युद्ध तुरंत बंद कीजो: श्वान समुदाय की पुतिन से अपील
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी सुदर्शन कुमार सोनी15 Apr 2022 (अंक: 203, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
यूक्रेन युद्ध को माह भर से ऊपर हो गया है। चाहे जब चाहे जहाँ भयानक बम व मिसाइलें गिर रही हैं। निर्दोषों की रोज़ बलि चढ़ रही है। बहुमंज़िला इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह रही हैं। शहर-शहर मलबे का ढेर लग गया है। आधा करोड़ के लगभग लोगों को यूक्रेन छोड़ कर भागना पड़ा। लोगों को अपने प्यारे कुत्तों को छोड़कर भागना पड़ा है। लेकिन पुतिन हैं कि रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
आपसे न जाने कितने लोगों ने युद्ध रोकने की अपील की लेकिन आप पर कोई असर पड़ता नहीं दिखता। आप श्वान प्रेमी हैं अब हम श्वान समुदाय आप से पूँछबद्ध होकर निवेदन करते हैं।
हमारे भाई बंधु भी बड़ी संख्या में बम धमाकों के डर से बंकरों में छिपे पडे़ हैं। बहुत से तो दहशत में प्राण छोड़ चुके। हम श्वानों की भौं-भौं व हिलायमान पूँछ से आबाद रहने वाले घर व सड़कें आज सूनी हैं। भोजन पानी का ठिकाना तक नहीं है हड्डी तो शान्ति की तरह ’बड्डी चीज़’ हो गई है। हमने ऐसे भीमकाय टैंक, ऐसी आगजनी कभी देखी नहीं। न जाने हमारी वफ़ादार क़ौम के भी कितने मलबे में दब मर गये।
युद्ध के माहौल में हम पूँछ तक नहीं हिला पा रहे हैं! आपने मन में पूछा कभी कि ये कितनी बड़ी सज़ा होती है एक श्वान के लिये! कहा जाता है कि हमारी दुम को बारह साल भी पोंगड़ी में डालो तब भी सीधी नहीं होती! लेकिन आपको पता है यूक्रेन के कितने शहरों में आपकी मिसाइलों और बम की गर्जना से हमारी पूँछ डर के मारे जो नीची हुई तो ऊपर होने का नाम ही नहीं ले रही। जैसे कि आपकी सोच को लकवा मार गया वैसा ही कुछ हमारी पूँछ के साथ लगता हो गया। अनेक लोग हमें इतना प्यार करते थे कि वे हमेंं भी हमराह बना कर ले गये। पर कुछ अभागे हैं जो अकेले रह गये दुबके पडे़ ख़ौफ़ की ज़िन्दगी जी रहे हैं। एक-एक पल एक-एक युग लग रहा। आपके हवाई जहाज़ों उनकी मिसाइलों व बम की गर्जना से जीते जी वे लाश बने हुए हैं। आप बग़ैर युद्ध के नहीं जी सकते और हम युद्ध में नहीं जी सकते!
जर्मनी की पूर्व चांसलर मर्केल जब आयीं थी तो आपने अपने प्रिय डाॅग कोन्नी को भी साथ रखा था। आप इससे इतना प्रेम करते थे कि कोन्नी क्रेमलिन कि मीटिंगों में भी उपस्थित रहती थी। उसकी मौत पर सरकारी नोट जारी हुआ था। अब फिर ऐसी निर्दयता क्यों? आपके पास अभी भी हमारी क़ौम के कई वफ़ादार हैं जिनको आप बहुत प्यार करते हैं। पर यूक्रेन युद्ध में आप ये सब भूल गये।
बैंड बाजों की, पिद्दी पटाखा बम की आवाज़ से दीवाली न्यू ईयर में हमेंं डर लगता है। और आपके ये बम जब फटते हैं तो हमारे कान के पर्दे फटे जाते हैं। युद्ध के बाद यूक्रेन के आधे से ज़्यादा कुत्ते बहरे हो चुके होंगे। पर आप क्यों मानवता की पुकार पर बहरे बनते हो। श्वानों के लिये कम से कम एक दिन का युद्धविराम कर दिया जाये।
आप मोदी जी को अपना अज़ीज़ दोस्त मानते हो तो युद्ध की ज़िद छोड़ो। उन्होंने कृषि क़ानून लागू करने की ज़िद किसानों की ज़िद के आगे छोड़ दी। आप भी अपने इस यूक्रेन को कब्ज़ाने के युद्ध क़ानून को निरस्त कर दो। हाथ जोड़ कर विश्व बिरादरी से माफ़ी माँग लीजिए कि ये ज़ेलेंस्की, ये अमेरिका ये नाटो को मैं अपनी बात नहीं समझा पाया। पर मैं ऐसी बरबादी अब और नहीं देख सकता। इसलिए इस युद्ध को एकतरफ़ा ख़त्म कर रहा हूँ। वैसे भी पुतिन जी आपको क्या खोना है क्रीमिया के बाद आपकी झोली में अभी डोनेक्स व लोहांस्क भी आ गये हैं।
