एक नई सोच
काव्य साहित्य | कविता ममता मालवीय 'अनामिका'1 Jan 2020
न कोस अपनी क़िस्मत को,
क्यों तुझे दर्द मिला।
तू क़ाबिल अगर होगा ,
तो क़िस्मत को देगा हरा।
बस छोड़ दे उन नुमाइंदो को,
जो तेरे क़ाबिल नहीं।
रख भरोसा ख़ुद पर,
तू पाएगा कुछ नया।
देगा ख़ुदा वही ,
जिसका तू सही हकदार है।
बस सब्र का दामन थाम,
अपने कर्म करता जा।
न कोस अपनी ज़िंदगी को,
क्यों तुझे धोखा मिला।
तू क़ाबिल अगर होगा तो,
ख़ुद भरोसे का महल देगा बना।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
लघुकथा
कहानी
स्मृति लेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}