कुछ व्यवहारिक बातें
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'1 Apr 2021 (अंक: 178, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
चाय में चीनी चाहे बहुत हो
मगर पीने में मीठी ना लगेगी,
अगर कड़वाहट हो कोई
पिलाने वाले के मन में तो।
भोजन में घी-तेल चाहे बहुत हो
मगर खाने में रूखा ही लगेगा,
अगर शिकन से भरा हो
खिलाने वाले का चेहरा तो।
घर में सुविधाएँ चाहे बहुत हों
मगर फिर भी जी ना लगेगा,
अगर प्रेम ना हो आपस में
रहने वालों के दिल में तो।
रिश्तेदार क़रीबी चाहे बहुत हो
मगर कोई अपना ना लगेगा,
अगर ज़रूरत के समय वो
मुँह मोड़ ले हमसे जो तो।
इंसान कामयाब चाहे बहुत हो
मगर इज़्ज़तदार ना बनेगा,
अगर व्यवहार उसका सबसे
सम्मान के क़ाबिल ना हो तो।
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