ज़ेलेंस्की को आप वार्ता टेबल पर बुला लो। अपने प्रिय डाॅग को भी सामने ही रखो, हो सकता है कि हमारी क़ौम के एक नुमाइंदे के कारण आपके मन में सकारात्मक विचार आ जाएँ। ज़ेलेंस्की भी, हो सकता है दुनिया के चौधरी के दम पर ताल ठोंकना बंद कर दे। दुनिया को परमाणु युद्ध की कगार पर ला खडे़ किये इस यूक्रेन युद्ध का अंत तुरंत करना आपके हाथ है।
आज हम मूक प्राणियों के वास्ते ही सही, कल ही युद्ध समाप्त की घोषणा कर दें।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
60 साल का नौजवान
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | समीक्षा तैलंगरामावतर और मैं लगभग एक ही उम्र के थे। मैंने…
(ब)जट : यमला पगला दीवाना
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | अमित शर्माप्रतिवर्ष संसद में आम बजट पेश किया जाता…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- एनजीओ का शौक़
- अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद प्रशिक्षण व शोध केन्द्र
- अगले जनम हमें मिडिल क्लास न कीजो
- अन्य क्षेत्रों के खिलाड़ियों के गोल्ड मेडल
- असहिष्णु कुत्ता
- आप और मैं एक ही नाव पर सवार हैं क्या!
- आम आदमी सेलेब्रिटी से क्यों नहीं सीखता!
- आर्दश आचार संहिता
- उदारीकरण के दौर का कुत्ता
- एक अदद नाले के अधिकार क्षेत्र का विमर्श’
- एक रेल की दशा ही सारे मानव विकास सूचकांको को दिशा देती है
- कअमेरिका से भारत को दीवाली गिफ़्ट
- कुत्ता ध्यानासन
- कुत्ता साहब
- कोरोना मीटर व अमीरी मीटर
- कोरोना से ज़्यादा घातक– घर-घर छाप डॉक्टर
- चाबी वाले खिलौने
- जनता कर्फ़्यू व श्वान समुदाय
- जियो व जीने दो व कुत्ता
- जीवी और जीवी
- जेनरेशन गैप इन कुत्तापालन
- टिंडा की मक्खी
- दुख में सुखी रहने वाले!
- धैर्य की पाठशाला
- नयी ’कोरोनाखड़ी’
- नये अस्पताल का नामकरण
- परोपकार में सेंध
- बेचारे ये कुत्ते घुमाने वाले
- भगवान इंसान के क्लासिक फर्मे को हाईटेक कब बनायेंगे?
- भोपाल का क्या है!
- भ्रष्टाचार व गज की तुलना
- मल्टीप्लेक्स और लुप्तप्रायः होता राष्ट्रीय चरित्र
- मार के आगे पति भी भागते हैं!
- मुर्गा रिटर्न्स
- युद्ध तुरंत बंद कीजो: श्वान समुदाय की पुतिन से अपील
- ये भी अंततः गौरवान्वित हुए!
- विज्ञापनर
- विदेश जाने पर कोहराम
- विवाद की जड़ दूसरी शादी है
- विश्व बैंक की रिपोर्ट व एक भिखारी से संवाद
- शर्म का शर्मसार होना!
- श्वान कुनबे का लॉक-डाउन को कोटिशः धन्यवाद
- संपन्नता की असमानता
- साम्प्रदायिक सद्भाव इनसे सीखें!
- सारे पते अस्पताल होकर जाते हैं!
- साहब के कुत्ते का तनाव
- सूअर दिल इंसान से गंगाधर की एक अर्ज
- सेवानिवृत्ति व रिटायरमेंट
- हाथियों का विरोध ज्ञापन
- हैरत इंडियन
- क़िला फ़तह आज भी करते हैं लोग!
आत्मकथा
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 1 : जन्म
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 2 : बचपन
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 3 : पतित्व
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 4 : हाईस्कूल में
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 5 : दुखद प्रसंग
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 6 : चोरी और प्रायश्चित
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं