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आँचल

जब माँगी होगी एक स्त्री ने
ख़ुदा से
दर्द को तुरंत कम करने की औषधि–
तब ईश्वर ने उसे नज़राने में
एक कोमल आँचल दिया होगा।
 
जब लगाया होगा एक स्त्री ने
शिशु को अपने दामन से–
तब ईश्वर ने उसके करों की
थपकी में,
सुकून का अमृत दिया होगा।
 
जब टूट कर बिखरे किसी पुरुष ने
ख़ुद को हताश पाया होगा–
तब एक स्त्री ने,
अपने इसी आँचल तले,
उसकी पीड़ा पर मरहम लगाया होगा।
 
जब बहा दिये होंगे उस पुरुष ने 
अपने पीड़ा युक्त अश्रुजल–
तब एक स्त्री ने,
इन्हीं अश्रु कणों को,
अपने आँचल का तारा बनाया होगा।
 
जीवन के हर ख़ुशी और ग़म में,
प्रत्येक पीड़ा पर उसने
एक ही उपचार चलाया होगा।
आँचल के एक सिरे पर गाँठ बाँध कर,
स्त्री ने हर भय को दूर भगाया होगा।

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