महाकवि हरिशंकर आदेश जी का पत्र : ’कही-अनकही’ प्रकाशन पर
पत्र | आशा बर्मनअनुजावत श्रीमती आशा बहिन जी! सस्नेह नमस्ते,
आप का प्रथम काव्य-संकलन “कही-अनकही“ प्राप्त हुआ। पढ़कर प्रसन्नता का पारावार लहरा उठा। इस शुभ अवसर पर हम दोनों (आदेश दंपति) की बधाई स्वीकार कीजिए। कविता लिखना आपका पैतृक गुण भी है। आपकी गणना टोरोंटो की प्रतिनिधि काव्य सर्जकों में की जाती है। अतएव आपके काव्य संकलन की आवश्यकता थी। आपकी काव्य-साधना के पीछे आपके पतिदेव का भी प्रचुर सहयोग है। तदर्थ वे भी सराहना के पात्र हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि आप दोनों स्वस्थ एवं दीर्घायु हों तथा इसी प्रकार हिंदी की सेवा कार्य में संलग्न रहें। टोरोंटो में हिंदी सर्जक समाज में व्याप्त संकीर्णताओं का निराकरण करना हम सबका कर्तव्य है। कवि की दृष्टि में न कोई छोटा होता है न कोई बड़ा। कवि सबका मित्र होता है, हितेच्छु होता है। वह जन-मंगल में ही सवमंगल का अनुभव करता है। आप सबमें मैंने इस प्रकार की सद्भावना की व्याप्ति की अनुभूति की है। अतः भावावेश में आपसे कह गया। जहाँ तक मेरा अपना प्रश्न है मैं जीवन भर लिखते रहने के उपरांत भी वह कुछ नहीं कह पाया हूँ, जो कहना चाहता हूँ। मेरी पूजा लगभग समाप्त होने पर आ गई है, अब आसन उठाना शेष है। मेरा एक पद है:
अब व्यर्थ में ही निज समय को मत गँवाइए।
पूजा समाप्त हो चुकी, आसन उठाइए।
आपसे यही कहना है कि निरंतर लिखती रहिए। आप सृजन के क्षेत्र में सफलता के क्षितिज छुयें, यही हमारी शुभकामना है। साहित्य-परिसर के सभी कवियों को मेरा नमन प्रदान कीजिए।
शुभेच्छु, आदेश दंपति
आशा बर्मन की प्रथम पुस्तक “कही-अनकही“ के संदर्भ में
1.
प्रियानुजा हे आशा बर्मन।
सदा सौख्ययुत होवे क्षण-क्षण॥
“कही अनकही” नामक सुंदर,
प्राप्त हुआ है काव्य संकलन।
हर कविता मोहक प्रसून है,
पुस्तक मानो कविता-कानन।
व्यक्त हुआ है सहज भाव से,
कवयित्री का शुचि अंतर्मन॥
2.
भाषा सुंदर सुलभ सुहानी,
कहता है हर शब्द कहानी।
पत्नी, माता, मित्र, सेविका,
व्यक्त हुई है कहीं पे नानी।
नारी के सब रूप हैं इसमें,
कहीं प्रफुल्लित कहीं पे उन्मन॥
3.
है संदेश भरा जीवन का,
इसकी हर कविता है सुंदर।
गीत, अगीत, मुक्त कविता है,
विविध रसों के बहते निर्झर।
भले सुन चुका हूँ मैं इनको,
झाँक रहा सर्वत्र नयापन॥
4.
मेरी बात मान कर, मेरी
इच्छा को फलवती बनाया।
कविताओं को एकत्रित कर,
लाकर है एक ठाँव बिठाया।
शुभकामना समेत बधाई,
शुभ हो तुमको प्रथम प्रकाशन॥
5.
