ये नौकरी देने वाला एटीएम कब आएगा!
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी सुदर्शन कुमार सोनी15 Dec 2024 (अंक: 267, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
हाल ही का समाचार है कि भुवनेश्वर में एक अनाज देने वाला एटीएम शुरू हो गया है। जो पाँच मिनट में पचास किलो अनाज देता है। इसकी ख़ूबी—ग़लती होने की गुंजाइश दशमलव अंक में है। बड़ी उम्दा बात है। कम से कम उचित मूल्य दुकान की ग़रीबों के हिस्से के अनाज में डंडी मारने से तो छुटकारा मिलेगा।
सबसे पहले दिल्ली में अस्सी नब्बे के दशक में मदर डेयरी का मिल्क एटीएम देखा तो आश्चर्यचकित हुआ था कि दूध वो भी एटीएम से निकल रहा है। इधर सिक्का डाला उधर दूध गिरना शुरू। हवाई अड्डे में कई तरह के एटीएम मिल जाएँगे कोई चिपस् का पैकेट गिरा रहा है तो कोई शीतल पेय की बॉटल दे रहा है। कहीं सब्ज़ी भाजी फल/फूल से फ़ुल एटीएम भी है कि पैसा अंदर और मनपसंद सब्ज़ी/फल बाहर। पेटस् फ़ूड के एटीएम भी आ गए हैं। विदेश में कहीं गोल्ड एटीएम का सुना तो लगा कि एटीएम का स्वर्णिम युग आ गया है। हैदराबाद में ’गोल्ड सिक्का एटीएम’ 2022 में शुरू हुआ जो 100 ग्राम तक के स्वर्ण सिक्के भुगतान अंदर होने पर बाहर निकालता है। किसी ज्वैलर के यहाँ जाने की ज़रूरत ही नहीं।
सेनेटरी नेपकिन्स एटीएम व कंडोम वेंडिंग मशीन तो पुरानी बात हो गई।
कल के दिन मेडिसिन एटीएम आ सकता है। राऊंड दा क्लॉक फार्मेसी खोलने की ज़रूरत नहीं ये एटीएम ज़्यादा बेहतर सेवा दे पाएगा। सरकार सब तरह की सबको सुविधा दे रही है। बस देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं की सालों की समस्या पर किसी का गंभीर ध्यान नहीं है।
हम शिक्षित युवा बेरोज़गार हैं। जीवन में कुछ कर गुजरने; आगे बढ़ने की बहुत आंकाक्षा है। ये नाना प्रकार के एटीएम के बारे में सुनकर जानकर मन प्रफुल्लित होता है। पर हमारे मन की बात है कि काश एक एटीएम ऐसा होता कि जिसमें हमारे जैसे शिक्षित युवा बेरोज़गार इधर अपना रेज़्यूमे डालते और उधर नौकरी का ऑफ़र लेटर निकल कर आता। मान लिया कि मुश्किल काम है। लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं है। बडे़-बडे़ उद्योगपति जो कि अपने यहाँ के एक विवाह समारोह में 5000 करोड़ फूँक देते हैं तो ऐसा एटीएम क्यों नहीं लगा सकते हैं। यह कुछ तो नौकरियाँ देगा। हाँ जब इस एटीएम की नौकरियों का कैश ख़त्म हो जाए तो व्यवस्था ऐसी व्यवस्था करे कि इसमें नौकरियों रूपी कैश फिर से भर दिया जाए।
मैं तो उम्मीद करता हूँ कि सरकार जो कि सुबह उठते से रात सोते तक किसी न किसी रूप में टैक्स लेकर हमारे जेब में डाका डालती रहती है। कम से कम अपना नौकरियों का एटीएम शुरू कर दे। क्यों नहीं शुरू कर सकती? जीएसटी कलेक्शन लाखों करोड़ का हो रहा है। मुफ़्त की रेवड़ी लाखों करोड़ की बाँट रही है यहाँ कटौती कर दे तो हमें क्या नौकरी नहीं दे सकती? हम मुफ़्त की कौन माँग रहे हैं? आप जितना दोगे उसका दूना काम करके देने को तैयार हैं। बस हमें एक बार मौक़ा तो दीजिए। अब हमारी उम्र चुकती जा रही है। आपका पर कैरियर उम्र के साथ चमकता जा रहा है। हमारे मन की बात है कि एक बार कोशिश मन से हो जाए।
हम शिक्षित युवा बेरोज़गार हताश हैं; प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठ-बैठ कर। ओला व उबर चला कर, जोमेटो, ब्लिंकट, ऐमज़न के पार्सल डिलीवर कर-करके हम थक गए हैं। हमें ठीक-ठाक नौकरी चाहिए क्योंकि हमारे पास खेती की ज़मीन नहीं। हमारे बापू का कोई व्यवसाय नहीं। कोई रिश्वती संचित दौलत भी नहीं कि हम ढंग का कोई व्यवसाय कर सकें। हमारे पास केवल डिग्री है। हम वादा करते हैं कि आप झाड़ू लगाने की, चौकीदारी की या कैसी भी नौकरी देंगे तो हम न नहीं करेंगे।
हम जनता का, वोटों का, एटीएम सतत अपना कार्य कर रहा है। इधर हमारा वोट डलता है उधर आपकी सरकार आती है। लेकिन हर बार आश्वासनों के एटीएम से नौकरी निकलने का वादा, वादा ही रह धरातल पर काम नहीं करता।
वो स्वर्णिम दिन कब आएगा? जब होगा एक अदद एटीएम नौकरी का। हम इधर ख़ुशी-ख़ुशी रेज़्यूमे डालेंगे और उधर ऑफ़र लेटर बाहर आ जाएगा।
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