भोपाल का क्या है!
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी सुदर्शन कुमार सोनी15 Dec 2021 (अंक: 195, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
भोपाल से होशंगाबाद की ओर जाने अब ओबेदुल्लागंज की भारी यातायात वाली सड़क से नहीं जाना पड़ता। ओबेदुल्लागंज की प्रसिद्व गुलाब जामुन दुकान फोरलेन बन जाने से ओझल हो गयी थी। अब टोल प्लाज़ा के पास राजमार्ग के किनारे इसका एक आऊटलेट खुल गया है। भोपाल वालों की सुविधा के लिये इसकी एक शाखा भारत टाकीज़ के सामने भी है। भोपाल वाले रसगुल्ले ओबेदुल्लागंज के तो मावा जलेबी बुरहानपुर की खाते हैं। बुरहानपुर की प्रसिद्ध मावा जलेबी की दुकान भी आप गये ही होंगे; नहीं तो इसके बोर्ड पर नज़र तो पड़ी ही होगी।
स्वादिष्ट मीठे से ज़ायक़ेदार नमकीन की ओर आयें तो भोपाली नमकीन इंदौर का खाते हैं। इंदौर नमकीन भंडार तो आपने देखा ही होगा। इंदौर नहीं तो रतलामी या बीकानेरी सेव तो यहाँ हर जगह मिल जाता है। नमकीन के बाद अब फिर से मीठे की चाहत हो रही है। मौसम भी सर्दी का है। गजक मुरैना की नहीं तो ग्वालियर की भोपाल वासी खाते हैं। मुरैना गजक के अलावा भोपाली मुरैना डेयरी से डेयरी उत्पाद भी ख़रीदते हैं।
भोपाल वाले ज्वेलरी कल्याण ज्वैलर्स नहीं तो पंजाब ज्वैलर्स से ख़रीदते हैं। पीपी ज्वैलर्स भी तो बाहर का ही है। नमकीन बाहर का, मीठा बाहर का, गजक बाहर की, ज्वैलरी भी बाहर की। बूट ख़रीदना हो तो पंजाब बूट हाऊस है। कोल्हापुरी चप्पल का भी बोर्ड कहीं न कहीं लगा ही होगा। भोपाल बूट हाऊस भी होता तो कितना अच्छा होता।
गुजरात सेल्स कॉरपोरेशन है। तो कहीं रीवा टायर वर्क्स या जबलपुर टायर वर्क्स है। यानि की भोपाली पंक्चर बनाने भी रीवा या जबलपुर या किसी बाहरी नाम वाली दुकान पर आश्रित है।
सब ख़रीदारी करके आ ही गये घर तो भी बाहर से कहाँ पीछा छूटा। आकर महिदपुर वालों के सोफ़ा फ़र्नीचर में धँस गये। ये भी 1885 से भोपालवासियों की पसंद बने हुऐ हैं। अरे भोपालियों फ़र्नीचर का तो अपना ही कोई ब्रांड विकसित करते! ठीक है गुलाब जामुन, जलेबी जैसे काम में मन नहीं लगा कोई बात नहीं। हाँ भला हो कि यहाँ भोपाल टाकीज़ है नहीं तो यदि इंदौर टाकीज या बाम्बे टॉकीज़ होती तो आप क्या कर लेते?
भोपाल के कुछ बिजनेस आऊटलेट जैसे टॉप एंड टाऊन, आनडोर, हकीम होटल, मनोहर डेयरी, बापू की कुटिया भोपाल में तो हर कोने में अपनी शाखाऐं खोल चुके हैं। ये बाहर के शहरों में भी खुल जायें तो कुछ क्षतिपूर्ति हो सकती है। कि ठीक है जब हम मीठा, नमकीन, फ़र्नीचर आदि सब बाहर का पसंद करते हैं तो हमारी भी आईसक्रीम है, हमारा किराना ब्रांड है और भी सांची जैसे उत्पाद हैं जनाब जो कि बाहर के लोग पसंद करते हैं।
टॉप एंड टाऊन भले आईसक्रीम में टॉप पर हो लेकिन सूरमा भोपाली के इस टाऊन में टॉप पर तो बाहर के ब्रांड ही दिखते हैं। गंगाधर कम से कम ये नाना शहरों के बोर्ड देखकर तो इससे सहमत है। नहीं नहीं भोपाल का बहुत कुछ है। कोई कनफ्यूजन नहीं कि यहाँ की गालियों का जैसा फ़्यूजन कहीं नहीं मिलता! केवल निगेटिव नहीं पाज़ीटिव बात भी करो तो यहाँ साझा संस्कृति के दर्शन हर जगह होते हैं।
भोपाल विविधता में एकता के दर्शन कराता है! साम्प्रदायिक सौहार्द की नगरी है।
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