हम वहीं हैं
कथा साहित्य | लघुकथा महेश कुमार केशरी15 Jun 2022 (अंक: 207, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
नेताजी के क़ाफ़िले की रफ़्तार और शोर जब कुछ थमा, तो चाय पीते हुए गोविंद ने टपारी पर के छोटू से पूछा, “अच्छा बेटा बताओ, इस बार कौन जीतेगा . . .? हमारा पक्ष या विपक्ष . . .”
छोटू ने अपने खुरदरे हाथों से चाय का ग्लास उठाते हुए कहा, “भैया, चाहे पक्ष जीते या विपक्ष। हम आज भी वहीं हैं। जहाँ कल थे।”
गोविंद बची हई चाय बहुत मुश्किल से हलक़ के नीचे उतार पाया।
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