जंगल की इज़्ज़त
कथा साहित्य | लघुकथा मुकेश कुमार ऋषि वर्मा1 Nov 2019
सारा आदिवासी समुदाय फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर के अत्याचारों से कराह रहा था। वो जब भी जंगल में राउंड मारने आता, तब ही उसे एक नई लड़की चाहिए होती। जंगल की इज़्ज़त ख़तरे में पड़ गई। इस बार उसकी नज़र हिरनो पर पड़ी। हिरनो साँवली ज़रूर थी, पर उसके जैसा सुंदर - भरा हुआ बदन शायद ही पूरे आदिवासी समुदाय की किसी लड़की का हो। उसकी सुंदरता पर लट्टू होकर ही फ़िल्म निर्माता रघुवर कपूर ने उसे अपनी आगामी फ़िल्म ऑफ़र की थी, परन्तु हिरनो अपना गाँव नहीं छोड़ना चाहती थी और इसी वज़ह से उसने रघुवर कपूर का ऑफ़र ठुकरा दिया। ख़ैर रघुवर कपूर अपना प्रोजेक्ट पूरा करके मुंबई चले गये और जाते-जाते अपना कार्ड दे गये, ताकि जब कभी हिरनो का मन फिरे तो वह सीधे मुंबई चली आये। लेकिन हिरनो का मन कभी फिरा नहीं।
देर रात चार-पाँच जल्लाद खाकी पहने, नक़ाब से चेहरा ढके हिरनो की झोपड़ी में कूद गये और उसे जबरन उठाकर फ़ॉरेस्ट ऑफ़िसर के सामने पटक दिया। सारी रात सरकारी गैस्ट हाउस हिरनो की दर्दभरी चीखों से गूँजता रहा। सुबह उसकी लाश झरने के पानी में तैरती हुई देखी गई. . .।
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, हिरनो जब झरने से पानी लेने गई होगी तब उसका पैर फिसल गया होगा और वो गहरे पानी में चली गई होगी। इस तरह पानी में डूबने से उसकी मृत्यु हो गई। और इसी के साथ हिरनो की फ़ाइल बंद हो गई। न जाने ऐसी कितनी अनगिनत हिरनो सरकारी फ़ाइलों में दबकर दफ़न हो चुकी हैं।
लेकिन जंगल की इज़्ज़त के साथ यह खेल आज भी अनवरत चल रहा है और पता नहीं ये कब तक चलता रहेगा. . .।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अपने तो अपने होते हैं
- आयी ऋतु मनभावन
- आस्तीन के साँप
- इंतज़ार
- इष्ट का सहारा
- ईश्वर दो ऐसा वरदान
- ऐ सनम मेरे
- कवि की कविता
- कृषक दुर्दशा
- गुलाबी ठंड
- चिट्ठियों वाले दिन
- जल
- दर्द
- दीप जलाएँ
- धरती की आस
- धोखा
- नव निर्माण
- नव वर्ष
- पछतावा
- पहाड़
- पुरुष
- प्रणाम बारम्बार
- प्रार्थना
- प्रिय
- बसंत आ रहा
- भारत गौरव
- मनुष्य और प्रकृति
- मेरा गाँव
- मेरा भारत
- मेरा हृदय लेता हिलोरे
- मेरी कविता
- मेरी कविता
- यादें (मुकेश कुमार ऋषि वर्मा)
- वृक्ष
- सच्चा इल्म
- सावन में
- हादसा
- हे ईश्वर!
- हे गौरी के लाल
- हे प्रभु!
- ज़िन्दगी
चिन्तन
काम की बात
किशोर साहित्य कविता
लघुकथा
बाल साहित्य कविता
वृत्तांत
ऐतिहासिक
कविता-मुक्तक
सांस्कृतिक आलेख
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं