अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित
पीछे जाएं

मेरे टेलीस्कोप में धरती नहीं है

अध्ययन कक्ष में 
अपने आसपास घना अँधेरा रच कर 
टेबल लैंप की केंद्रित रौशनी में 
खुली आँखों से एकाग्र होने की मेरी कोशिश 
और फिर टेलिस्कोप से 
आकाश की सीमाओं में झाँकना 
बहुत अजनबी बना देता है मुझे ख़ुद से। 
यूँ भी निहारिकाओं और 
आकाशगंगाओं के बारे में पढ़ते हुए
अपनी दीवार के उस पार के लोग 
अजनबी लगने लगे हैं मुझे। 
 
कसैली कॉफ़ी की सिप के साथ 
मैं पुनः खो जाना चाहता हूँ 
ब्रह्मांड और उसके उल्कापिंडों में 
प्रकाशवर्षों की दूरियों को मापते हुए
जिन्हें कभी मैंने महसूस नहीं किया
अरबों तारों और उनके सौर मंडलों के बारे में
सोचना बेमानी लगता है अब। 
 
पेंसिल की नोक भोथरी हो गई है
ग्रहों और तारों का 
रेखीय पथ खींचते हुए। 
अपने हाथों से 
पहियों वाला पटिया धकेलते हुए 
वो रोज़ रोटी की आस में आता है इधर
बाहर से आ रही चरमराहट
जानी पहचानी है
जो मेरे कान सुनते हैं 
मेरी आँखें नहीं देखतीं
मेरे टेलीस्कोप में धरती नहीं है। 

इस विशेषांक में

कविता

पुस्तक समीक्षा

पत्र

कहानी

साहित्यिक आलेख

रचना समीक्षा

लघुकथा

कविता - हाइकु

स्मृति लेख

गीत-नवगीत

किशोर साहित्य कहानी

चिन्तन

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

व्यक्ति चित्र

बात-चीत

अन्य विशेषांक

  1. सुषम बेदी - श्रद्धांजलि और उनका रचना संसार
  2. ब्रिटेन के प्रसिद्ध लेखक तेजेन्द्र शर्मा का रचना संसार
  3. दलित साहित्य
  4. फीजी का हिन्दी साहित्य
पीछे जाएं