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मन कहाँ को चल चला तू 

मन कहाँ को चल चला तू,    छोड़ आया बाग़ सारे आसमाँ भर के सितारे चाँद हाथों से फिसल कर …

कैसे कह दूँ 

कैसे कह दूँ आँखों मेंं अब बाक़ी कोई स्वप्न नहीं है।    जब आँधी ने ज़ोर पकड़ ली तब भी हार नहीं…

माँ तेरी यादों के आगे

माँ तेरी यादों के आगे जग के सारे बंधन झूठे।    जिस उँगली को हाथों थामें जीवन पथ पर चलना सीखा, …

टूटती हैं लाठियाँ जब

कौन, कितना  देखकर होता द्रवित है टूटती हैं लाठियाँ जब भी दलित की  पीठ पर,  ज़ालिम दबंगों…

ताप मैं भरता रहूँ आक्रोश में भी

मैं रिझाने के लिए तुमको लिखूँ जो  हैं नहीं वे शब्द  मेरे कोश में भी   दोपहर की …

पेड़ पर लटके हुए शव लड़कियों के

पेड़ पर लटके हुए  शव लड़कियों के  सिर्फ़ मादा जिस्म, या कुछ और हैं    कौन हैं ये लड़कियाँ …

भीड़ में भी तुम मुझे पहचान लोगे

भीड़ में भी तुम मुझे पहचान लोगे  मैं निषिद्धों की  गली का नागरिक हूँ    हर हवा छूकर…

चीखकर ऊँचे स्वरों में

चीखकर ऊँचे स्वरों में  कह रहा हूँ  क्या मेरी आवाज़  तुम तक आ रही है?   जीतकर भी …

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