शिक्षक तो अनमोल है
काव्य साहित्य | दोहे प्रियंका सौरभ15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
नूर तिमिर को जो करें, बाँटे सच्चा ज्ञान!
मिट्टी को जीवित करें, गुरुवर वो भगवान!!
भरें प्रतिभा, योग्यता, बुनता सभ्य समाज!
समदृष्टि, सद्भाव भरें, पूजनीय ऋषिराज!!
जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान!
गुरुवर तब सम्बल बनें, होते बड़े महान!!
धैर्य और विवेक भरें, करते दुर्गुण दूर!
तप, बल से निर्मित करें, सौरभ निर्भय शूर!!
नानक, गौतम, द्रोण संग, कौटिल्या, संदीप!
अपने-अपने दौर के, मानवता के दीप!!
चाहत को पर दे यही, स्वप्न करे साकार!
शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार!!
शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम मत तोल!
मीठे हैं परिणाम बहुत, कड़वे इसके बोल!!
गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान!
सौरभ जिसे गुरू मिले, ईश्वर का वरदान!!
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