढ़ाया कि वह उसे पकड़ कर खड़ी हो जाए। रिचेरिया सम्मोहित सी उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई तो जेंसिया उसे लेकर कर अंदर चल दी। बालकनी की लाइट ऑफ़ कर दी। रिचेरिया ने पूछा, “क्या हुआ, कहाँ चल रही हो?” 

जेंसिया कुछ रहस्यमयी स्वर में बोली, “बेड-रूम में। तुम दिन भर सोई हो, मैं देर से उठी हूँ। मैं आज रात-भर अपनी कैपेबिलिटी चेक करूँगी। तुममें पहले जैसा एक्साइटमेंट पैदा करने की कोशिश करूँगी। देखूँगी कि मेरे दहकते होंठ, तुम्हारे होंठों को दहका पाते हैं कि नहीं। 

“जब-तक लॉक-डाउन है, तब-तक मैं यह एफ़र्ट करती रहूँगी। लॉक-डाउन के बाद मैं उस लॉक को भी हमेशा के लिए ओपन कर दूँगी, जिसके कारण हम रिलेशन में हैं। तब-तक तुम जितनी बार कहोगी, मैं तुम्हें उतनी ही बार बेल्ट, स्लिपर्स जिससे भी कहोगी, जहाँ-जहाँ कहोगी, वहाँ-वहाँ पीटूँगी।” 

जेंसिया बालकनी से अंदर आते ही रिचेरिया को बाँहों में भरती, उसके, अपने कपड़े निकाल-निकाल कर इधर-उधर फेंकती हुई अपनी बात कहती जा रही है। वह बहुत ही ज़्यादा आक्रामक होती जा रही है। रिचेरिया ने जैसे ही कहा, “नहीं, अभी नहीं, अभी और मूड नहीं है।” वैसे ही जेंसिया ने उसके होंठों को अपने दाँतों के बीच में दबा लिया। दोनों ही एक-दूसरे में गुँथी-गुँथी बेड पर जा गिरीं। अचानक ही बेड-रूम एक तेज़ चाँटे की आवाज़ से गूँज उठा। 

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टिप्पणियाँ

Pradeep Shrivastav 2022/12/19 08:04 PM

धन्यवाद शैली जी.

shaily 2022/12/19 07:25 PM

नया विषय है, सम्भवतः हिन्दी में ऐसे विषय पर लिखी जाने वाली यह पहली कहानी हो। ऐसी बातों के लिए जागरूकता लाना अच्छी बात है। एक साहसिक कहानी के लिए साधुवाद।

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