सेवानिवृत्ति व रिटायरमेंट
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी सुदर्शन कुमार सोनी1 Aug 2024 (अंक: 258, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
“भैया क्या हिंदी व अंग्रेज़ी शब्दों की जोड़ी बनाने संबंधी कोई आलेख लिख रहे हैं?”
“न जी, न।”
“तो फिर या तो सेवानिवृत्ति लिखते या रिटायरमेंट? दोनों क्यों लिख मारे?”
“कारण जैसे हर चीज़ के पीछे कुछ न कुछ होता है। अब देख लो जो एनआरसी या सीएए का विरोध कर रहे हैं तो उसके पीछे और जो समर्थन कर रहे हैं उसके पीछे भी एक कारण है। भैया कारण के बिना तो कुत्ता तक नहीं भौंकता। उसके पूँछ हिलाने और न हिलाने के पीछे भी एक कारण होता है!”
“तो आप ही बता दीजिये?”
“देखिये यहाँ हमारा मंतव्य यह है कि जब एक सरकारी आदमी रिटायर या सेवानिवृत्त होता है तो दोनों में से कौन सा शब्द उपयोग करना ज़्यादा सही व सटीक है।”
“दोनों में से कोई भी कह लो, फ़र्क़ क्या पड़ना है? जैसे कि सर को हिंदी में महाशय कह लो या महाशय को सर कह डालो।”
“नहीं! ऐसा नहीं है? सेवानिवृत्ति सही शब्द नहीं है? इससे ऐसा लगता है कि कर्मी सेवा जैसा एहसान पूरे कार्यकाल में करता रहा। पहले सेवा कभी उद्देश्य रहा होगा। अब तो सेवाकाल को मेवाकाल व सेवानिवृत्ति को मेवानिवृत्ति कहना ज़्यादा सही होगा! क्योंकि वह ख़ुद भी सेवानिवृत्ति की अंतिम बेला को आश्चर्य कर सकता है कि उसने सेवा की कब थी जो उसे सेवानिवृत कहा जा रहा है। हाँ, वैकल्पिक रूप से कार्य निवृत कह सकते हैं। स्वतंत्र हो गए, फ़्री हो गए नौकरी काल पूरा हो गया। कह सकते हैं।
“पर गंगाधर को तो ये रिटायरमेंट शब्द ज़्यादा सटीक लगता है।”
“क्यों?”
“रिटायर के साथ टायर लगा है। सरकारी आदमी और टायर के बीच गहरे अंर्तसंबंध हैं। सेवानिवृत्ति आते तक कर्मी एक घिसे हुए टायर की तरह ही तो हो जाता है। यह टायर नौकरी के राजमार्ग में निरंतर चाकरी या नौकरी की गाड़ी में घिसता रहता है।”
“लेकिन टायर की ज़िन्दगी इवंटफ़ुल होती है; कभी पंक्चर हो जाता है। वो भी कभी एकल तो कभी मल्टीपल, तो कभी बर्स्ट होता है, तो कभी टायर उधड़ जाता है तो फिर सरकारी कर्मी को इस सबसे कैसे को-रिलेट करेंगे?”
“बहुत आसान है! एससीएन के बाद एक वेतन वृद्वि रुकना कर्मी रूपी टायर में एक पंक्चर व दो वेतन वृद्वि रुकना दो पंक्चर होने के समान है। ये पंक्चर विभागीय जाँच अधिकारी से ही बनाये बनता है। पर ये एकल पंक्चर को मल्टीपल पंक्चर भी बना सकता है। एक आरोप पत्र में पाँच और जड़ दें। अपनी ओर से यानी एक ही कील रूपी आरोप पत्र चाकरी की गाड़ी के टायर रूपी सरकारी कर्मी में पाँच आरोप रूपी पंक्चर जड़ दें?
“हाँ यदि चेतावनी मिल जाये या भर्त्सना की टीप चिपका दी जाये तो यह एक तरह से सरकारी कर्मी रूपी टायर की हवा निकलने जैसा काम है।”
“हवा निकलना हो गया, पंक्चर हो गया, तो बर्स्ट होना क्या है?”
“हाँ, सही बात उठायी। निलंबित हो विभागीय जाँच बैठ जाये, पदच्युत या बरख़ास्त होने जैसी नौबत आ जाये तो यह बर्स्ट होने जैसा है।”
“तो अब इस पर भी प्रकाश डाल दें कि टायर की जैसे रिट्रेडिंग होती है तो सरकारी कर्मी की?”
“हाँ! यदि पाँच सात साल निलंबित रह लें, डिमोशन हो गया हो यानी कि आधा कैरियर तो उधड़ गया लेकिन फिर से बहाल हो जायें, बाद पदोन्न्ति भी हो जाये, तो यह कैरियर रूपी उनके टायर की रिट्रेडिंग ही है। या दूसरी तरह से कहा जाए कि रिटायर हो गये पर री-एम्पलायमेंट से फिर भीतर आ गए तो यह भी कैरियर रूपी टायर की रिट्रेडींग ही है।
“सेवा का मल्टीपल पंक्चर क्या होता है?”
“हाँ एससीएन मिल गया, प्रभार से भी हटा दिया, स्थानांतरण की गाज भी साथ ही गिर गयी और निलंबित भी हो विभागीय जाँच संस्थित हो गई तो ये टायर के मल्टीपल पंक्चर की तरह का क़हर है।”
“टायर का मल्टीपल पंक्चर तो फिर भी बन जाता है, यहाँ क्या होता है?”
