विवाद की जड़ दूसरी शादी है
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी सुदर्शन कुमार सोनी15 Jun 2019
गंगू व शुकुल जी आज काफ़ी दिन बाद मिले थे कुछ समय ही ऐसा था कि दशहरा व ईद साथ-साथ पड़ गये तो उसमें व्यस्त थे। शहर के दो बुद्विजीवियों में विचार-विर्मश नहीं हो पाया था और इसके लाभ से आम लोग वंचित हो गये थे।
आज चिंतन रेस्तराँ में दोनों के विमर्श का विषय आम लोगों नर-नारियों सभी से जुड़ा था। गंगू का कहना था कि आजकल दाम्पत्य जीवन में कटुता बहुत ज़्यादा आती जा रही है शादी के एक दो साल तक तो पति-पत्नी ठीक-ठाक रहते हैं फिर अनबन शुरू हो जाती है।
इस पर शुकुल जी का कहना था कि आधुनिकता, फ़िल्में व चैनल इसके लिये ज़िम्मेदार हैं जो कि लोगों को काल्पनिक दुनिया में ले जाते हैं सब्ज़बाग़ दिखाते हैं और लोग अपनी ज़िंदगी की तुलना अन्य लोगों से करके दुखी होना शुरू कर देते हैं। वही से उन्हें अपने पार्टनर में कमी दिखाई देने लगती है। शादी के पहले चन्द्रमुखी लगने वाली एक साल में ही सूर्यमुखी व उसके बाद ज्वालामुखी लगने लगती है!
गंगू बोला कि शुकुल जी आपने जो फ़र्माया है उसमे कुछ सच्चाई हो सकती है लेकिन शादी में अनबन का कारण कुछ अलग ही है। दरअसल आजकल पुरुष एक नहीं दो शादी कर रहे हैं और कभी-कभी यह महिला के साथ भी है जिससे इनकी नहीं बन पा रही है!
शुकुल जी ने अपनी खोपड़ी पर हाथ फेरना शुरू कर दिया था गंगू की दलील पर, बोले कि उन्हें तो कहीं नहीं दिखता कि सभी लोग दो शादियाँ कर रहे हैं। बहुसंख्यक लोग क़ानूनी रूप से ऐसा कर भी नहीं सकते हैं!
गंगू बोला, "बहुत सिम्पल है शुकुल जी! मेरे घर के पीछे बसी बस्तियों में रहने वाले अधिकांश शादीशुदाओं ने दूसरी शादी दारू से कर रखी है। एक दिन ऐसा नहीं जाता है कि ये अपनी दूसरी पत्नी से न मिलते हों! तो अब आप बताओ कि पहली असली पत्नी क्या यह बर्दाश्त कर पायेगी कि उसका पति बेवड़ा बना रहे और उससे ज़्यादा लाड़ बोतल को दिखाता रहे। उसे या उसकी साली को, माफ़ कीजिये, साली की बात आने के कारण कुछ मैंने ज़्यादा ही लिख दिया है, चूमना छोड़ के बोतल और नाली को चूमता फिरे?”
"नाली को चूमता फिरे मतलब?” शुकुल जी ने कहा।
"अरे जो दूसरी शादी वाली बोतल को चूमेगा तो नाली तो उसे बोनस में चूमनी ही पडे़गी!”
अब और लोग हैं मेरे मोहल्ले में। कुछ नये-नये लड़कों की शादी हुई है, उनकी भी अनबन चल रही है। जब मैंने पता किया तो मालूम हुआ कि इन्होंने दूसरी शादी क्रिकेट खेल से कर रखी है। अभी तक जब कुँवारे थे तो सब ठीक था। लेकिन अब, जब एक से दो हो गये हैं तो पत्नी का कहना था कि या तो क्रिकेट खेल लो या शादी को खेल लो। ये वे छोकरे हैं जिन्होंने अभी तक भारत की टीम में एक दशक से शामिल हो जाने का ख़्वाब नहीं छोड़ा है, भले ही किसी दफ़तर में मुश्किल से बाबू की नौकरी पायी हो! अरे नादान नौजवानों! शादी को ही क्रिकेट समझ कर खेलो तो कितना आनंद आयेगा!
नेता गण भी दो शादियाँ करते हैं; दूसरी नेतागिरी से रहती है। किसी के भी फटे में टाँग अड़ाना, मध्यस्थ बन जाना किसी भी मामले में बिना बोले या आमंत्रित किये। केजरीवाल ने अब दूसरी शादी कर ली है दूसरों की कमियों से; तो सोते उठते बैठते हर आदमी में कमी दिखती है, हर आदमी भ्रष्टाचार व अनियमितता का पुतला उन्हें दिखता है; यह दूसरी शादी का ही कमाल है। गंगू की तो मान्यता है कि शादीशुदा आदमी को किसी दूसरी चीज़ में दिल नहीं लगाना चाहिये जरूरत से ज़्यादा। नहीं तो दाम्पत्य जीवन में दुख ही दुख होगा।
नशा केवल शराब का नहीं होता अलग-अलग तरह का होता है। एक भाई जी है गंगू के मोहल्ले में उन्हें दिन भर पत्ते खेलने का शौक़ है। दिनभर रात देर तक पत्ते खेलते रहते हैं। भाभी कहती हैं कि गंगू इनको तो बोलो कि मुझसे शादी क्यों की, पत्तों से ही कर लेनी थी। पत्तों में भी तरह-तरह के खेल हैं। एक साहब हैं गंगू के मोहल्ले में; उनकी मंडली में कई साहब हैं सबको ब्रिज का चस्का लगा है ऐसा कि इनकी साहबनियाँ कहती हैं कि इन लोगों को तो शादी करनी ही नहीं थी। इन्हें तो ब्रिज का खेल ही अपनी पत्नी से ज़्यादा प्यारा लगता है।
दूसरी शादी का शौक़ केवल पुरुषों को ही नहीं होता है, महिलाओं को भी होता है। इनकी दूसरी शादी प्रायः टीवी में आने वाले सामाजिक सीरयलों से हो जाती है और फिर अपने पहली शादी वाले इन्हें, जब वे टीवी में सास-बहू फ़ेम सीरियल देख रही हों, तो बिल्कुल नहीं भाते हैं।
महिलाओं की तो कहा जाता है कि दूसरी शादी प्रायः दूसरी महिलायें क्या पहन रही हैं, क्या ख़रीद रही हैं, इसी पर नज़र रखने से हो जाती है। दूसरे की अच्छी पहन इन्हें सहन नहीं होती है चाहे वे कपडे़ हों या ज्वैलरी।
तो भैया गंगू की तो सलाह है कि यदि शादी कर रहे हो तो एक से ही करो! यदि पहले से किसी ऐब से कर रखी हो तो उसे शादी के बाद छोड़ ही देना समझदारी की निशानी है।
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