जो हो गई प्रकाशित जग में,
कविता कभी नहीं मरती है।
कवियों के तन मर-मर जाते,
कविता किन्तु अमर रहती है।
लिखती रहो सुष्ठु कविताएँ,
जब तक है जीवन में जीवन॥
ओकोई 19. 1. 2012
इस विशेषांक में
कविता
- तुम्हारा प्यार आशा बर्मन | कविता
- आकांक्षा आशा बर्मन | कविता
- जागृति आशा बर्मन | कविता
- मेरा सर्वस्व आशा बर्मन | कविता
- नित – नव उदित सफ़र डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- इन्द्रधनुषी लहर डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- पिता का दिल डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- पिता डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- नया साल डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- बसन्त आया था डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- ये पत्ते डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- एक मुट्ठी संस्कृति डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- जीवंत आसमान की धरती का जादू डॉ. रेणुका शर्मा | कविता
- राह डॉ. अंकिता बर्मन | कविता
- मुस्कान डॉ. अंकिता बर्मन | कविता
- अग्नि के सात फेरे तरुण वासुदेवा | कविता
- माँ और स्वप्न तरुण वासुदेवा | कविता
- ये पैग़ाम देती रहेंगी हवायें निर्मल सिद्धू | कविता
- उम्र के तीन पड़ाव निर्मल सिद्धू | कविता
- वह पूनम कासलीवाल | कविता
- तुम कहाँ खो गए . . . प्राण पूनम कासलीवाल | कविता
- हर बार पूनम कासलीवाल | कविता
- आना-जाना पूनम कासलीवाल | कविता
- पिता हो तुम पूनम चन्द्रा ’मनु’ | कविता
- माँ हिन्दी पूनम चन्द्रा ’मनु’ | कविता
- कैकयी तुम कुमाता नहीं हो पूनम चन्द्रा ’मनु’ | कविता
- कृष्ण संग खेलें फाग पूनम चन्द्रा ’मनु’ | कविता
- साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर पूनम चन्द्रा ’मनु’ | कविता
- कटघरा प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' | कविता
- आईना प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' | कविता
- मुलाक़ात प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' | कविता
- पेड़ डॉ. शैलजा सक्सेना | कविता
- माँ! मैं तुम सी न हो पाई! डॉ. शैलजा सक्सेना | कविता
- चिड़िया का होना ज़रूरी है डॉ. शैलजा सक्सेना | कविता
- मूड (Mood) डॉ. शैलजा सक्सेना | कविता
- गुरुदेव सीमा बागला | कविता
- मेरी बिटिया, मेरी मुनिया संदीप कुमार सिंह | कविता
- अधूरी रह गई संदीप कुमार सिंह | कविता
- चंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? संदीप कुमार सिंह | कविता
- मैं नदी हूँ सविता अग्रवाल ‘सवि’ | कविता
- लेखनी से संवाद सविता अग्रवाल ‘सवि’ | कविता
- हमारे पूर्वज सीमा बागला | कविता
- मेरा बचपन वाला ननिहाल सीमा बागला | कविता
- धारा ३७० सीमा बागला | कविता
- परिक्रमा सुरजीत | कविता
- तू मिलना ज़रूर सुरजीत | कविता
- प्रवास कृष्णा वर्मा | कविता
- वायरस डॉ. निर्मल जसवाल | कविता
- लाईक ए डायमण्ड इन द स्काई डॉ. निर्मल जसवाल | कविता
- लिफ़ाफ़ा प्राची चतुर्वेदी रंधावा | कविता
- चार्ली हेब्दो को सलाम करते हुए धर्मपाल महेंद्र जैन | कविता
- रोबॉट धर्मपाल महेंद्र जैन | कविता
- मेरे टेलीस्कोप में धरती नहीं है धर्मपाल महेंद्र जैन | कविता
- निज भाग्य विधाता परिमल प्रज्ञा प्रमिला भार्गव | कविता
- आ गया बसंत है परिमल प्रज्ञा प्रमिला भार्गव | कविता
- कुछ कहा मधु भार्गव | कविता
- मेरी माया मधु भार्गव | कविता
- मधु स्मृति स्नेह सिंघवी | कविता
- अश्रु स्नेह सिंघवी | कविता
- निमंत्रण स्नेह सिंघवी | कविता
- मैं हवा हूँ इन्दिरा वर्मा | कविता
- मेरी पहचान इन्दिरा वर्मा | कविता
- चिट्ठियाँ इन्दिरा वर्मा | कविता
- वह कोने वाला मकान इन्दिरा वर्मा | कविता
- एक दिया जलाया इन्दिरा वर्मा | कविता
- आशीर्वाद इन्दिरा वर्मा | कविता
- बंधन कृष्णा वर्मा | कविता
- सोंधी स्मृतियाँ कृष्णा वर्मा | कविता
- स्त्री कृष्णा वर्मा | कविता
- रेत कृष्णा वर्मा | कविता
- ज़िन्दगी का साथ दीप्ति अचला कुमार | कविता
- छोटे–बड़े सुख दीप्ति अचला कुमार | कविता
- सिमटने के दिन दीप्ति अचला कुमार | कविता
- दुविधा दीप्ति अचला कुमार | कविता
- दिशाभ्रम आशा बर्मन | कविता
- मैं और मेरी कविता आशा बर्मन | कविता
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