अल्फ़ाज़
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'1 Mar 2021
उग्र हुए
तो जला कर राख कर डाले
रिश्ते कई,
नम्र हुए
तो प्रेम की गंगा बना बहा डाले
नाते कई,
उग्र हुए
तो युद्ध करवा बर्बाद कर डाले
साम्राज्य कई,
नम्र हुए
तो प्रेम से आबाद कर डाले
राम-राज्य कई,
इंसान के अल्फ़ाज़ों में
शक्ति है सर्वप्रिय उसे बनाने की
या फिर
उसे सबसे घृणित ठहराने की।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}