रौंग नम्बर
कथा साहित्य | लघुकथा वीणा विज ’उदित’10 May 2014
"हैलो! मैं मुम्बई से बोल रही हूँ। इंटरनेट पर पाईन लॉज का ब्लॉग देखा। पसंद आया। क्या २० जुलाई से २३ जुलाई तक की बुकिंग मिल जाएगी? बाय द वे, आप कौन?"
"मैम, मैं यहाँ का मालिक देव। आप कितने लोग हैं?" देव ने कहा (पचपन-साठ के करीब उम्र, लेकिन देखने में कम)।
"आई एम अलोन,चलेगा न!"
भला देव को क्यूँ एतराज़ होगा? ग्राहक मिल रहा है। उसने नम्बर देते हुए कहा कि आप इस नम्बर पर कुछ एडवाँस जमा करा दीजिएगा।
इस पर वह और मधुर आवाज़ में बोली, "देव साहब, मैं खुद आ रही हूँ न! आते ही पेमेंट कर दूँगी। प्लीज़ डोन्ट वरी।"
अगले दिन -
"हैलो, देव! मैं बोल रही हूँ, मुम्बई से। पहचाना?"
इस पर देव ने मुस्कुराते हुए लहज़े में कहा, "श्योर! कहिए"
"असल में मैं कश्मीर घूमने आ रही हूँ। आप मुझे गाईड करेंगे न! (वो देव साहब से देव पर आ गई थी)
देव ने तपाक से उत्तर दिया, "आई विल बी ऐट योर सर्विस मैडम!"
अगले दिन -
"हैलो, हैलो! हाय देव, मैं बोल रही हूँ सुहाना। मैं कल मुम्बई से चल रही हूँ। जम्मू पहुँचकर तुम्हे कॉन्टेक्ट करूँगी। फिर जैसे तुम कहोगे।"
(वह ‘आप’ से ‘तुम’ पर आ गई थी)
देव को लड़की काफ़ी तेज़ लगी। लेकिन ग्राहक तो ग्राहक ही है। देव ने भी कहा, :यू आर ऑलवेज़ वैलकम!"
"ओ.के. सी यू देन।"
"आई एम लुकिंग फ़ॉरवर्ड। ऑल द बेस्ट मैम!" - देव ने जवाब दिया।
२० जुलाई की सुबह–
"हैलो ! हाय देव, (उत्साहित) मैं जम्मू पहुँच गई हूँ। अब टैक्सी कर लूँ क्या? बाई नून आई विल बे विद यू। ओ.के. सी यू बॉय..."
देव ने झट हामी भर दी। भला उसे क्यूँ एतराज़ होगा। हाँ, उसने इतना ज़रूर कहा कि श्रीनगर की बजाय पहलगाम की टैक्सी लेना।
आधे रास्ते से फोन….
"हैलो देव मैं तुमसे एक घंटे की दूरी पर हूँ। यानी मैं खन्नाबल पहुँच गई हूँ। सी यू…"
उसकी बेतकल्लुफी बढ़ती ही जा रही थी, उसकी बेताबी ने देव को परेशानी में डाल दिया था। पता ही नहीं चला कब घंटा बीत भी गया।
तभी एक टैक्सी गेट से भीतर दाखिल हुई, तो होटल के अटैंडंट ने आगे बढकर हर कस्टमर की तरह उसे भी वैलकम किया और टैक्सी का दरवाज़ा खोलने लगा कि तभी देव साहब भी बाहर निकल आए व मुस्कुराकर आगे बढ़ते हुए बोले, "वैलकम मैडम!"
दरवाज़ा न खोलते हुए वो भीतर से ही बोली, "देव कहाँ हैं?"
"मैं आपके सामने हूँ मैडम," देव ने मुस्कुराकर कहा।
देव को ऊपर से नीचे तक देखते हुए ,उसकी उम्र का अंदाज़ा लगा –शायद उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था।वो सकपकाते हुए, ठंडीआवाज़ में बोली, "आर यू द पर्सन टू हूम आई वाज़ टॉकिंग टू - देव...??"
"यस मैम..." देव ने कहा।
इस पर कार का दरवाज़ा फटाक से बंद कर के उसने ड्राइवर से कहा, "दूसरे होटल चलो!"
टैक्सी के गेट से बाहर निकलते ही देव आज की माँर्डन लड़कियों की फितरत पर मुस्कुरा भर दिए। जबकि सारा स्टाफ़ हैरान था।
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