“यहाँ थोड़ा कठिन है। लेकिन यहाँ भी पंक्चर का मुआयना कर बनाने वाला होता है। बॉस, बाबू, सेक्शन ऑफ़िसर अनुशासनिक व विभागीय जाँच अधिकारी सबके सब हैं। मल्टीपल पंक्चर को दुरस्त करने के लिये ये मल्टीपल लोग हैं!”
“और गाड़ी के टायर की बदली की तरह सरकारी नौकरी की गाड़ी के कर्मी रूपी टायर की बदली कब होती है?”
“बहुत साधारण है। स्थानांतरण होना टायर बदलने जैसा ही है!”
“और एक सेक्शन या प्रभार से हटाकर दूसरे में भेज देना?”
“यह आगे के टायर को पीछे या पीछे वाले को आगे करना या एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी में लगा देने केे समान है।”
“तेज़ गति से चलती गाड़ी से कई बार टायर छितरा कर फिंका जाता है। नौकरी में ऐसा कब होता है?”
“यहाँ भी होता है। मान लीजिये कि कोई बहुत तेज़ बैटिंग कर नौकरी की गाड़ी चला रहा है पर अचानक रँगे हाथों धर लिये गये तो यह एक तरह से नौकरी के टायर के दूर फिंका जाने जैसे ही है। गाड़ी का टायर मुख्यमार्ग से दूर तो कर्मी मुख्यधारा से दूर फिंका जाता है।”
“टायर में कई बार गोबर कीट आदि लग जाती है और लगी ही रहती है। ये नौकरी के टायर में कब होता है?”
“होता है, बहुधा होता है। जैसे कि बिना मुट्ठी गर्म किये काम न करने की शिकायत, महिला कर्मी पर डोरे डालने बदतमीज़ी करने की बदनामी की कीट या बार-बार अपनी कुर्सी छोड़ चाय की दुकान की ओर भागने की धूल या चाहे जब सिक लीव आवेदन भेज कर घर में बैठे रहने का गोबर चिपक जाये। ऐसा जैसा कुछ भी हो सकता है। टायर हो या कर्मी, एक दिन उसे रिटायर होना है, उसके पहले हवा निकलना, पंक्चर होना, बर्स्ट होना, घिस जाना, आधा उधड़ जाना, चलन के बाहर हो जाना दोनों का प्रारब्ध है। जिसका ये सब नहीं हुआ वो रेअरेस्ट ऑफ़ रेअर केस मान सकते हैं।”
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
60 साल का नौजवान
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | समीक्षा तैलंगरामावतर और मैं लगभग एक ही उम्र के थे। मैंने…
(ब)जट : यमला पगला दीवाना
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | अमित शर्माप्रतिवर्ष संसद में आम बजट पेश किया जाता…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- एनजीओ का शौक़
- अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद प्रशिक्षण व शोध केन्द्र
- अगले जनम हमें मिडिल क्लास न कीजो
- अन्य क्षेत्रों के खिलाड़ियों के गोल्ड मेडल
- असहिष्णु कुत्ता
- आप और मैं एक ही नाव पर सवार हैं क्या!
- आम आदमी सेलेब्रिटी से क्यों नहीं सीखता!
- आर्दश आचार संहिता
- उदारीकरण के दौर का कुत्ता
- एक अदद नाले के अधिकार क्षेत्र का विमर्श’
- एक रेल की दशा ही सारे मानव विकास सूचकांको को दिशा देती है
- कअमेरिका से भारत को दीवाली गिफ़्ट
- कुत्ता ध्यानासन
- कुत्ता साहब
- कोरोना मीटर व अमीरी मीटर
- कोरोना से ज़्यादा घातक– घर-घर छाप डॉक्टर
- चाबी वाले खिलौने
- जनता कर्फ़्यू व श्वान समुदाय
- जियो व जीने दो व कुत्ता
- जीवी और जीवी
- जेनरेशन गैप इन कुत्तापालन
- टिंडा की मक्खी
- दुख में सुखी रहने वाले!
- धैर्य की पाठशाला
- नयी ’कोरोनाखड़ी’
- नये अस्पताल का नामकरण
- परोपकार में सेंध
- बेचारे ये कुत्ते घुमाने वाले
- भगवान इंसान के क्लासिक फर्मे को हाईटेक कब बनायेंगे?
- भोपाल का क्या है!
- भ्रष्टाचार व गज की तुलना
- मल्टीप्लेक्स और लुप्तप्रायः होता राष्ट्रीय चरित्र
- मार के आगे पति भी भागते हैं!
- मुर्गा रिटर्न्स
- युद्ध तुरंत बंद कीजो: श्वान समुदाय की पुतिन से अपील
- ये भी अंततः गौरवान्वित हुए!
- विज्ञापनर
- विदेश जाने पर कोहराम
- विवाद की जड़ दूसरी शादी है
- विश्व बैंक की रिपोर्ट व एक भिखारी से संवाद
- शर्म का शर्मसार होना!
- श्वान कुनबे का लॉक-डाउन को कोटिशः धन्यवाद
- संपन्नता की असमानता
- साम्प्रदायिक सद्भाव इनसे सीखें!
- सारे पते अस्पताल होकर जाते हैं!
- साहब के कुत्ते का तनाव
- सूअर दिल इंसान से गंगाधर की एक अर्ज
- सेवानिवृत्ति व रिटायरमेंट
- हाथियों का विरोध ज्ञापन
- हैरत इंडियन
- क़िला फ़तह आज भी करते हैं लोग!
आत्मकथा
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 1 : जन्म
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 2 : बचपन
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 3 : पतित्व
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 4 : हाईस्कूल में
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 5 : दुखद प्रसंग
- सत्य पर मेरे प्रयोग: महात्मा गाँधी जी की आत्म कथा के अंश - 6 : चोरी और प्रायश्चित
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं