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क्या जवाब दोगे..

दिल की
गहराइयों में
पनपता
बेपनाह दर्द
जब पूछेगा तुम से
अपने होने का सबब
क्या जवाब दोगे तुम?

उदास पलकों पे मचलता
हरदम
ये ग़मगीन
आँसुओं का सैलाब,
जब पूछेगा तुम से -
अपने उमड़ने की वज़ह
क्या जवाब दोगे तुम?

घोर निराशा की क़ब्र में
दफ़न हुई
मेरे अरमानों की लाश
जब पूछेगी तुमसे
अपनी मौत का कारण
क्या जवाब दोगे तुम?

साँस दर साँस
उठता गिरता
लगातार
ग़मों का तुफ़ान
जब पूछेगा तुमसे
अपने उठने गिरने का मतलब
क्या जवाब दोगे तुम?

और
जवाब दे भी क्या सकते हो तुम
तुमने तो बस लिख डाली
रंजो ग़म की स्याही से
इस ज़िन्दगी की किताब
हर कदम इसमें उठते हैं
अनगिनत सवालों को
फिर क्या दे सकते हो तुम जवाब?

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